गाजीपुर कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को किया दोष मुक्त; अभी जेल से निकलना संभव नहीं
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को हत्या के प्रयास के मुकदमे में दोष मुक्त करार दिया है। इस फैसले के बाद मुख्तार अंसारी को बड़ी राहत मिली है। मुख्तार अंसारी के खिलाफ साल 2009 में हत्या के प्रयास का केस दर्ज हुआ था। ये केस मुहम्मदाबाद कोतवाली में 120B के तहत धारा-307 में दर्ज हुआ था।
करंडा के सबुआ के रहने वाले कपिलदेव सिंह हत्याकांड और मुहम्मदाबाद के मीर हसन की हत्या के प्रयास के मामले में मुख्तार अंसारी को आरोपी बनाया गया था। इन दोनों केस को गैंग चार्ट में शामिल किया गया था। इसके आधार पर मुख्तार अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था।
करंडा के सबुआ के रहने वाले कपिलदेव सिंह हत्याकांड और मुहम्मदाबाद के मीर हसन की हत्या के प्रयास के मामले में मुख्तार अंसारी को आरोपी बनाया गया था। इन दोनों केस को गैंग चार्ट में शामिल किया गया था। इसके आधार पर मुख्तार अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था।
मुख्तार का अभी जेल से निकलना संभव नहीं
एमपी-एमएलए कोर्ट के अपर सत्र न्यायाधीश दुर्गेश की अदालत में मुख्तार अंसारी के खिलाफ इस मामले में बहस पूरी कर ली गई थी। 17 मई को फैसले के लिए तारीख निर्धारित की गई थी। हालांकि फैसले के बाद भी मुख्तार का अभी जेल से निकलना संभव नहीं होगा। वहीं करंडा थाने में दर्ज एक गैंगेस्टर मामले में अगली तारीख 20 मई की रखी गई है।
2009 में दर्ज हुआ था मीर हसन केस साल 2009 में हुए मीर हसन के स में मुख्तार के खिलाफ एमपी-एमएलए कोर्ट में केस चल रहा था। मामले में आरोपित की ओर से लिखित बहस पेश की गई। इस पर मौखिक बहस 6 मई को हुई। इसके बाद बुधवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।
एक गैंगस्टर केस में मिली 10 साल की सजा
इससे पहले 29 अप्रैल 2023 को मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर केस में गाजीपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने दोषी करार दिया था। तब कोर्ट ने उन्हें 10 साल की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने उन पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। वहीं मुख्तार के भाई और बसपा सांसद अफजाल अंसारी को भी दोषी करार दिया गया था।
अफजाल को चार साल की सजा मिली है। गैंगस्टर के ये मामले करंडा थाना और मोहम्दाबाद थानों से बनाए गए आपराधिक मुकदमों से बनाए गए गैंगचार्ट पर आधारित थे। मुख्तार अंसारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट की सुनवाई में जुड़ा था। जबकि अफजाल कोर्ट में पेश हुआ था।
बता दें, मुख्तार अंसारी को 22 सितंबर 2022 से 29 अप्रैल 2023 के बीच 4 केस में सजा मिल चुकी है। 22 सितंबर 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मुख्तार को 7 साल की सजा सुनाई थी। फिर 23 सितंबर को जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की अदालत ने गैंगस्टर के मामले में मुख्तार को 5 साल की सजा सुनाई थी।
26 साल का मुख्तार का सियासी सफर
मुख्तार अंसारी ने बसपा के टिकट पर साल 1996 में पहली बार मऊ के सदर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता था। इसके बाद 2002 और 2007 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीतकर लखनऊ पहुंच गया। 2012 में कौमी एकता दल का गठन किया और चुनाव लड़कर जीत हासिल की।
मुख्तार ने 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से टिकट की मांग की, लेकिन टिकट उसको नहीं मिल सका। इसके बाद कौमी एकता दल से ही चुनाव मैदान में उतरा और जीत हासिल की। हालांकि, साल 2022 के चुनाव से मुख्तार ने दूरी बना ली। अपनी राजनीतिक विरासत बेटे अब्बास अंसारी को सौंप दी। अब्बास अंसारी ने पिता की परंपरागत सीट से ही सुभासपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की है।
माफिया मुख्तार के खिलाफ दर्ज हैं 61 मुकदमे
मुख्तार अंसारी के खिलाफ गाजीपुर, वाराणसी, मऊ और आजमगढ़ के अलग-अलग थानों में 61 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें से 8 मुकदमे ऐसे हैं, जो कि जेल में रहने के दौरान दर्ज हुए थे। ज्यादातर मामले हत्या से संबंधित हैं। सबसे ज्यादा मुकदमे उसके गृह जिले गाजीपुर में दर्ज हैं। बता दें मऊ में दंगे के बाद मुख्तार अंसारी ने 25 अक्तूबर 2005 को गाजीपुर कोर्ट में सरेंडर किया था। इसके बाद से जेल में बंद है.