गाजीपुर निवासी सेना के अफसर के परिजन वारदात से अनभिज्ञ, आंखों के रुक नहीं रहे मां और भाई के आंसू
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. मेरा मन मानने को तैयार नहीं है। ऐसा मेरा बेटा कभी नहीं कर सकता है। चंद्रशेखर कॉलोनी में पला-पढ़ा है, वहां के लोगों से पूछ सकते हैं, मेरा बेटा बहुत अच्छा है। यह वाक्य वारदात से अनभिज्ञ लाचार मां शारदा उपाध्याय के हैं,
जिसका बड़ा पुत्र लेफ्टिनेंट कर्नल राकेंन्दु उपाध्याय उर्फ बबलू एक नेपाली युवती की हत्या के आरोप में सलाखों के पीछे है। मां शारदा उपाध्याय और छोटा भाई मनीष उपाध्याय के साथ परिवार के लोग बिलख रहे हैं, घर में सन्नाटा पसरा हुआ है। वे समझ में नहीं पा रहे हैं कि आखिरकार एक हंसते-खेलते परिवार को किसकी नजर लग गई।
बाल विकास परियोजना में सुपरवाइजर के पद से सेवानिवृत्त शारदा उपाध्याय कोई फोन आने और घटना के बारे में पूछने पर फफक कर रो पड़ रहीं है। छोटे भाई मनीष उपाध्याय ने जैसे ही बड़े भाई के बारे में बतलाना चाहा उसका गला भर आया और आंखों से आंसू बहने लगे। रुंधे हुए गले से बताया कि फोन पर बहुत कम ही बात होती थी, व्हाट्सएप के जरिए लिखकर हाल-चाल पूछते थे। बच्चे की तरह समझाते थे।
वो जितना बहुत ख्याल रखता है। वह ऐसा नहीं कर सकता है। मेरे भाई को फंसाया गया है। ऐसी किसी भी वारदात का अंदाजा ही नहीं था। काफी सरल स्वभाव के साथ पढ़ने में होनहार भइया हमेशा अच्छी सीख देते थे। घर में एक लाचार मां और पत्नी बच्चों के साथ सुबकने को मजबूर हैं। किसी का मन मानने को तैयार नहीं है कि होनहार और सरल स्वभाव के बडे भाई द्वारा इस तरह का कदम उठाया होगा। इस दर्द को किससे बयां करूं, कुछ समझ में नहीं आ रहा है। अभी दो वर्ष पूर्व पिता बाल्मिकी उपाध्याय की मौत हो गई थी। पिता का साया उठने के दर्द से अभी परिवार उबरा ही नहीं था कि ऐसी घटना से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया।