गाजीपुर जिले के ग्रामीण इलाकों की स्वास्थ्य सेवाएं बेपटरी
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर जिले के ग्रामीण इलाकों की स्वास्थ्य सेवाएं इन दिनों बेपटरी हो चुकी हैं। स्थिति यह है कि ब्लॉक स्तरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कहीं जांच की मशीन खराब है तो कहीं मरहम व रूई-पट्टी का अभाव है। लंबे समय से खराब पड़े जांच मशीनों की मरम्मत को लेकर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है। यहीं नहीं कहने तो इन केंद्रों पर करीब एक लाख की आबादी के स्वास्थ्य का भार है, लेकिन सिर्फ बुखार, सर्दी, खांसी की दवा देकर काम चलाया जा रहा है। जबकि एंटीबायोटिक के लिए बाहर निजी मेडिकल स्टोरों तक मरीजों एवं तीमारदारों को दौड़ लगानी पड़ रही है। दुर्घटना में घायल एवं गंभीर बीमारी के मरीजों को रेफरकर पल्ला झाड़ लिया जा रहा है। यहीं हाल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का भी है।
जमानिया के बरूइन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सीबीसी मशीन लंबे समय से खराब है। अस्पताल जर्जर है। एक्स-रे मशीन कक्ष बंद रहता है। दवा के नाम सामान्य बीमारी तक की दवा भी बाहर से लिखी जाती है। मुहम्मदाबाद : डेढ़ वर्ष से एक्स-रे की मशीन खराब है। जबकि यहां के लोगों ने उपमुख्यमंत्री को एक वर्ष पूर्व पत्रक भी दिया था, लेकिन कोई सुधार नहीं हो सका। अल्ट्रासाउंड मशीन न होने की स्थिति काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
आपातकक्ष का संचालन तो होता है, लेकिन मरीज भर्ती नहीं होते हैं, उन्हें सीधे मुख्यालय भेज दिया जाता है।
कासिमाबाद में दो वर्ष से सीबीसी की मशीन खराब पड़ी है। सिर्फ सामान्य बीमारियों की दवाओं से ही काम चलाया जाता है। औड़िहार : सैदपुर सीएचसी में चिकित्सकीय सुविधाओं का अभाव और लचर व्यवस्था के चलते मरीज और उनके तीमारदार परेशान है। जांच की सुविधा न होने से मरीजों को निजी पैथोलॉजी भेज दिया जाता है। हेल्थ एटीएम मशीन पिछले कई महीनों से खराब है। दुर्घटना में घायल लोगों के लिए भी मरहम पट्टी और रुई का अभाव है।
खानपुर में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ऐक्स-रे मशीन तो है, लेकिन चित्र स्पष्ट नहीं दिखाई पड़ती है। वर्षों से सर्जन और आर्थो का पद रिक्त पड़ा हुआ है। सेवराई में तीस बेड के सीएचसी पर चिकित्सकीय व्यवस्थाओं का अभाव है। एक्स-रे मशीन और अल्ट्रासाउंड मशीन जैसी कई सुविधाएं नदारद है। सामान्य मरीज को ही दवा दी जाती है, गंभीर बीमारी के मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। पेयजल के लिए बाहर से पानी लाना पड़ता है। जनरेटर सुविधा होने के बावजूद लाभ नहीं मिल पाता है।
वही करंडा में करीब एक लाख से ऊपर आबादी के स्वास्थ्य सेवाओं को उपलब्ध कराने का दावा तो किया जाता है, लेकिन वर्तमान में यहां न तो मलेरिया और डेंगू जांच के कीट है और न ही जांच की कोई सुविधा है। एक्स-रे मशीन न होने से मरीजों को रेफर कर दिया जाता है।
इस संबंध में सीएमओ डा. देश दीपक पाल ने बताया कि 11 नई एक्स-रे मशीन की डिमांड की गई है। इसके उपलब्ध होते ही प्रत्येक 11 सीएचसी पर नई एक्स-रे मशीन स्थापित हो जाएगी। साथ ही सीबीसी मशीनों के लिए केमिकल मंगा लिया गया है। कुछ दिनों में जांच की व्यवस्था सुदृढ़ हो जाएगी।