CM योगी ने बताया पिता से मुलाकात का किस्सा; कहा-वह भीड़ में बैठे थे, मैंने मंच से देखा
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. सीएम योगी आदित्यनाथ ने 30 साल पहले घर छोड़कर संन्यास लिया था। लेकिन, परिवार से जुड़े सवालों पर वह अक्सर भावुक हो जाते हैं। ANI के इंटरव्यू में भी जब 30 साल से राखी नहीं बंधवा पाने का सवाल पूछा तो वह थोड़ा भावुक हुए। हालांकि, उन्होंने बेबाकी से जवाब दिए। यही नहीं, जब योगी सीएम बन चुके थे, उसके बाद पिता से एक जनसभा में मुलाकात का किस्सा भी उन्होंने सुनाया। चलिए, पढ़ते हैं वह किस्सा और उस इंटरव्यू के कुछ अंश..
मैंने देखा पिता जनसभा की भीड़ में बैठे थे..
इस इंटरव्यू में जब योगी से सवाल पूछा गया कि वह मुख्यमंत्री बन गए तब उनके पिता उनसे मिलने आते थे? जवाब में योगी ने कहा, "वह यहां कभी नहीं आए।" योगी ने पिता से आखिरी मुलाकात का किस्सा भी सुनाया। कहा कि उनसे मेरी एक बार मुलाकात नजीमाबाद में हुई थी। वहां मैं एक चीनी मिल के उद्घाटन में गया था।
भाषण करते हुए मैंने सामने भीड़ में देखा कि कोई बैठा है। मैंने दूर से पहचान गया कि यह तो मेरे पिताजी हैं। वह सभा के बीच में बैठे हुए थे। सभा समाप्त होने के बाद मैंने अपने साथ के कुछ लोगों से कहा कि वह आए हैं, उन्हें बुला लाओ। उनसे मुलाकात करें। तभी मेरी भेंट हुई थी।
मां और बेटे के बीच में जो संवाद होने चाहिए, वही हुए थे...
योगी से जब सवाल पूछा गया कि कुछ समय पहले उन्होंने एक फोटो ट्वीट की थी। जब वह अपनी मां से मिलने गए गए थे। जवाब देते हुए योगी थोड़ा भावुक हो गए। कहा,"मैं कई वर्षों के बाद मां से मिलने गया था। मेरे पिताजी का 2020 में देहांत हो गया था। मैं उससे पहले उनसे या परिवार के लोगों से कई सालों से नहीं मिल पाया था। फिर कोरोना में लॉकडाउन शुरू हो गया। मैं उनके अंतिम संस्कार में भी नहीं जा पाया था। मुझे जब पिछले साल अवसर मिला तो अपनी मां से मिलने के लिए जरूर गया था। स्वाभाविक रूप से एक मां और पुत्र के बीच में जो संवाद होने चाहिए...वही बातें वहां हुई."
छोटी बहन के 30 साल से राखी ना बांध पाने के बयान पर क्या बोले सीएम योगी
ये तस्वीर योगी आदित्यनाथ की बहन शशि की है। अपनी चाय बनाकर बेचती हैं। |
योगी आदित्यनाथ से जब यह सवाल पूछा गया कि उनकी छोटी बहन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि 30 साल से उन्होंने आपको राखी नहीं बांधी। इसके जवाब में उन्होंने कहा,"यह सबके जीवन में आता है। लेकिन मुझे लगता है कि इन चीजों को हमें केवल अपने स्वयं के स्मरण के लिए रखना चाहिए। मुझे लगता है यही जीवन है।"
योगी आदित्यनाथ में जब पिता से जनसभा में मुलाकात की, उस समय की ये तस्वीर है। |
एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद कई लोग कहते थे कि आपको शर्म नहीं आती, आप मुख्यमंत्री की बहन हैं। आप चाय की दुकान चलाती हैं? इस हालत में रहती हैं, तो उनकी बहन ने कहा कि ऐसा कहने वालों को एक ही बात कहती हूं, मैं गरीब हूं...यह मेरा नसीब है। शर्म तो तब आनी चाहिए, जब आप कोई गंदा काम कर रहे हो। किसी के हक का छीनकर खा रहे हो। मैं तो मेहनत करके अपनी गुजर-बसर करती हूं।
इस सवाल के जवाब में योगी ने कहा,"ये बिल्कुल ठीक बात है, देखिए...व्यक्ति को कभी भी धन और वैभव संतुष्टि नहीं दे सकते हैं। मुझे लगता है कि सबसे बड़ा योगी वह है, जो स्वयं की मेहनत से संतुष्ट है। दूसरों की मेहनत से कुछ प्राप्त करना और फिर से छीन लेना यह तो डकैती है। यही अंतर है एक योगी और एक सांसारिक व्यक्ति में।"
"सांसारिक व्यक्ति के बारे में कुछ बातें शास्त्रों में कही गई हैं कि वो हमेशा भ्रमित होंगे। हमेशा उसके मन में दूसरों को धोखा देने की प्रवृत्ति होगी। वह अपनी सीमित दृष्टि से भविष्य का अनुमान नहीं लगा पाएगा। हर व्यक्ति अपने आप में एक योगी बन सकता है। मैं भी भूखा ना रहू, साधु न भूखा जाए...यह भाव अगर व्यक्ति के अंदर आ जाए तो यह सब की संतुष्टि का कारण बन सकता हैं। सारे विवादों का हल हो सकता है।"
खुद के योगी बनने और फिर सार्वजनिक जीवन में आने की बात बताई
मुख्यमंत्री ने कहा कि योगी के रूप में सार्वजनिक जीवन में हम किसी पद-प्रतिष्ठा के लिए नहीं। बल्कि इस कार्य के लिए आए हैं कि ये एक सेवा का माध्यम है। हम समाज के अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति की सेवा इस पद पर रहकर कर सकते हैं। उसी लक्ष्य को लेकर के कार्य करते हैं।
'सरकारी संपत्ति कब्जा करने वालों की क्या आरती उतारूं'
कोई निर्दोष मुस्लिम आकर कह दे कि मेरा घर गिरा है। कोई नहीं कहेगा। माफिया के घर पर बुलडोजर चलाकर ध्वस्त करना सरकार का ही काम है। अगर किसी ने सरकारी संपत्ति पर कब्जा किया है, तो उसके लिए क्या करूं, आरती लेके जाऊं, थाली सजाऊं उनकी। बीजेपी को जनादेश जो मिला वह इसी के लिए मिला।