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कहानी: मुक्त

नईनवेली दुलहन आरवी के हावभाव इतने ठंडे थे कि वंश को अपनी मर्दानगी पर शक होने लगा था. आखिर क्यों थी आरवी ऐसी...

सब मेहमानों को विदा करने के बाद वंश के शरीर का पोरपोर दुख रहा था. शादी में खूब रौनक थी पर अब सब मेहमानों के जाने के बाद पूरा घर भायभाय कर रहा था. सोचा क्यों न एक कप चाय पी कर थोड़ी थकान कम कर ली जाए और फिर वंश ने अपनी मम्मी शालिनी को आवाज दी, ‘‘मम्मी, 1 कप चाय बना दीजिए.’’फिर वंश मन ही मन सोचने लगा कि आरवी से भी पूछ लेता हूं.


बेचारी नए घर में पता नहीं कैसा महसूस कर रही होगी.वंश ने धीमे से दरवाजा खटखटाया तो आरवी की महीन सी आवाज सुनाई दी,‘‘कौन हैं?’’वंश बोला, ‘‘आरवी मैं हूं.’’अंदर जा कर देखा, आरवी एक हलके बादामी रंग का सूट पहने खड़ी थी. न होंठों पर लिपस्टिक, न आंखों में काजल, न ही कोई और साजशृंगार. ऐसा नहीं था कि वंश कोई पुरानी सोच रखता था, पर आरवी के चेहरे पर वह लुनाई नहीं थी जो नई दुलहन के चेहरे पर रहती है.वंश ने चिंतित स्वर में कहा ‘‘ठीक तो हो आरवी, चाय पीओगी?’’‘‘नहीं मैं चाय नहीं पीऊंगी,’’ और यह कहते हुए आरवी का स्वर इतना सपाट था कि वंश उलटे पैर लौट गया.


मन ही मन वंश सोच रहा था कि न जाने कैसी लड़की है. उस ने तो सुना था कि पत्नी के आने से पूरे जीवन में खुशी की रुनझन हो जाती है पर आरवी तो न जाने क्यों इतनी सिमटीसिमटी रहती है.रात को वंश कितने अरमान के साथ आरवी के पास गया था. कितनी सारी बातें करनी थी पर उस ने देखा आरवी गहरी नींद में सोई हुई है. वंश को थोड़ी निराशा हुई पर फिर लगा हो सकता है बेचारी थक गई होगी.


वैसे भी पूरी उम्र पड़ी है बात करने के लिए.अगले दिन वंश अपने दोस्त नीरज से यह बात बोल ही रहा था तो नीरज हंसते हुए बोला, ‘‘हरकोई तुम्हारी तरह बातों में शताब्दी ऐक्सप्रैस तो नहीं हो सकता है.’’‘‘कुछ समय दो एडजस्ट हो जाएगी.’’‘‘वैसे भी लड़कियां अपना घरपरिवार सबकुछ छोड़ कर आती हैं तो उन्हें एडजस्ट होने में कुछ समय लगता है.’’आज रात वंश और आरवी अपने हनीमून के लिए मौरिशस जा रहे थे.


वंश ने खुश होते हुए कहा, ‘‘आरवी पैकिंग करने में मदद करूं क्या?’’आरवी ठंडे स्वर में बोली, ‘‘थैंक्यू वंश, मैं ने कर ली है.’’वंश को यह देख कर बहुत आश्चर्य हुआ कि आरवी का बस एक छोटा सा बैग था जिस में 4 या 5 टीशर्ट और 3 जींस थीं. आरवी से बड़ा तो वंश का ही बैग था. वंश के जीवन में आरवी पहली लड़की नहीं थी, उस की पहले भी गर्लफ्रैंड रह चुकी हैं. लड़कियों को तो कपड़ों, गहनों और मेकअप का कितना शौक होता है.पूरे रास्ते विमान यात्रा में भी आरवी के मुंह पर चुप्पी का ताला लगा हुआ था. वंश तो आरवी की सादगी पर पहले दिन से ही मोहित था.


