बाढ़ में कैसे बचेगी जान, जिन्हें तैराकी नहीं आती, उन्हें बाढ़ क्षेत्र में बनाया आपदा मित्र - Saidpur News
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. Saidpur News: सैदपुर तहसील में हुए आपदा मित्रों के चयन में भारी गड़बड़ी प्रकाश में आई है। जिसमें कई ऐसे लोगों का चयन भी कर लिया गया है। जिन्हें सबसे अनिवार्य चीज तैराकी ही नहीं आती। बाढ़ जैसी आपदा के दौरान, लोगों की जान बचाने के बजाय आपदा मित्र खुद बाढ़ में डूब कर अपनी जान गंवा सकते हैं। ऐसे लोगों से बाढ़ के दौरान सहयोग लेना, बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है।
वर्ष 2021 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आपदा के दौरान सहयोग के लिए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में आपदा मित्र स्वयं सेवक बनाने का निर्देश दिया था। जिसके क्रम में दो वर्ष बाद, 1 माह पूर्व सैदपुर आपदा विभाग द्वारा आपदा मित्र बनाने की कार्रवाई शुरू की गई। इस दौरान 3 बैच में बड़े पैमाने पर बाढ़ प्रभावित, गंगा, गोमती और गांगी नदी के किनारे के क्षेत्र में आपदा मित्र बनाए गए। जिसके पहले बैच में 22, दूसरे में 41 और तीसरे में 25 लोगों सहित, कुल 87 लोगों का चयन कर, उन्हें आपदा मित्र बनाया गया।
सभी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में करेंगे सहयोग
चयनित आपदा मित्रों के चार्ट में में मात्र 20 तैराक, 3 एनसीसी, 3 आईटीआई, 1 पॉलिटेक्निक और एक सिविल इंजीनियरिंग के छात्र शामिल है। इस तरह 67 ऐसे लोगों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में आपदा मित्र बना दिया गया। जो खुद बाढ़ के दौरान तैराकी की जानकारी के अभाव में खुद को भी डूबने से नहीं बचा सकते हैं। चयन के बाद तहसील सभागार में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें आपदा मित्रों को लाइफ जैकेट, पावरफुल टॉर्च, फर्स्ट एड किट, रस्सी, फ्लोटेबल रिंग आदि लगभग 10 हजार के सामानों का वितरण भी कर दिया गया।
एसडीआरएफ को भी नहीं पता, वास्तव में कितने आपदा मित्र जानते हैं तैराकी
कुछ दिनों पहले सभी 87 आपदा मित्रों को लखनऊ भेजा गया। जहां उन्हें एनडीआरएफ और एसडीआरएफ द्वारा 9 दिनों तक आपदा राहत से संबंधित सीपीआर, फर्स्ट एंड आदि की जानकारी मौखिक रूप से ब्लैक बोर्ड पर दी गई। इसके बाद दी गई जानकारियों से संबंधित 100 नंबर के प्रश्न पत्र पर सभी की परीक्षा ली गई। जिसमें लगभग सभी उत्तीर्ण हुए। यहां किसी के तैराकी की परीक्षा नहीं हुई। यहां से लौटने पर सभी आपदा मित्रों की ड्यूटी बीते सावन के पहले सोमवार को सैदपुर क्षेत्र में गांगी, गोमती और गंगा नदी के किनारे घाटों और मंदिरों पर सुरक्षा के दृष्टिगत लगाई गई।
जरूरी नहीं कि सभी आपदा मित्र तैराकी में निपुण हो, उनसे दूसरे काम लिए जाएंगे जब आपदा मित्रों से तैराकी के संबंध में पूछा गया, तो ज्यादातर आपदा मित्रों ने तैराकी नहीं आने की बात बताई। उप जिलाधिकारी डॉ. पुष्पेंद्र पटेल ने बताया कि जिन आपदा मित्रों को तैराकी नहीं आती होगी। उनसे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में दूसरे तरह के सहयोग लिए जाएंगे। यह जरूरी नहीं कि सभी आपदा मित्र तैराकी में निपुण हो।