माँ से कहा- सुबह 7 बजे उठा देना, नाश्ता करने में देर होती है, अब हमेशा के लिए सो गई बेटी
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, कानपुर. कानपुर में हॉस्टल के कमरे में फंदा लगाकर जान देने वाली आईआईटी की पीएचडी छात्रा प्रियंका जायसवाल एक दिन पहले तक बिल्कुल ठीकठाक थी। बुधवार रात को उसने अपने माता-पिता से बात भी की थी। पिता ने फोन पर हुई बातचीत में बताया कि उसने मां से कहा था कि सुबह सात बजे उठा देना, नाश्ता करने में देर हो जाती है।
सुबह जब उन्होंने फोन किया, तो बेटी ने कॉल ही नहीं उठाई। इसके बाद आईआईटी प्रशासन को सूचना दी, तब उन्हें बताया गया कि बेटी ने खुदकुशी कर ली है। प्रियंका की आत्महत्या से सहपाठी भी सकते में हैं। साथी छात्र-छात्राओं का कहना है कि उसने 29 दिसंबर को ही प्रवेश लिया था। ऐसे में अभी किसी प्रकार का पढ़ाई का कोई दबाव नहीं थी।
पुलिस के अनुसार, प्रियंका दो बहनों में बड़ी थी। उसने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी से एमटेक किया था। गेट में अच्छी रैंकिंग होने पर कानपुर आईआईटी में दाखिला मिला था। वह पढ़ने में होशियार थी। सहपाठियों ने बताया कि जल्द दाखिला लेने की वजह से अन्य छात्रों से मिक्स नहीं हो पाई थी। अवसाद में थी या नहीं।
फंदे से लटक रहा था शव, गिरी पड़ी थी मेज
एसीपी ने बताया कि दरवाजा तोड़ने के बाद पुलिस टीम जब भीतर दाखिल हुई, तो प्रियंका का शव फंदे से लटक रहा था। मेज गिरी पड़ी थी। ऐसे में साफ है कि प्रियंका ने फंदे से लटकने के लिए टेबल का सहारा लिया था। कमरे में बेड के अलावा एक टेबल, रजाई-गद्दा, एक बैग और कुछ कॉपी-किताबें रखी थीं। फोरेंसिक टीम ने पूरे कमरे को खंगाला, लेकिन कोई सुसाइड नोट नहीं मिला।
ऑनलाइन मंगाई थीं दो रस्सियां
प्रियंका ने ऑनलाइन मार्केटिंग कंपनी से दो रस्सियां मंगाई थीं। ये रस्सियां किसी काम के लिए मंगाई थीं या आत्महत्या करने के लिए ही, यह जांच के बाद ही स्पष्ट होगा। इंस्पेक्टर धनंजय पांडेय ने बताया कि छात्रा के पिता से फोन पर आत्महत्या का कारण जानने का प्रयास किया गया, लेकिन वे कुछ बता नहीं पाए। शुक्रवार को परिजनों के आने के बाद बात की जाएगी।
काउंसलिंग सेशन में छात्रा ने नहीं किया किसी परेशानी का जिक्र
प्रियंका की क्लास चार जनवरी से शुरू हुईं। क्लास शुरू होने से पहले काउंसलिंग सेशन भी हुआ। मोटिवेशनल स्पीच के साथ छात्रों को संस्थान और नए प्रवेश की जानकारी दी गई थी। उस दौरान भी छात्रा ने अपनी परेशानी काउंसलर से साझा नहीं की। पीएचडी में दाखिला लेेने के बाद डेढ़ से दो साल का कोर्स वर्क होता है, जिसके बाद गाइड मिलता है। छात्रों का कहना है कि पढ़ाई का तनाव रहता है, लेकिन इतने शुरुआती स्तर पर नहीं।
इतने बड़े मामलों में भी मीडिया पर रोक क्यों?
आईआईटी में एक माह में तीसरी आत्महत्या हुई है। पुलिस-प्रशासन के साथ आईआईटी अधिकारी मौके पहुंचे, लेकिन मीडिया के प्रवेश पर रोक लगाई गई है। इससे पहले के मामलों में भी मीडिया को अंदर जाने की अनुमति नहीं मिली थी। यह समझ से परे है कि ऐसा क्यों किया जाता है। आईआईटी के अधिकारी भी इस पर कुछ भी कहने से बचते रहे। किसी ने क्लास में होने की बात कही तो किसी ने चुप्पी साध ली।
क्या अवसाद में थी या कोई दबाव
पुलिस के अनुसार प्रियंका दो बहनों में बड़ी थी। प्रियंका तमिलनाडु आईआईटी से एमटेक किया था। गेट में अच्छी रैंकिंग होने पर उसको कानपुर आईआईटी में दाखिला मिला था। इससे साफ पता चलता है कि प्रियंका पढ़ने में ब्रिलिएंट थी। सहपाठियों ने पूछताछ में बताया कि हाल ही में प्रियंका का एडमिशन हुआ था। वह अन्य छात्रों से मिक्स नहीं हुई थी। ऐसे में सहपाठियों का कहना था कि वह अवसाद में थी या नहीं यह भी नहीं बता सकते। वहीं हाल ही में अभी क्लास शुरू हुआ था। पढ़ाई का दवाब भी नहींं कहा जा सकता।
साफ सुथरा था कमरा
एसीपी ने बताया कि दरवाजा तोड़ने के बाद पुलिस टीम जब भीतर दाखिल हुई तोे प्रियंका शव फंदे से लटक रहा था। वहीं टेबल बेड के नीचे गिरा पड़ा था। ऐसे में साफ है कि प्रियंका ने फंदे से लटकने के लिए टेबल का सहारा लिया था। कमरे में बेड के अलावा एक टेबल, रजाई गददे, एक बैग और कुछ कॉपी किताब ही थे। फोरेंसिक टीम ने पूरे कमरे को खंगाला, लेकिन कोई सुसाइड नोट नहीं मिला।
आईआईटी प्रशासन से कहीं न कहीं चूक हुई, जिस वजह से इतना बड़ा हादसा हुआ है। भविष्य में ऐसा न हो, इसके लिए कहां कमी रह गई, इसका पता आईआईटी को लगाना होगा। -अखिल कुमार, पुलिस कमिश्नर