उस के होंठों पर छोटा सा काला तिल, थोड़ी सी उठी हुई छोटी सी नाक, हंसते हुए गालों पर पड़ते गड्ढे, उठे हुए चीकबोंस और लहराते काले घुंघराले बाल आरवी का रूखापन उसे समझ नहीं आ रहा था.मौरिशस में होटल के कमरे में पहुंच कर आरवी ऐसे सहम गई जैसे वंश उस का पति नहीं कोई अजनबी हो.वंश ने सोचा शायद आरवी हनीमून में थोड़ी खुल जाए. रात को आरवी बाथरूम से नहा कर निकली तो बच्चों जैसा नाईट सूट पहनी थी.वंश का सर्वांग जल गया.


वंश झंझला कर बोला, ‘‘आरवी, तुम्हें शादी का मतलब पता है या नहीं?’’आरवी कुछ न बोली पर उस की आंखों से टपटप आंसू गिरने लगे.वंश घबरा गया और बोला, ‘‘आरवी मेरा वह मतलब नहीं था. सौरी मैं तुम्हारा दिल नहीं दुखाना चाहता था पर तुम मुझ से इतनी दूर क्यों रहती हो?’’आरवी धीमे से बोली, ‘‘वंश, मुझे कुछ टाइम दे दो.’’‘‘आरवी, मैं तैयार हूं, पर थोड़ा मुसकरातो दो.’’हनीमून में भी दोस्ती करने की सारी कोशिश वंश ही करता रहा था… आरवी वहां हो कर भी नहीं थी.


वंश को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, किस से बात करे? दोस्तों से बात करेगा तो वे उस का मजाक उड़ाएंगे कि वह अपनी बीवी को काबू में नहीं रख पाया है.आरवी का बर्फ जैसा ठंडा व्यवहार वंश को अंदर तक जला देता था. वंश जैसे ही रात में आरवी के करीब जाने की कोशिश करता, आरवी की घिग्घी बंध जाती. वंश को ऐसा महसूस होता जैसे वह कोई बलात्कारी हो.


वंश का मन सिहर उठता और वह आरवी को परे धकेल देता. कभी वंश को लगता कि आरवी के मम्मीपापा से बात करे या उस की सहेलियों से कि क्या आरवी को कोई समस्या है?मौरिशस से सीधे वंश और आरवी मुंबई चले गए, जहां वंश की नौकरी थी. अगले दिन वंश के औफिस जाने के बाद आरवी ने घर की कायापलट ही कर दी थी. वंश जब लौटा तो चकित रह गया.


आरवी की चुप्पी तो नहीं टूटी थी पर वह घर में वंश के साथ रचबस गई थी.एक दिन वंश आरवी से बोला, ‘‘घर की याद आ रही है क्या? तुम शादी के बाद एक बार भी अपने घर नहीं गई हो, तुम्हारी पगफेरे की रस्म भी होटल में ही कर दी थी.’’आरवी ने कहा, ‘‘नहीं वंश मैं ठीक हूं.’’वंश को याद आया कि आरवी को उस ने कभी अपने घर बात करते नहीं देखा और न ही वह और लड़कियों की तरह सारासारा दिन अपने मोबाइल में लगी रहती है.


रात के 8 बज गए थे. वंश अभी तकदफ्तर से नहीं आया था और आरवी बेचैनी से वंश की प्रतीक्षा कर रही थी. जैसे ही वंश ने घंटी बजाई आरवी दौड़ आई और बोली, ‘‘कहां चले गए थे?’’ वंश मुसकराते हुए बोला, आरवी कपड़े बदल लो… चलो आज डिनर करने बाहरचलते हैं.’’आरवी एक सादा सा कौटन का सूट पहनने के लिए निकली थी कि तभी वंश बोला, ‘‘रुको,’’ फिर शिफौन का मैहरून रंग का गाउन निकाल कर आरवी को दे दिया और साथ में मोतियों का सैट.जब आरवी तैयार हो कर आई तो वंश बोला, ‘‘आरवी आज इतनी सुंदर लग रही हो कि आंखें नहीं ठहर रही हैं मेरी.’’आरवी शरमाते हुए बोली, ‘‘वंश, तुम कुछ भी बोलते रहते हो.’’वंश कार ड्राइव करते हुए सोच रहा था शुक्र है कम से कम आरवी हंसी तो.


