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नेपाल प्लेन क्रैश में दो की हुई पहचान, शरीर में बस गर्दन और पैर ही बचा - Ghazipur News

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. नेपाल विमान हादसे में मरने वाले चारों भारतीयों में से 2 की पहचान हो गई है। सोनू जायसवाल के जूते और विशाल शर्मा की सोने की चेन से उनकी पहचान की गई है। शव को देखकर सोनू के पिता राजेंद्र जायसवाल बेहोश हो गए क्योंकि उन्हें बेटे के शव के नाम पर बस एक पैर मिला है। उसी में उसका वो जूता फंसा हुआ था जो वो पहनकर घर से निकला था।

वहीं विशाल शर्मा के भाई विश्वजीत शर्मा को विशाल के शरीर का ऊपर का धड़ मिल पाया है। जिसमें उसकी सोने की चेन फंसी हुई थी। अपने भाई की ऐसी हालत देखकर विश्वजीत पोस्टमार्टम हाउस में ही सिर पीट-पीटकर रोने लगा।

शनिवार रात तक गांव आ सकते हैं चारों के शव

अभी अनिल और अभिषेक की पहचान नहीं हो पाई है। दो शवों को ले जाने के लिए बोल दिया गया है लेकिन परिवार के लोगों का कहना है, वो सारे शव एक साथ लेकर जाएंगे। ऐसा माना जा रहा है कि शनिवार देर रात तक चारों शव गाजीपुर आ जाएंगे।

वहीं शव मिलने की जानकारी जैसी ही परिवारों को मिली तो मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। परिवार के लोगों का रो-रोकर बुरा हाल है। उनका कहना है, हम सोच रहे थे हो सकता है बेटे के मौत की खबर गलत हो लेकिन अब तो सारी उम्मीदें खत्म हो गई हैं।

परिवार को छंठे दिन मिले दो बेटों के शव

नेपाल विमान हादसे के छंठे दिन परिवारों को शव मिल पाए हैं। इससे पहले चारों भारतीयों के परिवार काठमांडू में अपने बच्चों के शवों को लेने के लिए भटक रहे थे। उन्हें रोज-रोज टीचिंग हॉस्पिटल के पोस्टमॉर्टम हाउस से खाली हाथ ही लौटना पड़ता था। कभी उनसे कागज के काम पूरा न होने, तो कभी 7 घंटे बैठाने के बाद समय खत्म होने की बात कही जाती थी।

शव नहीं मिलने पर अनिल और सोनू के पिता का कहना था, रोज-रोज के बहानों से हमारी उम्मीदें टूट रही थीं। ये कभी नहीं सोचा था कि अपने बच्चे को देखने के लिए इतना तड़पना पड़ेगा। हमसे कहा जा रहा था कि शवों में वैसे भी कुछ है नहीं, बस हाथ-पैर ही मिलेगा। बता दें कि गाजीपुर से सात लोग नेपाल गए हैं। इनमें प्लेन हादसे में जान गंवाने वाले सोनू, अनिल, विशाल और अभिषेक के परिवार वाले हैं।

जब से यहां आए हैं झूठ ही सुन रहे हैं

सोनू के पिता राजेंद्र प्रसाद जायसवाल ने बताया था, "हम लोगों से यहां कहां जा रहा है, जब सबको शव दे दिया जाएगा, तब भारत के लोगों का नंबर आएगा। वैसे भी किसी का पूरा शव नहीं बचा है। हाथ-पैर यही सब मिल पाएगा। हम लोगों को यहां आए कई दिन हो गए हैं। लेकिन रोज-रोज बहाने ही सुन रहे हैं।

वहीं अनिल के पिता राम दरस ने हमें बताया था, "रोज हम लोगों को शव दिखाने की बात कही जा रही है, लेकिन दिखाया आज तक नहीं गया। दूसरे लोगों को यहां पर पहले शव दिखाए जा रहे हैं। हम लोगों ने यहां के बड़े डॉक्टर के आगे हाथ जोड़े, मन्नतें की। लेकिन, उनका दिल नहीं पसीजा। पहले कहा गया था कि चेहरा देखने लायक नहीं है, उनके सामान से पहचानना पड़ेगा। लेकिन, अब तो शव दिखाने से ही मना किया गया है। बोल रहे हैं कि अभी और रुको। सब लोग शव ले जाएं फिर जो बचेगा वो तुमको दे दिया जाएगा।

अपने बेटे को आखिरी बार छूना चाहती हूं

वहीं यहां गाजीपुर में चारों के परिवार में मातम पसरा है। परिवार के लोग बार-बार काठमांडू गए लोगों को फोन करते हैं, उनसे फोटो मांगते हैं। अनिल की मां सरस्वती का कहना है कि फोन में कोई मैसेज आता है, तो लगता है बेटे की फोटो आई होगी। लेकिन, ऐसा होता नहीं है।

बेटे की आवाज सुनने के लिए तरस रही हूं

अभिषेक कुशवाहा की मां मानसी देवी का कहना है कि यकीन नहीं होता कि आज मैं अपने बेटे के शव का इंतजार कर रही हूं। कुछ दिन पहले मेरा बेटा मुझसे बात करता था। आज उसकी आवाज सुनने को तरस रही हूं। भगवान ऐसा दिन किसी भी मां को न दिखाए। मन तो यही करता है कि मैं भी अपनी जान दे दूं।

मंगलवार को पहुंच गए थे काठमांडू

नेपाल विमान हादसे में मरने वाले 4 भारतीयों के परिवार मंगलवार रात 12:30 बजे काठमांडू पहुंचे। इसके बाद उन्हें बुधवार दोपहर 12 बजे काठमांडू के टीचिंग हॉस्पिटल ले जाया गया। गाजीपुर के परिवार के लोगों को बुधवार को ही शव दिखाने की बात कही गई थी, लेकिन शाम 7 बजे तक उनसे बस फॉर्म भरवाए गए। उसके बाद उनको जाने के लिए बोल दिया गया। तब से उन्हें आज तक शव नहीं दिखाए गए हैं।

12 जनवरी को नेपाल घूमने गए थे चारों

भारत से 7 लोग नेपाल गए हैं। इसमें सोनू के पिता और भाई, विशाल का भाई, अभिषेक का छोटा भाई और बुआ का लड़का, अनिल के पिता और रिटायर्ड कानूनगो शामिल हैं। बता दें कि 15 जनवरी को प्लेन क्रैश में सोनू जायसवाल, अनिल राजभर, अभिषेक कुशवाह और विशाल शर्मा की मौत हो गई थी। सभी गाजीपुर के रहने वाले थे और दोस्त थे।

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