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अब 3 साल में ही हो सकेगा इन शिक्षकों का तबादला, जल्द आ रही नई नियावली

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षकों की तीन साल की सेवा पर ही अब स्थानांतरण हो सकेगा। शासन के निर्देश पर उच्च शिक्षा विभाग इसके लिए नई नियमावली तैयार कर रहा है। इसके तहत प्रदेश के करीब 350 सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में कार्यरत 12 हजार शिक्षकों का एकल स्थानांतरण पांच साल की बजाय तीन सालों में ही किया जा सकेगा।

इसके लिए नियमावली में आमूल-चूल परिवर्तन कर पूरी तरह से उसे नया रूप दिया जाएगा। सरकार ने उच्च शिक्षा विभाग को नए सिरे से स्थानांतरण नियमावली बनाने के निर्देश दिए हैं और कहा है कि नई नियमावली तैयार होते ही उसके प्रख्यापन का प्रस्ताव तत्काल शासन को भेजें।

विभाग को भेजे पत्र में शासन की ओर से यह भी कहा गया है कि नवगठित शिक्षा सेवा चयन आयोग की धारा-27 की शक्ति का प्रयोग करते हुए चयनित शिक्षकों की तैनाती  व्यवस्था एवं कार्यरत शिक्षकों के एकल स्थानांतरण नियमावली दोनों को सम्मिलित करते हुए एकीकृत नियमावली का प्रस्ताव हिन्दी एवं अंग्रेजी में तैयार कर शासन को भेज दें। 

कैबिनेट से बीते 23 अगस्त को उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम-2023 पास होने के बाद उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग अधिनियम-1980 निरस्त हो चुका है। ऐसे में नई नियमावली बनाकर ही आगे की कार्रवाई शुरू की जा सकती है। दूसरी तरफ पांच साल की जगह तीन सालों में स्थानांतरण किए जाने से संबंधित प्रस्ताव को लेकर विभाग में कवायद तेज हो गई है। उच्च शिक्षा निदेशक ने विभाग के तीन शीर्ष अधिकारियों की टीम बनाकर पूरे मामले को शीघ्र पूरा कराने के निर्देश दिए हैं।

प्रदेश के उच्‍च शिक्षा निदेशक ब्रह्मदेव ने बताया कि सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षकों की सेवा नियमावली में बदलाव पर शासन विचार कर रहा है। इसके तहत शिक्षकों के पांच साल पर होने वाले स्थानांतरण की नीति में परिवर्तन कर तीन साल किये जाने के प्रावधान पर विचार हो रहा है। 

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