मजाक चल रहा है! मुख्तार अंसारी की केस डायरी से फोरेंसिक रिपोर्ट ही लापता, जानें क्या है केस
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ पांच मामलों में सजा सुनाए जाने के बाद कई मुकदमों में पैरवी तेज हो गई है। लगभग 33 साल पुराने फर्जी शस्त्र लाइसेंस के मामले की केस डायरी से फोरेंसिक रिपोर्ट लापता हो गई है। केस ट्रायल के दौरान फोरेंसिक रिपोर्ट की मूल प्रति नहीं होने से कई सवाल खड़े हो गए। यह पहला मामला नहीं है, जब मुख्तार की केस डायरी से कोई दस्तावेज गायब हुआ हो।
कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए दूसरी प्रति तलब की है। 19 जून को अभियोजन अधिकारी ने एक हस्तलिखित लैब रिपोर्ट की प्रति कोर्ट में प्रस्तुत की। साथ ही, कोर्ट से संज्ञान लेने की अपील की। वाराणसी की MP-MLA कोर्ट ने रिपोर्ट पर सुनवाई के लिए 25 जुलाई की तारीख तय की है।
मामला 1990 में गाजीपुर सदर कोतवाली में दर्ज है। इसमें मुख्तार अंसारी और शस्त्र लिपिक सहित अन्य लोगों के खिलाफ फर्जी शस्त्र लाइसेंस जारी करने के मामले में धोखाधड़ी और आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इस केस में मुख्तार की डिस्चार्ज एप्लीकेशन खारिज हो चुकी है।
अब गवाही के बाद केस जजमेंट की ओर जा रहा है। केस दर्ज होने के बाद अधिकारियों के हस्ताक्षर की जांच विधि विज्ञान प्रयोगशाला महानगर लखनऊ में हुई थी। 1993 में जांच की हस्तलिखित लैब रिपोर्ट यानी फोरेंसिक रिपोर्ट केस डायरी में शामिल की गई थी, जो पिछले दिनों लापता हो गई।
डीएम का फर्जी हस्ताक्षर कर जारी हुआ शस्त्र लाइसेंस
गाजीपुर में मुख्तार अंसारी की ओर से शस्त्र लाइसेंस की पत्रावली फर्जी रूप से तैयार की गई। इसमें पुलिस अधीक्षक यानी एसपी की संस्तुति संदिग्ध पाई गई। यही नहीं, तत्कालीन डीएम आलोक रंजन का फर्जी हस्ताक्षर बनाया गया है। तत्कालीन जिलाधिकारी आलोक रंजन ने मुख्तार को शस्त्र लाइसेंस जारी करने से इनकार किया।
मामले की विवेचना के बाद मुख्तार अंसारी और अन्य के खिलाफ धारा 467, 468 और 471 आईपीसी, धारा-30 आयुध अधिनियम के अंतर्गत आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया था। मुख्तार अंसारी की पत्रावली विशेष न्यायालय MP-MLA में सुनवाई की जा रही है।
मुख्तार ने मांगा था डिस्चार्ज, कोर्ट ने किया खारिज
2021 में मुख्तार अंसारी की ओर से रिलीज पिटीशन दाखिल की थी, इसमें कहा गया कि उनके विरुद्ध कागजातों को तैयार कराने के संबंध में कोई साक्ष्य जुटाया नहीं गया है। धारा 30 आयुध अधिनियम के अंतर्गत 6 माह की सजा का प्रावधान है। जबकि आरोप पत्र उसके बाद प्रस्तुत किया गया है। इसलिए उनको दोनों मामलों में डिस्चार्ज कर दिया जाए। वहीं अभियोजन ने प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कहा कि संपूर्ण प्रक्रिया में अभियुक्त की सहभागिता और आपराधिक षड्यंत्र था, अपराध को पूर्णता प्रमाणित पाया गया। कोर्ट ने सुनवाई के बाद आरोप विरचित करने का आधार पर्याप्त पाते हुए मुख्तार अंसारी की रिलीज पिटीशन खारिज कर दी थी और मामले की सुनवाई वाराणसी MPMLA कोर्ट में शुरू कर दी।