डिनर करते हुए वंश ने आरवी से उस के शौक और दोस्तों के बारे में बातचीत करी पर परिवार की बात करते ही आरवी चुपहो गई. वंश को इतना तो समझ आ गया था कि कोई बात तो है जो आरवी के परिवार से जुड़ीहुई है.1 माह बीत गया था. आरवी बोलती तोअब भी कम ही थी, परंतु इस जीवन में रचबस गई थी, वंश की पसंदनापसंद को आरवी जान चुकी थी.खाने में क्या बनाना है जैसे छोटी सीबात को भी वह वंश से 10 बार पूछती थी.कोई भी फैसला आरवी अपनेआप से लेने में सक्षम नहीं थी.


वंश धीरेधीरे आरवी को घर के साथसाथ बाहर के काम की भी जिम्मेदारी देने लगा था. जो आरवी घर से बाहर पैर निकालनेमें पहले 10 बार ?झिकती थी अब वही मुंबईके हर कोने से परिचित थी. परंतु आरवी और वंश का रिश्ता अब भी उतना ही औपचारिक था.देखते ही देखते करवाचौथ का त्योहार आ गया था. वंश ने आरवी के लिए मम्मी के कहे अनुसार साड़ी, गहने और चूडि़यां ले आया था. करवाचौथ से एक दिन पहले वह शाम को ही आ गया था. उस ने आरवी को कुछ नहीं करने दिया. उस के हाथों में मेहंदी लगवाई और रात का खाना बाहर से पैक करवाया.


रात में वंश ने आरवी को अपने हाथों से खाना खिलाया तो आरवी बोली, ‘‘वंश आई एम वैरी हैप्पी.’’वंश बोला, ‘‘आरवी मैं कब हैप्पी बनूंगा.’’आरवी वंश की बात सुन कर एकदम से सकपका गई.करवाचौथ की रात को आरवी इतनी सुंदर लग रही थी कि वंश अपनेआप को रोक नहीं पाया था, पर आरवी के बर्फ जैसे ठंडे शरीर को बांहों में लेते ही वह सिहर उठा. अब तो वंश को ये लगने लगा था शायद वह ही नामर्द है, जिस कारण आरवी को वह उत्तेजित नहीं कर पाता है. वंश इतना परेशान हो चुका था कि उस ने फैसला कर लिया कि वह 3-4 दिन के लिए गोवा चला जाएगा.


जब उस ने आरवी को बताया तो आरवी अपना सामान भी रखने लगी, तभी वंश बोला, ‘‘आरवी, मैं जा रहा हूं, तुम नहीं.’’‘‘तुम तो मेरी छाया से भी दूर भागती हो, तो तुम यहां पर ही अपनी कंपनी ऐंजौय करो.’’आरवी को वंश से यह उम्मीद नहीं थी पर वह क्या बोलती?गोवा से जब चौथे दिन वंश लौटा तो आरवी वंश से बोली, ‘‘देखो मैं बुरी ही सही पर तुम आगे से मुझे छोड़ कर मत जाना. पता है मैं तुम्हारे बिना कितना अधूरा महसूस कर रही थी?’’‘‘आरवी, तुम एक रोबोट हो, तुम्हारे अंदर कोई संवेदना नहीं है…


पर मैं एक इंसान हूं… मैं तुम्हें प्यार करता हूं पर मैं अपनी शारीरिक जरूरतों का क्या करूं? क्या तुम किसी और से प्यार करती हो या मैं तुम्हारे लायक नहीं हूं?’’आरवी बोली, ‘‘वंश ऐसा नहीं है, मैं ही तुम्हारे लायक नहीं हूं… यह शादी मेरी गलती की सजा है, वह गलती जिसे मैं ने जानबूझ कर नहीं बल्कि अनजाने में किया था,’’ अचानक आरवी ने यह कह कर अपनी जीभ काट ली.वंश सकते में आ गया, ‘‘क्या यह शादी आरवी के लिए सजा है?’’ वंश को एकाएक बहुत तेज गुस्सा आ गया.


