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अब मनमाने ढंग से सड़क निर्माण नहीं करा सकेंगे MLA, जानें PWD की नई नियमावली

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. किसी माननीय को फार्म हाउस को जाने वाली सड़क चाहिए तो किसी को टाउनशिप के लिंक रोड बनवानी है। किसी जिले में सत्तारूढ़ दल के पांच विधायक हैं तो वहां सड़क पर सड़क मिल रही है। किसी जिले में सत्तारूढ़ दल के विधायक नहीं है तो वह सड़क निर्माण व पुनिर्माण से वंचित है। यह सब अब नहीं चलेगा। अब हर जिले में उसकी जीडीपी और विकास के संतुलन के मुताबिक सड़कों का निर्माण के लिए चयन किया जाएगा। जी हां, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पीडब्ल्यूडी ने सड़क निर्माण के चयन और धन आवंटन की नियमावली बना दी है। पीडब्ल्यूडी मंत्री ने इसे हरी झंडी दे दी है और इसे जल्द कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। 

मुख्यमंत्री ने बीते दिनों उच्चस्तरीय बैठक में पीडब्ल्यूडी की समीक्षा की। पाया गया कि विधायक मनमाने ढंग से सड़क निर्माण के आवेदन पीडब्ल्यूडी को देते हैं और जो ज्यादा कद्दावर है उसके जिले में सड़क बन रही है और जो सीधे व सरल विधायक हैं, वे पीछे रह जा रहे हैं। सीएम ने पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद को निर्देश दिए कि सड़कों के निर्माण के चयन के साथ ही विधायकों को धन आवंटन की प्रक्रिया तय की जाए। इसमें यह रवैया नहीं चलेगा कि जिसे चाहा या जिसकी पहुंच हो उसे सड़क निर्माण के लिए आवंटित कर दी जाए यानी ‘पिक एंड चूज़’ कतई नहीं चलेगा।

यह तय हुए मानक

इस पर विभाग ने सड़क निर्माण के दस मानक तय कर दिए हैं। इसमें हर मानक के अलग से अंक रखे गए हैं। जैसे किसी विधायक को उसके जिले में सड़क निर्माण का आवंटन करने के लिए देखा जाएगा कि सड़क उद्योग के लिए है या फिर वहां पर ट्रैफिक की समस्या है। साथ में देखा जाएगा कि सड़क से कितने गांव जुड़ रहे हैं। सड़क राजमार्ग के करीब है या नहीं। भौगोलिक स्थिति, जिला मुख्यालय से निकटता, गांव की आबादी जिसे सड़क बनने का लाभ हो आदि का आंकलन किया जाएगा। सभी मानक के लिए दस नंबर रखे गए हैं। मानक पर खरा उतरने के बाद ही जिले के प्रतिनिधि को सड़क निर्माण का आवंटन किया जाएगा।

जिले की जीडीपी कम तो मिलेगा ज्यादा बजट

इसी के साथ सड़क निर्माण के लिए दी जाने वाली धनराशि के लिए उस जिले की जीडीपी(सकल घरेलू उत्पाद) देखी जाएगी। देखा जाएगा कि वहां कितना विकास हुआ है। जिले की जीडीपी कम है तो उसे ज्यादा धनराशि दी जाएगी। जहां जीडीपी ज्यादा है उसे अपेक्षाकृत सड़क निर्माण के लिए कम पैसा दिया जाएगा। यह आवंटन सकल घरेलू उत्पाद देख कर ही दिया जाएगा।

पुनर्निमाण के लिए मिलेंगे छह करोड़

लोकसभा क्षेत्रों के विकास करने के मद्देनज़र सभी 403 विधायकों को नाबार्ड के सहयोग से छह करोड़ रुपये दिए जाएंगे। इसमें पांच करोड़ रुपये सड़क निर्माण पर खर्च होगा। वहीं एक करोड़ रुपये से ऐसी सड़क का पुनर्निमाण कराया जा सकेगा जो टूटी-फूटी हों।

सभी लोकसभा क्षेत्रों में समग्र विकास हो, कोई जिला छूट न जाए लिहाजा, मुख्यमंत्री के मार्ग निर्देशन में यह नीति बनाई गई है। इससे दो लाभ होंगे। सभी विधायक अपने क्षेत्रों में एकसमान ढंग से विकास करा सकेंगे और दूसरा यह कि विभागीय इंजीनियरों-बाबुओं के गठजोड़ द्वारा चहेतों को सड़क निर्माण में किया जाने वाली मनमानी बंद होगी। जितिन प्रसादः पीडब्ल्यूडी मंत्री

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