Today Breaking News

गाजीपुर में 140 साल बाद सिग्नल के सहारे पहली बार दौड़ी पैसेंजर ट्रेन

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. दानापुर मंडल के दिलदारनगर - ताड़ीघाट ब्रांच लाइन पर मंगलवार से सिग्नल प्रणाली से डिटी (दिलदारगर-ताड़ीघाट) पैसेंजर ट्रेन पहली बार दिलदारनगर से सोनवल स्टेशन तक शाम के पहर दौड़ी। इस ब्रांच लाइन पर इससे पूर्व डिटी पैसेंजर ट्रेन टोकन सिस्टम के सहारे चल रही थी। ब्रांच लाइन पर सिग्नल प्रणाली कार्य सफल होने पर दानापुर मंडल के वरीय दूर संचार प्रबंधक ने कर्मियों के साथ नारियल फोड़ सभी को बधाई दी।

पीडीडीयू - पटना मेन रेल खंड से ताड़ीघाट ब्रांच लाइन को सिग्नल प्रणाली से जोड़ने के लिए सिग्नल विभाग से सुबह आठ बजे से शाम 6 बजे तक दानापुर मंडल के नियंत्रण कक्ष से 10 घंटा का ब्लॉक लगाया गया था। इस दौरान अप व डाउन लाइन में सिंग्नल प्रणाली कार्य बंद होने से अप व डाउन लाइन की ट्रेनों को होम सिग्नल पर रोक कर मेमो के सहारे चलाया गया था।

शाम 6 बजे के बाद कार्य पूर्ण होने पर ब्लॉक खत्म हुआ तो सिग्नल के सहारे ट्रेनें चलने लगी। वहीं, शाम के पहर जाने वाली डिटी पैसेंजर सिग्नल के सहारे नव निर्मित रेलवे स्टेशन सोनवल तक गई। नान इंटरलॉकिंग का कार्य दानापुर मंडल के सिग्नल व दूर संचार विभाग के इंजीनियर रजनीश कुमार के नेतृत्व में किया गया। अलख निरंजन, अवधेश कुमार,शमीम टीआई, स्टेशन प्रबंधक नफीस अहमद खान, यातायात निरीक्षक संजय कुमार, उप स्टेशन प्रबंधक सुभाष कुमार, नैवलेश कुमार सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

1880 के बाद पहली बार सिग्नल के सहारे दौड़ी डिटी पैसेंजर ट्रेन

दानापुर मंडल के दिलदारनगर - ताड़ीघाट रेल खंड पर सन 1880 के बाद पहली बार सिग्नल प्रणाली से ताड़ीघाट ट्रेन का मंगलवार से परिचालन शुरू होने से यात्रियों में हर्ष था। इससे पूर्व एक लाइन एक ट्रेन सिस्टम से टोकन के सहारे डिटी पैसेंजर चलती थी। 19 किलोमीटर लंबे इस रेलमार्ग का विद्युतीकरण कार्य पूरा हो जाने के बाद बीते 14 अगस्त 2020 को रेल संरक्षा आयुक्त पूर्वी परिमंडल एएम चौधरी ने निरीक्षण कर विद्युत इंजन से ट्रेन के परिचालन को हरी झंडी दी थी।

अब सिग्नल प्रणाली से ट्रेनों का परिचालन होगा। कोलकाता से गंगा नदी पर जहाजों के माध्यम सेे माल परिवहन के उद्देश्य से दिलदारनगर-तारीघाट रेलखंड का निर्माण ब्रिटिशकाल में 1880 में किया गया था। इसके बाद भाप इंजन से ट्रेन का परिचालन शुरू हुआ लेकिन वर्ष 1990 में इस रेलखंड को छोटी लाइन से बड़ी लाइन में परिवर्तित किया गया तो भाप इंजन की जगह डीजल इंजन ने ले लिया।

अब तीन दशक बाद इस रेल मार्ग पर डीजल इंजन की जगह इलेक्ट्रिक इंजन ने ले लिया। इस रेल मार्ग पर इलेक्ट्रिक इंजन से पैसेंजर ट्रेन का चलना लोगों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं। हालांकि यह आश्चर्य जनक कार्य का पूरा श्रेय तत्कालीन रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा को जाता है। उनके प्रयास ने ही रेलवे के नक्शे में उपेक्षित इस रेल मार्ग को मुख्य रेल मार्ग से जोड़ दिया है।

आने वाले दिनों में इस रेल मार्ग पर मेल व एक्सप्रेस ट्रेनें भी दौड़ने लगेगी। वहीं गाजीपुर और उसके आसपास के क्षेत्र के लोगों को रेलमार्ग से दिलदारनगर और बिहार आने में काफी सहूलियत होगी। दिलदारनगर-ताड़ीघाट ब्रांच लाइन को मऊ रेल लाइन से जोड़ने के लिए गंगा नदी में रेल सह रोड ब्रिज का निर्माण तेजी से चल रहा है। इस रेल पुल के चालू होने के बाद दिलदारनगर ताड़ीघाट रेल खंड जो अब तक केवल ताड़ीघाट तक है। वह गाजीपुर होते हुए मऊ से सीधे रेल लिंक से जुड़ जायेगा जो बिहार से उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के लिए वैकल्पिक रेलमार्ग होगा ।

ब्लॉक लगने से यह ट्रेनें रही प्रभावित

पीडीडीयू - पटना मेन रेल खंड से ताड़ीघाट ब्रांच लाइन को सिंग्नल प्रणाली से जोड़ने के लिए सिंग्नल विभाग द्वारा सुबह आठ बजे से शाम 6 बजे तक दानापुर मंडल के नियंत्रण कक्ष से 10 घंटा का ब्लॉक लगने से अप में पटना डीडीयू मेमो पैसेंजर, पाटलिपुत्र लोकमान्य एक्स, पटना अहमदाबाद एक्स, भागलपुर लोकमान्य तिलक एक्स, डाउन में मगध एक्स, डीडीयू पटना मेमो पसेंजर, अहमदाबाद, बरौनी त्रिपुरा सुंदरी एक्स, फिरोजपुर अगरतल्ला एक्स, ब्रम्हपूत्र मेल ट्रेन रही। - संवाद सूत्र

 
 '