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कुत्ते ने बिल्ली को काटा...बिल्ली ने बाप-बेटे को...तीनों की मौत, नहीं लगवाई थी वैक्सीन

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, कानपुर. पेट लवर के लिए कानपुर देहात से एक चौंकाने वाली खबर है। यहां बिल्ली के काटने के बाद पिता-पुत्र की मौत हो गई। पहले बेटे को बिल्ली ने काटा। इन्फेक्शन फैलने के बाद उसकी हालत बिगड़ने लगी। इसके बाद इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। वहीं बुधवार देर रात पिता की भी तबीयत खराब हो गई। परिजनों ने एक निजी अस्पताल में दिखाया। हालत में सुधार न होने पर सैफई मेडिकल कॉलेज ले गए, जहां उनकी मौत हो गई।

एक हफ्ते में पिता और पुत्र दोनों की जान चली गई। दोनों ने बिल्ली के काटने के बाद एंटी रैबीज वैक्सीन नहीं लगवाई थी। उनमें रैबीज के लक्षण आ गए थे। वहीं मामले में पशु चिकित्साधिकारी का कहना है कि पिता-पुत्र को जो लक्षण बताए जा रहे हैं, वो रैबीज के ही हैं। हालांकि मौत कैसे हुई, ये जांच का विषय है। जांच के बाद ही आगे कुछ कहा जा सकता है।

कानपुर देहात में अकबरपुर इलाके के अशोक नगर में इम्तियाजुद्दीन (58) का परिवार रहता है। इम्तियाजुद्दीन निबौली प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक थे। उनकी पालतू बिल्ली को दो महीने पहले यानी सितंबर के महीने में एक आवारा कुत्ते ने काट लिया था। इसके बाद इम्तियाजुद्दीन ने बिल्ली को डॉक्टर को दिखाया था। उसका इलाज चल रहा था।करीब एक महीने बाद अक्टूबर में बिल्ली हिंसक हो गई। पहले उसने इम्तियाजुद्दीन की पत्नी को पंजा मारकर घायल किया। हालांकि वह बहुत ज्यादा जख्मी नहीं हुई। अक्टूबर के आखिर में बिल्ली ने उनके बेटे अजीम को काटा लिया। इसी के दो घंटे बाद इम्तियाजुद्दीन को भी बिल्ली ने काट लिया। 

हालांकि परिवार वालों ने इसे सामान्य बात समझकर इलाज नहीं कराया।इसी बीच नवंबर के पहले हफ्ते में बिल्ली की मौत हो गई। इसके बाद 20 नवंबर को अजीम की हालत बिगड़ने लगी। उसमें रैबीज के लक्षण दिखाई देने लगे, तो घर वालों ने एक प्राइवेट डॉक्टर को दिखाया। उनके कहने पर उसे टिटनेस का इंजेक्शन लगवाया गया। इसके बाद घरवाले उसे घर ले आए। 24 नवंबर को पूरा परिवार एक रिश्तेदार की शादी में शामिल होने के लिए भोपाल चला गया। वहां 25 नवंबर को परिवार ने शादी अटैंड की। तकरीबन दो घंटे ही वे शादी में रहे होंगे, इसी दौरान अजीम की तबीयत फिर बिगड़ने लगी। 

परिवार के लोग उसे आनन-फानन में एक प्राइवेट डॉक्टर के यहां ले गए, लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। इसके बाद घरवाले उसे लेकर कानपुर आ रहे थे। मगर, रास्ते में उसकी मौत हो गई। घरवालों ने कानपुर पहुंचने पर एक प्राइवेट अस्पताल में बेटे को दिखाया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। इसके बाद पूरा परिवार गम में डूब गया। साथ ही बेटे का अंतिम संस्कार कर दिया गया।29 नवंबर यानी बुधवार देर रात इम्तियाजुद्दीन की हालत बिगड़ गई। उन्हें कानपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में दिखाया गया। हालत ज्यादा खराब होने पर घरवाले उन्हें PGI, सैफई लेकर गए। वहां उन्हें भर्ती कर लिया गया। गुरुवार सुबह उनकी भी इलाज के दौरान मौत हो गई।इम्तियाजुद्दीन की पत्नी ने उनके रैबीज संक्रमित होने से इनकार किया है। कहा कि उनके पति शुगर और हाई ब्लड प्रेशर के मरीज थे। उन्हें हार्ट अटैक आया था। हालांकि पड़ोसियों का कहना है कि बाप-बेटों में रैबीज के लक्षण साफ-साफ दिखाई दे रहे थे।परिवार के एक करीबी के मुताबिक, इम्तियाजुद्दीन के परिवार में करीब एक साल से बिल्ली है। 

पूरे परिवार को उससे लगाव बहुत हो गया था। उसे बिल्कुल वे लोग अपने परिवार के एक सदस्य की तरह मानते थे। उसकी बहुत केयर करते थे।बच्चों का लगाव तो बिल्ली से कुछ ज्यादा ही था। कुत्ते के बिल्ली को काटने के बाद इन लोगों ने उसे दिखाया। कुछ समय बाद वह हिंसक हो गई थी। वह चिल्लाती थी, रोती थी। आक्रामक हाे गई थी। लेकिन परिवार के लोग समझ नहीं पाए। उसका इलाज कराते रहे।

यूट्यूब से जो जानकारी मिली, उसे देखकर अजीम डर गया। इसके बाद धीरे-धीरे उसमें रैबीज के लक्षण दिखने लगे। पानी से डरना, हवा से डरना जैसे लक्षण उसमें होने लगे। शादी में फैमिली गई थी। चूंकि रास्ते में उसे हवा खूब लगी थी। इस कारण उसकी शादी में हालत खराब हो गई। वहां उसे दिखाया, तो डॉक्टर ने पिता से कहा कि इसे घर ले जाइए। 

एम्बुलेंस से आते समय रास्ते में उसकी मौत हो गई। बेटे की मौत के बाद से पिता ने खाना-पीना छोड़ दिया था। हालांकि उन्हें भी बिल्ली ने काटा था और उनमें भी लक्षण दिख रहे थे। उनकी भी हालत बिगड़ गई। अब पता नहीं उन्हें क्या हुआ, अल्लाह जाने या तो डॉक्टर ही जाने। उनकी भी मौत हो गई। उनके परिवार वालों की जांच भी कराई गई है। क्योंकि बिल्ली ने उन्हें भी पंजा मारा था। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. सुबोध ने बताया कि पिता और बेटे को जो लक्षण बताए गए हैं, वो रैबीज के ही थे। रैबीज का संक्रमण खतरनाक होता है। संक्रमित पशु के काटने के बाद अगर वैक्सीन 24 से 48 घंटे के भीतर न लगवाई जाए, तो खतरा है। इस वायरस के लक्षण कई महीने और कई सालों बाद भी सामने आ जाते हैं और जान चली जाती है। फिलहाल बाप-बेटे की मौत कैसे हुई, इसकी जांच कराई जा रही है। उसी के बाद पता चलेगा।

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