देवरिया नरसंहार में SDM-तहसीलदार समेत 15 अफसर सस्पेंड; CM योगी बोले- कोई भी दोषी बचेगा नहीं
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. देवरिया कांड के 4 दिन बाद योगी सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। सीएम योगी के निर्देश पर शासन ने SDM, सीओ रूद्रपुर, दो तहसीलदार, 3 लेखपाल, थाना प्रभारी रूद्रपुर समेत 8 सिपाहियों को सस्पेंड किया गया है। साथ ही लापरवाह तहसीलदारों, सीओ के खिलाफ विभागीय जांच के भी निर्देश दिए हैं। सीएम ने देवरिया कांड की खुद समीक्षा भी की। सीएम ने कहा, दोषी कोई भी हो वह किसी भी हाल में बचेगा नहीं।
घटना के दूसरे दिन 3 अक्टूबर को सीएम बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती मृतक सत्यप्रकाश दुबे के घायल बेटे का हाल जाना था। योगी ने घटना पर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी और कहा था कि दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।
वहीं जिस तरह जमीनी विवाद में इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया, उसको लेकर भी सीएम योगी ने नाराजगी जाहिर की थी और कहा था कि रुद्रपुर तहसील के राजस्वकर्मियों और थाने की पुलिस ने समय से मामले का निस्तारण कराने में ढिलाई क्यों बरती?
गुरुवार को शासन ने देवरिया हत्याकांड की रिपोर्ट सीएम के सामने पेश की। जिसमें दोषी कर्मचारी और अधिकारी की लापरवाही सामने आई। जांच में यह भी सामने आया है कि इस विवाद के संबंध में सत्यप्रकाश दुबे ने ग्राम समाज की भूमि पर अवैध कब्जा के संबंध में IGRS के जरिए कई शिकायतें की थीं। पुलिस और राजस्व विभाग में भी शिकायत भेजी थी। जबकि, दोनों विभाग के संबंधित अधिकारियों ने इसे न ही गंभीरता से लिया और न ही निस्तारण किया था।
सत्यप्रकाश की इकलौती बची बेटी ने कहा- पुलिस फोन उठा लेती तो आज मेरा परिवार जिंदा होता
एक दिन पहले ही दैनिक भास्कर ने सत्यप्रकाश की बड़ी बेटी शोभिता से बात की थी। शोभिता ने बताया था कि अगर पुलिस वाले शिकायत पर पहले ही एक्शन लेते तो आज मेरा परिवार खत्म नहीं होता। शोभिता ने कहा था,"2 अक्टूबर को सुबह 5 बजे मेरे छोटे भाई दीपेश का फोन आया। उसने बताया कि प्रेम यादव फिर घर पर आकर पापा से लड़ाई कर रहा है। दीदी तुम जल्दी पुलिस को फोन करो। वह पापा से मारपीट कर रहा है। मैंने उस वक्त से ही पुलिस को फोन करना शुरू किया। लेकिन, रूद्रपुर थाने से लेकर यूपी-112 तक का फोन नहीं उठा। मैं कभी भाई से फोन पर बात करती तो कभी पुलिस को फोन करती रही। लेकिन, कोई जवाब नहीं मिला।
कुछ देर बाद मेरे भाई का फोन आना बंद हो गया। इधर से मिलाने पर भी फोन काट दिया जाता था। फिर मैंने पापा का फोन ट्राई किया। उनके फोन पर भी ऐसा ही होता रहा। मुझे लगा कि शायद घर पर लड़ाई हो रही होगी। इसके बाद मेरे पापा और भाई दोनों का फोन बंद हो गया। घर में सिर्फ यही दो फोन थे। पड़ोस में भी कोई ऐसा नहीं था जिसे मैं फोन कर सकूं। मुझे किसी अनहोनी की आशंका हो गई।
इसके बाद मैंने गूगल से SP देवरिया का नंबर निकाला और फिर SP साहब को फोन किया। उनसे बात हुई, तब जाकर उन्होंने गांव में पुलिस भेजी। पुलिस पहुंची तो मेरे पापा, मम्मी, दो बहनें और एक भाई की मौत हो चुकी थी। दूसरे की सांस चल रही थी। उसे पुलिस अस्पताल ले गई। समय रहते अगर पुलिस का फोन उठ गया होता तो शायद आज मेरा परिवार जिंदा होता।''