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साप्ताहिक बंदी को लेकर सैदपुर में चला लुका-छुपी का खेल - Ghazipur News

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. रविवार को सैदपुर में साप्ताहिक बंदी का चौथा दिन था। इस दिन तहसील के आला अधिकारियों ने बाजार में पैदल भ्रमण कर, हनक दिखाते हुए निरीक्षण किया। इस दौरान संदिग्ध परिस्थिति में मिली कुछ दुकानों की वीडियो रिकॉर्डिंग भी कराई गई। साथ ही कई दुकान संचालकों को आगे से जुर्माना लगाने की हिदायत भी दिया गया। लेकिन पूरे दिन बाजार में प्रशासन और कुछ व्यवसायियों के बीच लुकाछिपी का खेल चलता रहा।

गौरतलब है कि बीते माह जिलाधिकारी आर्यका अखौरी के सख्त निर्देश पर सैदपुर में साप्ताहिक बंदी को लेकर, प्रशासन गंभीर दिखाई दे रहा है। जिसके क्रम में बीते तीन रविवार की तरह, इस रविवार को भी सैदपुर में साप्ताहिक बंदी लगभग सफल रही। लेकिन कुछ दुकानदारों और प्रशासन के बीच इस बार भी लुका छुपी का खेल चलता रहा। हालांकि इस बार भी बंदी लगभग सफल रही। लेकिन बीते तीन रविवार की साप्ताहिक बंदियों की तरह ही इस बार भी कुछ दुकानदार, प्रशासन को देखते ही दुकान का शटर बंद और जाते ही थोड़ा खोल कर, व्यवसाय करते दिखाई दिए। जिसे लेकर दुकान बंद करने वाले ज्यादातर दुकानदार आक्रोशित दिखाई दिए।

कुछ किया नहीं, पूरे दिन दुकान के बाहर बैठे रहे

रविवार को सैदपुर नगर पंचायत के प्रशासक एसडीएम पुष्पेंद्र पटेल के नेतृत्व में अधिशासी अधिकारी आशुतोष त्रिपाठी, श्रम इंस्पेक्टर पूर्ति यादव सहित पुलिस बल के साथ कस्बा पुलिस चौकी इंचार्ज पवन कुमार ने नगर में पैदल भ्रमण और निरीक्षण किया। इस दौरान व्यापारियों, व्यापारिक संगठनों और प्रशासन के बीच तालमेल की कमी देखने को मिली। जिसके कारण, दुकान खोलने के एक मौके की तलाश में कुछ लोग, पूरे दिन दुकान के बाहर बिना काम के बैठे दिखाई दिए। जिसमें कई दुकान संचालकों के कामगार रहे, जो छुट्टी के दिन भी बिना काम के बैठे रहने को विवश रहे।

व्यापारिक संगठनों ने की सहयोग की अपील

उप जिलाधिकारी पुष्पेंद्र पटेल ने बताया कि नियमों के अधीन 1 दिन साप्ताहिक बंदी करना अनिवार्य है। व्यापारिक संगठनों की सहमति से रविवार की साप्ताहिक बंदी तय की गई है। अधिशासी अधिकारी आशुतोष त्रिपाठी ने बताया कि सभी को सख्त हिदायत दी जा रही है। आगे से श्रम विभाग के नेतृत्व में जुर्माना भी लगाया जा सकता है। उद्योग व्यापार समिति सैदपुर के अध्यक्ष विकास बरनवाल ने बताया कि सभी रविवार को साप्ताहिक बंदी पर सहमत है। उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष प्रहलाद दास जायसवाल ने बताया कि पहली साप्ताहिक बंदी की बैठक में सभी रविवार की बंदी पर सहमत थे। व्यापारी बंधुओं को नियमानुसार प्रशासन का सहयोग करना चाहिए।

श्रम विभाग करेगा श्रमिकों और व्यवसायियों को जागरूक

श्रम स्पेक्टर पूर्ति यादव ने बताया कि जल्द ही नगर के व्यवसायियों के साथ उनसे साप्ताहिक बंदी को लेकर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही साप्ताहिक बंदी पर नगर पंचायत के सहयोग से जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे। जिसमें अधिनियम और उसके जुर्माने की जानकारी सभी से साझा की जाएगी। साथ ही साप्ताहिक बंदी को सैदपुर में सख्ती से लागू कराया जाएगा। इसके साथ ही व्यवसायों में श्रम करने वालों को विशेष रूप से जागरूक किया जाएगा। ताकि उनके हितों की रक्षा की जा सके।

बड़ों को नहीं, सिर्फ हमारे पेट पर पड़ रही लात

साप्ताहिक बंदी से सबसे ज्यादा परेशान, पटरी पर दुकान संचालित करने वाले छोटे दुकानदार हो रहे हैं। उनका कहना है कि शटर वाले दुकानदार, तो अवसर देखकर दुकान खोल और बंद कर ले रहे हैं। लेकिन हम तो पटरी पर दुकान लगाने वाले हैं। हम या तो दुकान लगा सकते हैं, या नही लगा सकते। कुछ बड़े दुकानदारों पर इस बंदी का कोई असर नहीं पड़ रहा है। उनकी दुकानें चोरी-छिपे चल रही है। पेट पर लात, तो हम लोगों के पड़ रही है।

क्या है साप्ताहिक अवकाश (बंदी) अधिनियम

अधिवक्ता अवनीश चौबे ने बताया कि साप्ताहिक अवकाश अधिनियम 1942 एक तरह का क्रिमिनल ऑफेंस है। जिसमें पहली बार साप्ताहिक बंदी की अवहेलना करते पकड़े जाने पर ₹25 से दोबारा ₹250 के जुर्माने का प्रावधान है। उत्तर प्रदेश दुकानदार एवं वाणिज्य अधिनियम 1962 अनुसार अधिकतम ₹500 जुर्माने के साथ, 7 दिनों तक दुकान को सीज करने का प्रावधान है। अगर इसे व्यापारियों और प्रशासन के बीच वैज्ञानिक ढंग से तालमेल बैठाकर लागू किया जाए, तो इससे किसी के आर्थिक ढांचे पर बहुत बड़ी चोट की गुंजाइश बहुत ही कम है।

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