मन करा कि आरवी से पूछे कि जब शादी का मन ही नहीं था तो क्यों उस की जिंदगी खराब कर दी.आरवी के मुंह से बात तो निकल गई थी पर उसे समझ आ गया था कि वंश आहत हो गया है. शाम को जब आरवी वंश के लिए चाय ले कर आई तो चुपचाप उस के पास बैठ गई और बोली, ‘‘वंश मैं आप को दुख नहीं पहुंचाना चाहती थी.’’‘‘आरवी मुझे पूरा सच जानना है… मुझे इस जबरदस्ती के रिश्ते से मुक्त कर दो.’’


आरवी भर्राई आवाज में बोली,’’ वंश, पूरा सच जान कर आप मुझ से नफरत करने लगोगे…‘‘शायद घर से चले जाने को भी कह दे.’’‘‘वंश मैं आप को खोना नहीं चाहती हूं, यह घर मुझे अपना लगता है, आप मुझे अपने लगते हो.’’वंश प्यार से उस के सिर पर हाथ फेर कर बोला, ‘‘आरवी, मैं तुम से एक पति की हैसियत से नहीं, बल्कि एक दोस्त के तौर पर बात करना चाह रहा हूं.’’‘‘जब मैं कालेज में अंतिम वर्ष में थी, तब मेरी जिंदगी में रोशन आ गया था. मैं उस से बेहद प्यार करने लगी थी और वह भी मुझे बेहद चाहता था…


वंश रोशन के साथ मैं थोड़ा आगे तक निकल गई थी जिसे हमारे समाज में गलत मानते हैं. मैं उस के प्यार में बावरी हो गई थी.‘‘जब मेरा परिवार लड़का देखने लगा तो मैं ने अपने परिवार को रोशन के बारे में बताया, पर मम्मीपापा ने यह कहते हुए मना कर दिया कि वे लोग उस जाति से हैं जो काफी रूढि़वादी होते हैं और आर्थिक रूप से भी रोशन का परिवार अधिक संपन्न नहीं है. पर मेरे ऊपर तो इश्क का जनून सवार था, मैं ने रोशन को जब सारी बात बताई तो उस ने कहा कुछ सोचने का समय दो.‘‘एक दिन जब मुझे पता चला कि आप लोग मुझ से मिलने आ रहे हैं, तो मैं रात को घर से निकल गई और रोशन के फ्लैट में पहुंच गई.‘‘रोशन मुझे इस तरह देख कर हक्काबक्का रह गया. उस के 2 और दोस्त जो वहीं उस के साथ रहते थे मुझे अजीब नजरों से देख रहे थे.


फिर रोशन मुझे एक कमरे में ले गया और बोला कि चलो आज फिर से सुहागरात मना लेते हैं. मैं घबरा गई और बोली कि रोशन प्लीज अभी नहीं.. तुम कुछ भी करो पर मुझे अपना बना लो. मैं तुम्हारे अलावा किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकती हूं. इस पर रोशन हंसते हुए बोला कि जान वही तो करने की कोशिश कर रहा हूं.‘‘मैं ने जैसे ही रोशन को धक्का दिया तो वह तिलमिला उठा और बोला कि निकलो यहां से, मैं ने कोई धर्मशाला नहीं खोल रखी है… जा कर पहले सैक्स ऐजुकेशन लो फिर शादीवादी के बारे में सोचना… निहायत ठंडी हो तुम, पहली बार भी तुम एक लाश की तरह पड़ी रही थी.जब मैं रोशन के हाथों अपमानित हो कर अपने घर पहुंची तो मम्मी ने मुझे आड़े हाथों लिया.


