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ग़ाज़ीपुर जिले में दूसरे के प्रमाण पत्र पर संचालित हो रहे 77 प्राइवेट अस्पताल

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर जिले में लंबे समय से अप्रशिक्षित डॉक्टरों का मकड़जाल फैला हुआ है। पंजीकृत करीब 127 प्राइवेट अस्पतालों में 77 अस्पताल का पंजीकरण दूसरों के प्रमाण-पत्रों पर है। ऐसे में अस्पताल का संचालन कर रहे ये अप्रशिक्षित डॉक्टर उपचार और सर्जरी के नाम पर मरीजों की जान ले रहे हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मानक में होने की बात कहकर पल्ला झाड़ ले रहे हैं। यहीं नहीं घटना के बाद भी कार्रवाई के नाम पर इनकी नींद टूटने का नाम नहीं ले रही है। 

जबकि पंजीकरण कागजों में जिस चिकित्सक की डिग्री दी गई है, उन्हें पार्ट टाइम और एएनएम को फूल टाइम वर्क करने के साथ संचालक को सिर्फ सहयोगी दर्शाया जा रहा है। जबकि हकीकत यह है कि संचालक पूरे दिन डॉक्टर तो डिग्री धारक एमबीबीएस अस्पतालों में झांकने तक नहीं आते हैं और गैर जनपदों में भी अपने रजिस्ट्रेशन संख्या से प्राइवेट अस्पताल का पंजीकरण कराए हैं। इस एवज में ऐसे अस्पतालों के संचालक डिग्री धाराकों को प्रतिमाह मोटी रकम मुहैया कराते हैं। ऐसे में यह रवैया आमजनों के लिए घातक सिद्ध हो रहा है।

शासन की ओर प्राइवेट अस्पताल खोलने के लिए शासन द्वारा निर्धारित मानक जैसे फायर ब्रिगेड की एनओसी, पर्याप्त प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी, प्रतिदिन एक एमबीबीएस चिकित्सक की तैनाती, बायोमेडिकल वेस्ट प्रमाण और प्रदूषण पत्र जरूरी है। स्थिति तो यह है कि पंजीकृत अधिकांश निजी अस्पतालों में इन मानकों को पूर्ण नहीं किया जाता है और जिन अस्पतालों में मानक पूर्ण किया जाता है, वहां एमबीबीएस चिकित्सक की तैनाती प्रतिदिन नहीं रहती है। ऐसे में अप्रशिक्षित चिकित्सक मोटी कमाई के चक्कर में दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में अस्पताल खोलते हैं। 

इनके चंगुल में फंसने के बाद आमजनों का धन और जन दोनों चला जाता है। इनके मकड़जाल में फंसने से सबसे अधिक मौत प्रसूतओं और नवजातों की होती है। कासिमाबाद: बीते 30 दिसंबर को आपरेशन के दौरान नस कटने से एक प्रसूता की मौत हो गई थी। संचालक ने महिला का आपरेशन किया था। अप्रशिक्षित होने के चलते महिला की जान चली गई थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग छानबीन तो दूर कार्रवाई के नाम से भी पल्ला झाड़ लिया। इस संबंध में सीएमओ डा. देश दीपक पाल ने बताया कि जिले में 127 प्राइवेट अस्पताल पंजीकृत है, जिसमें 77 ऐसे हैं जो दूसरों के प्रमाण-पत्र पर पंजीकृत हैं। यह मानक में तो शामिल हैं, लेकिन अस्पताल संचालन के लिए अन्य मानक को पूरा करना जरूरी है। ऐसे में जांच कराई जाएगी।

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