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Ghazipur News:...और कोप भवन में चली गईं कैकेयी

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. कैकय नरेश अश्वपति सम्राट की पुत्री कैकयी राजा दशरथ की तीसरे नंबर की पत्नी थीं। बहुत ही सुंदर होने के साथ ही वीरांगना भी थी। संभवत: इसीलिए वह राजा दशरथ को प्रिय थी। एक बार राजा दशरथ ने देवासुर संग्राम में इंद्र के कहने पर भाग लिया था।

गाजीपुर की अति प्राचीन श्रीराम लीला कमेटी हरिशंकरी के तत्वाधान में लीला के चौथे दिन 13 अक्टूबर शुक्रवार को शाम 7ः00 बजे हरिशंकरी स्थित श्रीराम चबूतरा पर बन्दे वाणी विनायका आदर्श श्रीराम लीला मण्डल के द्वारा राजतिलक की तैयारी, मंथरा कैकेयी संवाद तथा कोप भवन लीला का मंचन किया गया।

इस संदर्भ में दर्शाया गया कि महाराज दशरथ अपने कुलगुरू महर्षि वशिष्ठ से राम के राज्य अभिषेक के विषय में विचार विमर्श कर रहे थे इसके बाद गुरू के आदेशानुसार अपने मंत्री सुमन्त को राजतिलक की तैयारी करने का आदेश देते है, राजा दशरथ के आदेशानुसार मंत्री सुमन्त द्वारा पूरा नगर ध्वज पताकाओं से सजवाया गया राजतिलक की पूरी तैयारी कर ली जाती है, इसी बीच दासी मंथरा नगर भ्रमण के दौरान नगर को सजा हुआ देखकर आश्चर्य में पड़ जाती है और दौड़ी हुई राजमहल की सजने की तैयारी से सम्बन्धित महारानी कैकेयी को सूचना देती है, कि महाराज अयोध्या का राज-पाट अपने प्रिय पुत्र श्रीराम को देने का मन बना रखे है, पूरी अयोध्या में राजतिलक की तैयारी हो रही है तथा पूरा नगरवासी खुशियों से झूठ उठते है। 

दासी ने कहा कि अगर महाराज दशरथ द्वारा राम को अयोध्या का राज मिल गया तोे आपका अस्तित्व गिर सकता है। अतः सारे वस्त्राभूषण उतारकर कोपभवन में फेककर जमींन पर लेट जाइये, दासी के इस बात को सुनकर कैकेयी को भवन में जाकर जैसा मंथरा ने कहा वैसा ही किया अतः दासी के कथनानुसार महारानी कैकेयी कोप भवन में चली जाती है, जब महाराज को कैकेयी केे कोपभवन की सूचना मिलती है तो राजदरबार से उठकर देखा कि कैकेयी सारे वस्त्राभूषण उतारकर जमींन पर फटे पुराने वस्त्रों को धारण कर कोपभवन में जा पहुँची इस लीला से दर्शक भाव विभोर हो गये। 

इस अवसर पर कमेटी के मंत्री ओमप्रकाश तिवारी, उपमंत्री लवकुमार त्रिवेदी, प्रबन्धक विरेश राम वर्मा, उप प्रबन्धक मयंक तिवारी, कोषाध्यक्ष रोहित कुमार अग्रवाल, राजेश प्रसाद, अशोक अग्रवाल, विशम्भर नाथ गुप्ता, डा0 गोपाल पाण्डेय, पं0 कृष्ण बिहारी त्रिवेदी पत्रकार, अनुज अग्रवाल, बालगोविन्द त्रिवेदी व रामसिंह यादव उपस्थित थे।


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