भैया ने 3-4 थप्पड़ लगा दिए. पापा मुझे नफरतभरी नजरों से देख रहे थे. सब ने मुझे चरित्रहीन और गिरी हुई लड़की मान लिया. किसी ने मुझ से बात नहीं करी. ‘‘मैं अंदर ही अंदर घुट रही थी. चाहती थी कोई तो मुझ से बात करे, मेरे साथ मेरे दर्द को बांटे. वंश मेरी गलती बस इतनी थी कि मैं ने रोशन पर भरोसा किया. पर कभी लगता है मैं बेवकूफ हूं. मुझे कोई फैसला लेना ही नहीं आता है.‘‘फिर लगता है शायद रोशन ठीक ही कहता है… मैं सैक्स के लायक नहीं हूं. आप लोग कब आए, कब मेरी शादी तय हुई. मुझे शायद कुछ भी याद नहीं और फिर आरवी फूटफूट कर रोने लगी.


उस की हिचकियां बंध गई पर फिर भी वह आगे बोलती रही, ‘‘मैं आप के काबिल नहीं हूं, मैं आज तक तुम्हारे साथ पतिपत्नी का रिश्ता नहीं बना पाई हूं. शायद मैं कभी किसी पुरुष को खुश नहीं कर पाऊंगी.’’वंश सारी बातें सुनने के बाद बोला, ‘‘आरवी तुम्हारी कोई गलती नहीं है. तुम क्यों खुद को सजा दे रही हो? तुम्हें रोशन जैसे लड़के ने कुछ भी कहा और तुम ने उसे सच मान कर स्वीकार कर लिया.‘‘नई जिंदगी को खुले दिल से स्वीकार करो. अगर मैं पसंद नहीं हूं तो मैं खुद तुम्हें इस रिश्ते से मुक्त करा दूंगा. अन्यथा खुद को इन पूर्वग्रहों से मुक्त करो.’’आरवी ?


झिकते हुए बोली, ‘‘वंश, क्या आप मुझे चरित्रहीन, गिरी हुई लड़की नहीं मानते हो?’’ ‘‘आरवी उस हिसाब से मैं अधिक चरित्रहीन हूं, क्योंकि मेरी जिंदगी में भी तुम से पहले 3 लड़कियां आई थीं.’’आरवी फिर सहमते हुए बोली, ‘‘अगर मैं आप को पूरी उम्र पत्नी का सुख  नहीं दे पाई तो?’’ ‘‘आरवी, मेरे लिए तुम्हारा प्यार और सम्मान, शारीरिक नजदीकी से अधिक जरूरी है. फिर डाक्टर्स किस मर्ज की दवा हैं? सब से पहले अतीत के पन्ने को फाड़ दो. खुद को अतीत से मुक्त कर के मुझे खुले दिल से अपना लो और इस का एक ही तरीका है रोशन और अपने परिवार के साथसाथ खुद को भी माफकर दो.‘‘तुम्हारे परिवार ने जो भी किया वह सही है या गलत है, मुझे नहीं पता है, पर उन्हें माफ कर दो और आगे बढ़ो.


जब तक तुम खुद को अतीत से मुक्त नहीं करोगी, इस रिश्ते को अपना नहीं पाओगी.’’उस रात घर का कोनाकोना खुशी से भरा था. आरवी लाल और हरी साड़ी में बहुत सुंदर लग रही थी.वंश आगे बढ़ कर आरवी को गले लगाने ही वाला था कि कुछ सोचते हुए एकाएक रुक गया. आरवी ही चुपके से वंश के गले लग गई. तब वंश को ऐसा महसूस हुआ मानो आज वास्तव में आरवी अपने अतीत से मुक्त हो कर उस की बांहों में पिघल रही थी.

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