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बेटों का शव लेने गए 3 दिन से भटक रहे, बोले- कहा जा रहा शवों में कुछ नहीं, बस हाथ-पैर मिलेंगे

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. नेपाल विमान हादसे को 5 दिन बीत चुके हैं। चारों भारतीयों के परिवार 3 दिन से काठमांडू में अपने बच्चों के शवों को लेने के लिए भटक रहे हैं। लेकिन, रोज उन्हें टीचिंग हॉस्पिटल के पोस्टमॉर्टम हाउस से खाली हाथ ही लौटना पड़ता है। कभी उनसे कागज के काम पूरा न होने, तो कभी 7 घंटे बैठाने के बाद समय खत्म होने की बात कही जाती है।

अनिल और सोनू के पिता का कहना है कि रोज-रोज के बहानों से हमारी उम्मीदें टूट रही हैं। ये कभी नहीं सोचा था कि अपने बच्चे को देखने के लिए इतना तड़पना पड़ेगा। हमसे कहा जा रहा है कि शवों में वैसे भी कुछ है नहीं, बस हाथ-पैर ही मिलेगा। बता दें कि गाजीपुर से सात लोग नेपाल गए हैं। इनमें प्लेन हादसे में जान गंवाने वाले सोनू, अनिल, विशाल और अभिषेक के परिवार वाले हैं।

जब से यहां आए हैं झूठ ही सुन रहे हैं

सोनू के पिता राजेंद्र प्रसाद जायसवाल ने बताया, "हम लोगों से यहां कहां जा रहा है, जब सबको शव दे दिया जाएगा, तब भारत के लोगों का नंबर आएगा। वैसे भी किसी का पूरा शव नहीं बचा है। हाथ-पैर यही सब मिल पाएगा। हम लोगों को यहां आए 3 दिन से ज्यादा हो गए हैं। अब शुक्रवार को फिर से कहा गया है कि आप लोग 3 दिन बाद आना तब शव दिखाएंगे। जब से हम लोग यहां आए हैं बस झूठ ही सुन रहे हैं।"

मैंने कहा एक बार मैं अपने बेटे को देखना चाहता हूं, तो मुझे वहां से जाने के लिए कह दिया। मुझसे कहा गया, आपकी उम्र ज्यादा है। आप शव को नहीं देख सकते हैं। अब आप ही सोचिए जो बाप दूसरे देश से बस अपने बच्चे को देखने आया हो और जब उसको मना कर दिया जाए तो कैसा लगेगा। यहां का माहौल बहुत खराब है। समझ नहीं आ रहा है कि अपने बेटे को देख पाऊंगा भी की नहीं।

इसी चिंता में रात में सो नहीं पाता। इन लोगों को हम लोगों की हालत पर भी तरस नहीं आता है। कभी-कभी ऐसा लगता है हार्ट अटैक न आ जाए कहीं। ऐसा नहीं सोचा था जो बेटा कभी इतना पास था आज उसको देखने के लिए दूसरे के हाथ जोड़ने पड़ेगें।

किस हालत में होगा बेटे का शव, पता नहीं

अनिल के पिता राम दरस ने हमें बताया, "रोज हम लोगों को शव दिखाने की बात कही जा रही है, लेकिन दिखाया आज तक नहीं गया। दूसरे लोगों को यहां पर पहले शव दिखाए जा रहे हैं। हम लोगों ने यहां के बड़े डॉक्टर के आगे हाथ जोड़े, मन्नतें की। लेकिन, उनका दिल नहीं पसीजा। पहले कहा गया था कि चेहरा देखने लायक नहीं है, उनके सामान से पहचानना पड़ेगा। लेकिन, अब तो शव दिखाने से ही मना किया गया है। बोल रहे हैं कि अभी 3 दिन और रुको। सब लोग शव ले जाएं फिर जो बचेगा वो तुमको दे दिया जाएगा।

पता नहीं हमें हमारा बेटा मिल भी पाएगा कि नहीं। कैसे हंसते हुए बेटे को घर से घूमने के लिए भेजा था। क्या पता था कि आज उसके शव के लिए भटकेंगे? पता नहीं ये हमारे कौन से बुरे कर्म हैं, जो इस तरह से सामने आ रहे हैं। किस हालत में होगा हमारे बेटे का शव, पता नहीं होगा भी कि नहीं।

अपने बेटे को आखिरी बार छूना चाहती हूं

वहीं यहां गाजीपुर में चारों के परिवार में मातम पसरा है। परिवार के लोग बार-बार काठमांडू गए लोगों को फोन करते हैं, उनसे फोटो मांगते हैं। अनिल की मां सरस्वती का कहना है कि फोन में कोई मैसेज आता है, तो लगता है बेटे की फोटो आई होगी। लेकिन, ऐसा होता नहीं है। अब तो बस यही इच्छा रह गई है कि बेटे की आखिरी झलक ही देख लूं। एक बार उसको और छू लूं। पता नहीं कब मेरा बेटा आएगा।

बेटे की आवाज सुनने के लिए तरस रही हूं

अभिषेक कुशवाहा की मां मानसी देवी का कहना है कि यकीन नहीं होता कि आज मैं अपने बेटे के शव का इंतजार कर रही हूं। कुछ दिन पहले मेरा बेटा मुझसे बात करता था। आज उसकी आवाज सुनने को तरस रही हूं। भगवान ऐसा दिन किसी भी मां को न दिखाए। मन तो यही करता है कि मैं भी अपनी जान दे दूं।

मंगलवार को पहुंच गए थे काठमांडू

नेपाल विमान हादसे में मरने वाले 4 भारतीयों के परिवार मंगलवार रात 12:30 बजे काठमांडू पहुंचे। इसके बाद उन्हें बुधवार दोपहर 12 बजे काठमांडू के टीचिंग हॉस्पिटल ले जाया गया। गाजीपुर के परिवार के लोगों को बुधवार को ही शव दिखाने की बात कही गई थी, लेकिन शाम 7 बजे तक उनसे बस फॉर्म भरवाए गए। उसके बाद उनको जाने के लिए बोल दिया गया। तब से उन्हें आज तक शव नहीं दिखाए गए हैं।

12 जनवरी को नेपाल घूमने गए थे चारों

भारत से 7 लोग नेपाल गए हैं। इसमें सोनू के पिता और भाई, विशाल का भाई, अभिषेक का छोटा भाई और बुआ का लड़का, अनिल के पिता और रिटायर्ड कानूनगो शामिल हैं। बता दें कि 15 जनवरी को प्लेन क्रैश में सोनू जायसवाल, अनिल राजभर, अभिषेक कुशवाह और विशाल शर्मा की मौत हो गई थी। सभी गाजीपुर के रहने वाले थे और दोस्त थे।

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