अलनीनो ने छीन ली पूर्वांचल की 30% बारिश, इन जिलों की स्थिति चिंताजनक
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. इस साल पूर्वी यूपी में 30% बारिश कम हुई है। वजह है कि अलनीनो यानी प्रशांत महासागर की गर्म जलधारा, जिसने पूर्वांचल की 30% मानसूनी बारिश छीन ली। पूरे उत्तर प्रदेश की बात करें तो 75 में 45 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई। जबकि 18 जिलों में सामान्य बारिश हुई है। वहीं, 10 जिलों में सामान्य से ज्यादा बरसात हुई है।
वहीं देश के लिहाज से पूर्वी यूपी देश का तीसरा जोन है। जहां इतनी कम बारिश है। पहले और दूसरे नंबर पर केरल 43% और पश्चिम बंगाल 33% हैं।
ग़ाज़ीपुर, वाराणसी, चंदौली, मऊ, मिर्जापुर और कौशांबी की स्थिति चिंताजनक
मौसम विज्ञान विभाग ने यूपी के 4 जिलों को लार्जेस्ट डिफिशिएंट (LD) कैटेगरी यानी सबसे कम बारिश वाली श्रेणी में शामिल किया है। यानी यहां की स्थिति काफी चिंताजनक है। इनमें से 3 जिले पूर्वांचल के चंदौली, मऊ, मिर्जापुर और एक कौशांबी है। यहां सबसे कम बारिश हुई।
अब एक नजर मौसम की कंडीशन पर...
जुलाई और अगस्त महीने में 177MM और जुलाई में 194 MM बारिश हुई। जबकि, अगस्त की सामान्य बारिश 273 MM और जुलाई की 309MM रहती है। यानी कि इस साल मानसून पर सूखे की चपेट पड़ी है। BHU के मौसम वैज्ञानिक प्रोफेसर मनोज श्रीवास्तव का कहना है,' मानसून तो अब लौटने लगा है। विदाई के मौके पर थोड़ी बरसात करा रहा है। लेकिन, बस अब इससे ज्यादा बारिश नहीं मिलने वाली।
पूर्वांचल में मानसून कम बरसा
मौसम वैज्ञानिक प्रोफेसर मनोज श्रीवास्तव के अनुसार, पूर्वांचल में मानसून कम बरसा है। पूरा का पूरा इलाका सूखे के चपेट में है। बारिश की मात्रा और दिन दोनों में 40% की एवरेज कमी देखी गई है। इस बार प्रशांत महासागर में उठे अलनीनो का सीधा इफेक्ट पूर्वांचल के 5-6 जिलों पर पड़ा है। असल में अलनीनो ने ही पूर्वांचल में मानसून में कम बारिश कराई। अलनीनो का असर यह हुआ कि यूपी में कहीं जरूरत से ज्यादा बारिश और कहीं पर सूखे वाली स्थिति बन गई।
क्या है अलनीनो?
अमेरिकन जियो साइंस इंस्टीट्यूट के अनुसार, अलनीनो का संबंध प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर होने वाले बदलावों से है। अलनीनो पर्यावरण की एक स्थिति है, जो प्रशांत महासागर के भूमध्य क्षेत्र में शुरू होती है। सामान्य शब्दों में कहें तो, अलनीनो वह प्राकृतिक घटना है, जिसमें प्रशांत महासागर का गर्म पानी उत्तर और दक्षिण अमेरिका की ओर फैलता है और फिर इससे पूरी दुनिया में तापमान बढ़ता है। इस बदलाव के कारण समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है। यह तापमान सामान्य से कई बार 0.5 डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा हो सकता है। ये बदलाव अमूमन 9 से 12 महीने तक होते हैं। लेकिन, कई बार लंबे भी चलते हैं। कोई भी दो अलनीनो एक के बाद एक नहीं आते हैं।
10 साल में 2 बार आता है अलनीनो
अलनीनो 10 साल में 2 या 3 बार आता है। इसका असर 8-10 महीनों तक रहता है। इस स्थिति में मानसून के 30-40% तक कमजोर होने की उम्मीद की जा रही है। हो सकता है कि मानसून आते ही तेज बारिश हो जाए, लेकिन अगस्त-सितंबर तक जाते-जाते सूखा पड़ने लगे। जबकि, राजस्थान से सितंबर तक मानसून लौटता है। पिछले साल दिसंबर में दक्षिण अमेरिकी देश इक्वाडोर और पेरू के पास प्रशांत महासागर में अलनीनो की कंडीशन बनी थी। यानी कि यहां के समुद्र में गर्म जलधाराएं चल रही थीं। मौसम विज्ञान के अनुसार, जिस साल अलनीनो की कंडीशन बनती है, उस साल भारत में मानसूनी बारिश कम होती है।