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बार-बार क्यों टूटती है वंदे भारत ट्रेन की 'नाक', रेल मंत्री ने बताई वजह

गाजीपुर न्यूज़ टीम, नई दिल्ली. भारतीय रेल की प्रीमियर ट्रेन वंदे भारत देश के छह रूटों पर चलती है। अपनी रफ्तार के साथ-साथ ये ट्रेन दुर्घटनाओं के कारण भी चर्चा में रहने लगी है। संसद में भी वंदे भारत ट्रेन हादसों का मामला पहुंच गया। सांसद ए राजा ने वंदे भारत के हादसों को लेकर सवाल किया और पूछा कि क्या ट्रेन में इस्तेमाल की गई रिफंफोर्स्ड प्लास्टिक की क्वालिटी घटिया है,जिसकी वजह से बार-बार ट्रेन का अगला हिस्सा टूट रहा है। ए राजा ने पूछा कि ट्रेन में दवाब झेलने की क्षमता बनाने के लिए इसे कार्बन स्टील से क्यों नहीं बनाया जा रहा है?

सांसद के सवाल का जवाब देते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि पिछले छह महीनों में वंदे भारत के साथ 68 घटनाएं हुईं है। जिसमें से एक बार ट्रेन की बियरिंग फेल होने के कारण एक्सल लॉक हुआ था और बाकी हादसे जानवरों के टकराने के कारण हुए। रेल मंत्री ने कहा कि ट्रेन में इस्तेमाल की गई रिइनफोर्स्ड प्लास्टिक की क्वालिटी में कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि ट्रेन का बाहरी हिस्सा हाई क्वालिटी स्टील से बनाया गया है। 

जबकि ट्रेन के सामने का हिस्सा, जिसे नोज कोन के तौर पर देखा जाता है, उसपर लगाया गया कपलर कवर रीइनफोर्स्ड प्लास्टिक का है। ये प्लास्टिक ट्रेन को बाहरी टक्कर के प्रभाव को झेलने की क्षमता देता है। उन्होंने कहा कि ये प्लास्टिक ट्रेन को एयरोडायनेमिक लुक देता है। रेलमंत्री ने ट्रेन में लगे किसी भी सामान के क्लाविटी इश्यू के दरकिनार कर लिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वंदे भारत ट्रेन 500 से 559 किमी की दूरी में चल रही है। वंदे भारत 2.0 के साथ इस दूरी का विस्तार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि तकनीक को और विकसित किया रहा है और जल्द ही इस ट्रेन की रफ्तार और बढ़ जाएगी।

और एडंवास होगा वंदे भारत 2.0

रेल मंत्री ने कहा कि वंदे भारत ट्रेन में और तकनीक विकसित की जा रही है। जिसकी मदद से आने वाले दिनों में ट्रेन और एडवांस फीचर्स से लैस होगा। ट्रेन की रफ्तार बढ़ाने की दिशा में काम किया जा रहा है। आने वाले दिनों में ऐसे फीचर्स एड किए जाएंगे, जिसके बाद महज 52 सेकेंड के भीतर ही ट्रेन की रफ्तार 100 किमी प्रति घंटे तक पहुंच जाएगी। ट्रेन की मैक्सिमम रफ्तार 180 किमी प्रति घंटे की है। वंदे भारत के वजन को भी इंप्रूव करने की दिशा में काम किया जाएगा। ट्रेन में 32" स्क्रीन लगेंगे, जो वर्तमान में 24" के हैं। एग्जीक्यूटिव क्लास में 180 डिग्री घूमने वाली सीटें लगाने की तैयारी है। ट्रेन को और एको फ्रेंडली बनाया जाएगा।

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