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देश को FC बायर्न में तीसरे स्थान पर लाने वाले गाजीपुर के फुटबॉलर फरहान को जानें

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर जिले के पखनपुरा के रहने वाले फरहान अब्दुल माजिद ने फुटबॉल के प्रतिष्ठित टूर्नामेंट एफसी बायर्न में खेल कर भारत की टीम को मेडल जीतने में बड़ी भूमिका अदा की है। 2023 के एफसी बायर्न यूथ क्लब में भारत को तीसरा स्थान हासिल हुआ है। एफसी बायर्न कप में फरहान के निजी तजुर्बों को जानने के लिए मीडिया ने खास बातचीत की। फरहान ने बताया कि उनके जीवन में फुटबॉल में कैरियर बनाना कोई सोची समझी रणनीति का हिस्सा नहीं था। बचपन में जब वह छोटे थे, उस समय वह गांव में अपने परिवार के बड़े भाइयों और मोहल्ले के अन्य लड़कों को खाली जगह को साफ कर फुटबॉल मैच खेलते देखते थे।
ग्रामीण इलाके में फुटबॉल इसलिए भी बच्चों के बीच प्रचलित था, क्योंकि इसको खेलने के लिए न्यूनतम संसाधन की आवश्यकता थी। फरहान बताते हैं कि छोटी उम्र में बच्चे आपस में पैसेजुटा कर उसे प्राइस मनी के तौर पर रखते थे। मैच जीतने-हारने वाले पक्ष को वह प्राइस मनी दी जाती थी। जब वह थोड़े और बड़े हुए तो जिन बच्चों को वह खेलते मैदान में देखे थे। उन्हीं के साथ वह साइकिल से आसपास के गांव में जाकर मैच खेलने देखने लगे। उन्हें भी यह आकर्षक लगा कि अगर वह फुटबॉल खेले तो उन्हें प्राइज मनी के तौर पर पैसे तो मिलेंगे ही। इसके साथ ही उन्हें आसपास के गांव में घूमने जाने का अवसर भी मिलेगा।

दोस्तों के साथ हुई शुरुआत
थोड़े समय बाद फरहान ने सोचा कि क्यों ना मोहल्ले के लड़कों को एक साथ जमा कर खुद की टीम बनाई जाए। ईद के मौके पर ईदी (मेला घूमने आदि को लेकर मिले पैसे) उन्होंने अपने मित्रों के साथ जमा किया। बाद में एक फुटबॉल खरीदकर ले आए। फिर वो खुद अपने दोस्तों के साथ स्थानीय स्तर के मैच खेलने लगे। इस दौरान किसी ने उन्हें साइंस फुटबॉल क्लब अकैडमी के संचालक इंतजार शेख के संपर्क में आने की सलाह दी।

कई क्लब के लिए की कोशिश
इस दौरान फरहान की उम्र 12-13 साल की हो चली थी। इंतजार की देखरेख में वह अब फुटबॉल का अभ्यास करने लगे। इंतजार के ही मार्गदर्शन में वह प्रतिष्ठित यूनाइटेड पंजाब क्लब में भर्ती होने की योजना बना पाए। वह पंजाब क्लब के जूनियर टीम का हिस्सा अंडर 17 टीम का हिस्सा बनना चाहते थे। इसके लिए वह पठानकोट जाकर अकेले ही ट्रायल मैच खेलने पहुंच गए। इसके बाद उन्होंने यूपी स्पोर्ट्स हॉस्टल में सिलेक्शन के लिए भी कई ट्राई मैच खेले।

घर वालों का मिला साथ
15 साल की उम्र होने पर उन्होंने गांव की टीम में खेलना शुरू कर दिया। खेल के प्रति जुनून को देखते हुए घर वाले अब उन्हें सहयोग देने लगे थे। इससे पहले फरहान को अपने घर वालों का समर्थन हासिल नहीं था। वह खाली समय में यूट्यूब पर फुटबॉल के चर्चित खिलाड़ियों के दांव को देखा करते थे। इस दौरान उन्हें इंतजार शेख ने बताया कि जर्मनी में वैश्विक स्तर का टूर्नामेंट एफसी बायर्न यूथ क्लब होने जा रहा है। एक मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए वह इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। फरहान ने ऐसा ही किया।

जर्मनी जाने के लिए हुआ सिलेक्शन
उन्होंने संबंधित एप्लीकेशन को डाउनलोड कर जर्मनी में खेले जाने वाले इस चर्चित टूर्नामेंट के लिए आवेदन कर दिया। पूरे देश के अलग-अलग राज्यों से खिलाड़ियों का इस टूर्नामेंट में खेलने के लिए पर चयन हुआ। यूपी से दो लोगों का चयन हुआ, जिसमें एक फरहान भी थे। बाद में गोवा में फाइनल सिलेक्शन किया गया। इन्हीं क खिलाड़ियों को लेकर इंडिया की टीम गठित की गई।

अर्जेंटीना से मुकाबले में मैच ड्रा
18 अक्टूबर से लेकर 23 अक्टूबर तक जर्मनी में बायर्न यूथ क्लब टूर्नामेंट खेला गया। इंडिया की टीम का पहला मुकाबला मेक्सिको से था। फरहान की टीम 2-0 से हार गई । इसके बाद उन्होंने और उनके साथी खिलाड़ियों ने मन बनाया कि वह जर्मनी से हार कर नहीं जाएंगे। वह बेहतर खेल का प्रदर्शन करेंगे और भारत का नाम रोशन करेंगे। फिर भारत का अर्जेंटीना के साथ मैच हुआ। अर्जेंटीना दुनिया की सबसे मजबूत फुटबॉल टीमों में से एक मानी जाती है। किसी तरीके से फरहान और उनके साथियों ने यह मैच ड्रा करने में कामयाबी हासिल की।

भारतीय टीम तीसरे नंबर पर रही
जर्मनी-इंडिया के मैच में भारतीय टीम 2-0 से जीतने में सफलता हासिल की। अमेरिका के साथ एक जीरो के स्कोर से फरहान की टीम जीती। वहीं साउथ अफ्रीका के साथ खेला गया मैच ड्रॉ हो गया। फरहान ने बताया कि वह फुटबॉल में ही अपना कैरियर बनाना चाहते हैं। जर्मनी में खेलना उनके लिए बेहद रोमांचक और बिल्कुल नया एक्सपीरियंस था। टीम ने मिलकर एफसी बायर्न यूथ क्लब टूर्नामेंट में भारत के टीम को तीसरा स्थान दिलाया है।
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