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लोन की कार सीज करने पर फाइनेंस कर्मचारी को गोली मारने वाले गिरफ्तार; बनारस एयरपोर्ट के पास सिर में मारी थी गोली

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. वाराणसी में लोन की कार सीज करने पर फाइनेंस कर्मचारी के हत्यारोपितों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। एयरपोर्ट के पास हाईवे हाईवे पर गोली मारने वाले दो हमलावर पुलिस के हत्थे चढ़ गए। प्रयागराज से गिरफ्तारी के बाद पुलिस इन्हें लेकर बनारस पहुंची। पूछताछ के दौरान वारदात को कबूल लिया, जिसके बाद हत्यारोपियों का चालान कर कोर्ट में पेश किया गया। जहां से जज ने दोनों को जेल भेज दिया, उनके अन्य दो साथियों की तलाश पुलिस कर रही है।
गोमती जोन के डीसीपी प्रबल प्रताप सिंह ने बताया कि थाना फूलपुर और क्राइम ब्रांच की संयुक्त पुलिस टीम ने हत्यारोपियों के फरार होने के बाद उनकी तलाश शुरू की। कार मालिक की पहचान के बाद एक टीम उनके घर पहुंची तो दूसरी सर्विलांस सेल के साथ लोकेशन खंगालने में लगी रही। पुलिस ने कसैयावर बमैला हंडिया पहुंचकर आरोपी रामसूरत सिंह और उसके भाई भरत सिंह पुत्रगण हरिनारायण सिंह को गिरफ्तार कर लिया। उनके कब्जे से एक रिवाल्वर 32 बोर, 4 कारतूस, घटना में प्रयुक्त वाहन UP70LT4083 बरामद की। 7 जनवरी रविवार को वरदात करके सभी अपने घर पहुंचे थे।
पूरी वारदात सिलसिलेवार तरीके से पढ़वाते हैं...
पलहीपट्टी (चोलापुर) में रहने वाले वीर बहादुर सिंह महिंद्रा फाइनेंस से अनुबंधित अखंड मोटर्स पिंडरा में रिकवरी एजेंट थे। उनकी टीम में बड़ागांव के दल्लीपुर में रहने वाले सूरज चौहान, रामसिंहपुर के रहने वाले हिमांशु प्रभाकर सिंह उर्फ विशाल और घमहापुर के सूरज सिंह भी शामिल हैं। 7 जनवरी रविवार दोपहर एजेंसी पर बताया गया कि यूपी 70 एलटी 4083 नंबर की कार स्विफ्ट डिजायर की कई किस्तें बकाया हैं। वह कार इस वक्त बाबतपुर चौराहे पर खड़ी है।
यह कार प्रयागराज के कसयावर बमैला में रहने वाले भरत कुमार सिंह के नाम से रजिस्टर्ड है। कई महीनों से कोई किस्त नहीं दी। न ही नोटिस का कोई जवाब दिया। कार के बाबतपुर एयरपोर्ट पर खड़े होने की जानकारी मिलने के बाद बोलेरो से रिकवरी टीम निकली और कार रोकने के लिए पीछा किया। करीब 3 किलोमीटर तक वीर बहादुर और उनकी टीम ने पीछा किया। बाबतपुर फ्लाईओवर पर ओवरटेक करके कार को रोक लिया।
वीर बहादुर की टीम ने कार में सवार युवकों से बकाया कम से कम 3 किस्त जमा करने के लिए। कार में 4 लोग सवार थे। वीर बहादुर ने उनसे कहा कि हमें किस्त नहीं देने पर कार सीज करने के लिए कहा गया है। कार के अंदर बैठे लोग भागने की फिराक में थे, तब वीर बहादुर की टीम के हिमांशु प्रभाकर ने आगे आकर कार रोक ली। कार सवारों को कंपनी के बकाए के बारे में बताने लगा। तब तक वीर बहादुर अपनी बोलेरो से उतरकर ड्राइवर के पास पहुंच गए।
उन्होंने कार सवार युवकों से हर हाल में कार की बकाया किस्त जमा करने के लिए कहा। युवक ने ना-नुकुर की तो वीर बहादुर ने कार की खिड़की से हाथ डालकर चाबी निकालने लगे। चाबी निकालने पर ड्राइवर और वीर बहादुर में कहासुनी हुई। इसके बाद कार ड्राइवर ने पिस्टल निकालकर सीधे सिर में गोली मार दी। गोली लगने से वीर बहादुर ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
पिस्टल लहराई, हाईवे पर जुटी भीड़
वीर बहादुर को गोली मारने से पहले तक सभी आरोपी कार के अंदर ही बैठे रहे। शीशा खोलकर बातचीत होती रही। लेकिन हत्या के बाद कार का दरवाजा खोला। बाहर निकलकर फाइनेंस कंपनी के दूसरे कर्मचारियों की ओर पिस्टल तान दी। तीनों सीजर साथी अपनी कार में छिप गए तब हमलावर दोबारा अपनी कार में बैठ गए। भागने की जल्दबाजी में उन्होंने एक एटीएम कैश वैन को भी टक्कर मार दी। फिर हरहुआ के पास एक बाइक में टक्कर मारते हुए शहर की ओर भाग निकले।
10 साल से करते थे वसूली का काम
वीर बहादुर सिंह के भाई आरपी सिंह ने बताया कि हमारे भाई लगभग 10 वर्ष से अखंड मोटर्स पिंडरा के साथ वाहनों के बकाएदारों से वसूली करते थे। 10 साल में कई बार छोटे-छोटे विवाद हुए लेकिन उनका किसी से व्यक्तिगत झगड़ा तक नहीं हुआ। हमलावरों ने पहले से ही हत्या की नीयत बना रखी थी और रिकवरी टीम पर फायरिंग कर दी। वीर बहादुर दो बेटी और एक बेटे के पिता थे और पूरे परिवार की जिम्मेदारी उन पर ही थी।
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