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गाजीपुर में पिता फीस नहीं दे पाए तो बेटी गंगा में कूदी; 45 हजार देने थे

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर में रविवार सुबह एक MA पास छात्रा ने गंगा पुल से छलांग लगा दी। उसका अभी तक कोई सुराग नहीं लग पाया है। बताया जाता है कि वह बीटीसी में एडमिशन लेना चाहती थी, लेकिन एडमिशन की फीस के पैसों की व्यवस्था न हो पाने से परेशान थी।

पास से गुजर रहे प्रत्यक्षदर्शी ने गंगा पुल पर ओढ़नी और चप्पल पड़ी देखी, तो पुलिस को सूचना दी। पुलिस परिवार वालों को लेकर पहुंची और नाविकों की मदद से नदी में उसकी खोजबीन शुरू कराई। फिलहाल उसका सुराग नहीं लग सका है।

दरअसल, छात्रा के पिता फीस का इंतजाम न कर पाने के चलते तनाव में थे, क्योंकि उनकी हाल ही में नौकरी चली गई थी। बेटी अपने पिता को टेंशन में देखकर परेशान थी। घटना सैदपुर नगर के वार्ड संख्या-12 की है।

पेट्रोल पंप पर काम करते थे पिता

वार्ड के रहने वाले गौरी शंकर सैनी नगर स्थित एक पेट्रोल पंप पर ऑयल फिलिंग का काम करते थे। करीब 8 महीने पहले उनकी नौकरी चली गई थी। उनकी 3 बेटियां राधिका, कोमल, निशा और दो बेटे राकेश तथा सूरज हैं। सबसे बड़ी बेटी राधिका (23) MA की पढ़ाई पूरी कर बीटीसी में एडमिशन लेना चाहती थी। कुछ दिनों पूर्व 5 हजार रुपए खर्च करके उसने काउंसिलिंग कराई थी। जिसमें उसे क्षेत्र के प्राइवेट मूलचंद बीटीसी कॉलेज में सीट मिली थी। एडमिशन लेने के लिए राधिका को 45 हजार रुपए की जरूरत थी।

बहन बोली- चाचा भी दीदी को पढ़ाना चाहते थे

राधिका की चचेरी बहन सोनी ने बताया," बहन के एडमिशन के लिए चाचा कुछ दिनों से रुपए की व्यवस्था में लगे थे। जिसे लेकर राधिका भी टेंशन में थी। बहन को लग रहा था कि ऐसा ना हो कि देरी के कारण उसको अलॉट सीट भी खत्म हो जाए और उसके इंतजार में कहीं दूसरे बीटीसी कॉलेजों की सीटें भी ना फुल हो जाएं। इस टेंशन के साथ-साथ पैसों की व्यवस्था में लगे पिता और मां की टेंशन भी उससे देखी नहीं जा रही थी। "

काउंसिलिंग के पैसे भी बर्बाद होने का डर था

छात्रा की बहन ने बताया, "मेरे पिता भी लोगों की दुकानों पर फूलमाला पहुंचाने का काम करते हैं। मुझे भी एडमिशन लेना था, लेकिन पैसों का इंतजाम नहीं हो पा रहा था। मैंने राधिका को समझाया था कि अगर इस साल एडमिशन नहीं हो पाया, तो हम लोग अगले साल एडमिशन ले लेंगे। लेकिन वह परेशान थी। उसे लग रहा था कि कहीं काउंसिलिंग के पैसे भी बर्बाद न हो जाएं।"

मां बोली- जेवर गिरवी रखकर एडमिशन करा देते

मां सुनैना देवी ने बताया, "मैंने भी राधिका को समझाया था कि वह परेशान ना हो। हम लोग व्यवस्था में लगे हैं। अगर सीट फुल हो गई, तो दूसरे कॉलेज में एडमिशन दिलाया जाएगा। पढ़ाई के लिए मैं अपने जेवर गिरवी रखने को तैयार थी। इन्हीं सब बातों को लेकर राधिका टेंशन में थी, जिसके चलते उसने ऐसा कदम उठा लिया। मेरी बेटी पढ़ने में बहुत होशियार थी।"

सरकारी में 20 हजार, प्राइवेट में 1 लाख है फीस

बता दें कि सैदपुर नगर स्थित जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में 10 हजार की सालाना फीस है। इस तरह यहां लगभग 21 हजार में छात्र-छात्राएं बीटीसी का कोर्स पूरा कर लेते हैं। यहां बीटीसी की कुल 200 सीटें हैं। जिसमें सबसे हाई मेरिट के आधार पर एडमिशन मिलता है। क्षेत्र के निजी बीटीसी कॉलेजों में 42 हजार सालाना फीस है। इस तरह एग्जाम, प्रैक्टिकल आदि फीस मिलाकर लगभग 1 लाख में बीटीसी का 2 साल का कोर्स पूरा हो पाता है।

ये राधिका है, जिसकी अभी भी तलाश की जा रही है।

5 किमी एरिया में हो रही तलाश

फिलहाल साढ़े तीन बजे तक स्थानीय गोताखोर और नाविकों की मदद से पुलिस छात्रा की तलाश में जुटी थी लेकिन उसका कोई सुराग नहीं लग सका है। नदी के किनारे के अलावा करीब 5 किमी के एरिया में उसकी तलाश की जा रही है।

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