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गाजीपुर में जूते की माला-पहनाकर ब्राह्मणों ने फूंका स्वामी प्रसाद का पुतला, योगी सरकार से की कार्रवाई की मांग

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा ब्राह्मणों के विषय में दिये गये विवादित बयान को लेकर, सैदपुर क्षेत्र के आक्रोशित ब्राह्मणों ने बुधवार को विरोध प्रदर्शन किया। जिसमें जूतों की माला पहनाकर स्वामी प्रसाद मौर्य का पुतला फूंका गया। इस दैरान मुर्दाबाद का नारा लगाते हुए, ब्राह्मण समुदाय के लोगों ने प्रदेश सरकार से स्वामी प्रसाद मौर्य पर कार्रवाई की मांग किया।

गौर तलब है कि बीते 27 अगस्त को स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर विवादित बयान दिया था। जिसे लेकर सैदपुर क्षेत्र के कई ब्राह्मण संगठनों ने विरोध जताया। विरोध के क्रम में दर्जनों आक्रोशित ब्राह्मण बुधवार को वाराणसी गोरखपुर हाईवे के सिधौना चौराहे पर स्वामी प्रसाद मौर्य का पुतला लेकर इकट्ठा हुए।

यहां पुतले को जूते की माला पहनाई गई। इसके बाद इसे सिधौना बाजार में स्वामी प्रसाद मौर्य मुर्दाबाद का नारा लगाते हुए घुमाया गया। वापस चौराहे पर आने के बाद आक्रोशित प्रदर्शनकारीयों ने स्वामी प्रसाद मौर्य के पुतले में आग लगा दिया।

ब्राह्मणों ने कहा मीडिया में बने रहने के लिए दे रहे है विवादित बयान

शिवाजी मिश्रा ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को हिन्दू धर्म के प्रति गलत बयानबाजी करने का अधिकार नही है। स्वामी प्रसाद मौर्य की राजनीति दम तोड़ रही है, इसलिए मीडिया में ऐसे बयान देकर वह खुद को चर्चा में लाने का प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस नेता जिलाजीत तिवारी ने कहा कि हिन्दू धर्म और ब्राह्मण जाति के खिलाफ बोलने वाले नेता अपने पार्टी के सबसे बड़े दुश्मन है। धर्म के बढ़ते प्रभाव को देखकर, धर्म विरोधी लोगों में बौखलाहट पैदा हो गई है।

स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयान से नाराज है ब्राह्मण

बीते 27 अगस्त को सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक और विवादित बयान दिया था। जिसमें उन्होंने ब्राह्मणवाद की जड़ों को गहरा बताते हुए, ब्राह्मणों को सारी विषमता का कारण बताया था। कहा था "हिंदू नाम का कोई धर्म है ही नहीं। हिंदू धर्म केवल धोखा है। सही मायने में जो ब्राह्मण धर्म है, उसी ब्राह्मण धर्म को हिंदू धर्म कहकर के इस देश के दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों को अपने धर्म के मकड़जाल में फसाने की एक साजिश है।

अगर हिंदू धर्म होता तो आदिवासियों का भी सम्मान होता, दलितों का भी सम्मान होता, पिछड़ों का भी सम्मान होता"। विरोध प्रदर्शन में रामभद्र पाठक, करुणाशंकर मिश्रा, पंकज मिश्रा, शुभम पांडेय, अखिलेश मिश्र, श्रवण कुमार, भोला पांडेय, विनय सिंह, अमित मिश्रा आदि शामिल रहे।

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