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परदेसी पति संग शहर में ही रहना चाहती है दुल्हनिया, नहीं तो होगा तलाक

गाजीपुर न्यूज़ टीम, आजमगढ़. परदेसी पति की दुल्हनिया किसी भी सूरत में सास-ससुर या अन्य परिजनों के साथ गांव में नहीं रहना चाहती। परिजनों पर भेदभाव का आरोप लगा वह पति के साथ शहर जाना चाहती है। पति के इनकार पर मामला तलाक तक पहुंच रहा है। इसका खुलासा छह माह में पुलिस के पास पहुंचे 150 से ज्यादा मामलों में हुआ है। पत्नी को अपने साथ शहर में नहीं रखने से नौकरीपेशा लोगों के दांपत्य जीवन में लगातार खटास आ रही है। नव विवाहिता सास-ससुर और परिवार के साथ रहने को तैयार नहीं हैं और पति शहर ले जाने से इनकार कर रहा है। हर माह इस तरह के 25 से ज्यादा मामले थाने पहुंच रहे हैं। जिसमें तलाक मांगने के पीछे यह कारण बताया जा रहा है।

आजमगढ़ के एसपी अनुराग आर्य ने बताया कि पति-पत्नी के बीच विवाद के हर माह 20 से 25 मामले आ रहे हें। ऐसे मामलों के निराकरण के लिए महिला सहायता प्रकोष्ठ में नई किरण समिति बनाई गई है। समिति के सदस्य महिलाओं को परिवार की अहमियत बताते हुए समझाने का प्रयास करते हैं। काउंसिलिंग के बाद भी मामला नहीं समझने पर केस दर्ज किया जाता है। आंकड़ों के अनुसार आजमगढ़ पिछले छह माह में पति-पत्नी के बीच विवाद और तलाक मांगने के 168 मामले पुलिस के पास पहुंचा।

इनमें से 100 से ज्यादा शिकायतें पति के साथ शहर में रहने को लेकर है। बताया जा रहा है कि महिला सहायता प्रकोष्ठ इन मामलों में दंपति की काउंसिंलिंग कर रही है। नई किरण समिति की सदस्यों को माने तो पति के साथ न रखने का लेकर होने वाले विवाद में 30 प्रतिशत मामले प्रेम विवाह के हैं। वहीं 20 प्रतिशत ऐसे मामले हैं जिनमें पति विदेश में रहता है। 

मां-बाप को अकेला नहीं छोड़ना चाहते युवा

पुलिस तक तलाक का मामला पहुंचने पर पति की भी काउंसिलिंग हो रही है। काउंसिलिंग के दौरान करीब 20 फीसदी युवाओं ने पत्नी के आरोपों को इनकार करते हुए मा-बाप को अकेले छोड़ने से इनकार कर दिया। पूरे परिवार को शहर में रखने में आर्थिक संकट का भी युवाओं ने हवाला दिया। वहीं दस फीसदी ऐसे मामले भी सामने आए जिसमें दस फीसदी महिलाओं ने गांवों में रहने से सीधे तौर पर इनकार कर दिया। 

परिजनों पर भेदभाव का आरोप

पति के साथ बाहर रहने को लेकर हुए विवाद के बाद जिन महिलाओं ने पुलिस से शिकायत की है, उनकी अपनी पीड़ा है। उनका कहना है पति के साथ नहीं रहने के कारण घर में उनके साथ भेदभाव होता है। महिलाओं का कहना है कि घर की महिलाएं ही उनके साथ ज्यादा भेदभाव करतीं हैं। 

गांवों में तलाक का प्रचलन बढ़ा

पति के बाहर साथ न ले जाने के कारण जो विवाद शुरू हो रहा है उसमें से ज्यादातर मामले ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। छह माह में पुलिस के पास पहुंचे मामलों में से 80 फीसदी मामला ग्रामीण इलाकों का है। यही नहीं पति के शहर में रहने और इनकार पर तलाक मांगने वाली महिलाओं में ज्यादातर की उम्र 25 से 30 साल है। काउंसिलिंग समिति के सदस्यों का कहना है कि इस तरह की मांग करने वाली महिलाओं में ज्यादातर पढ़ी-लिखी हैं और दो से तीन साल के भीतर ही उनकी शादी हुई है।

पति के साथ बाहर रहने के लिए जिद पर अड़ी महिलाओं की महिला सहायता प्रकोष्ठ में बनाई नई किरण समिति की तरफ से लगातार काउंसलिंग के बाद बीस ऐसे मामलों में सफलता मिली है। लगातार समझाने के बाद करीब बीस महिलाएं ससुराल में परिवार के साथ रहने के लिए राजी हो गईं। समिति के सदस्य उमेशचंद्र पांडेय ने बताया कि अन्य महिलाओं को भी समझाने का प्रयास किया जा रहा है।

35 प्रतिशत मामलों में केस दर्ज

नई किरण समिति के सदस्यों का कहना है कि दंपति के बीच विवाद के करीब 35 प्रतिशत मामलों में बातचीत से सुलह न होने पर पुलिस को केस दर्ज करना पड़ा। मामला परिवार न्यायालय में पहुंचने के बाद लोक अदालत के माध्यम से निपटाने का प्रयास किया जा रहा है।

महिला सहायता प्रकोष्ठ में नई किरण नाम से एक समिति का गठन किया है। जिसमें डिग्री कॉलेजों के अध्यापकों के साथ सामाजिक संगठनों से जुड़ीं महिलाओं को सदस्य बनाया गया है। इस समिति के माध्यम से महिलाओं की लगातार काउंसिलिंग कर समझौता कराने का प्रयास किया जा रहा है। कई मामलों में पुलिस को सफलता भी मिली है।

नई किरण समिति सदस्य उमेशचंद्र का कहना है कि समय के साथ संस्कार में भी बदलाव आए हैं। नई उम्र की महिलाओं को शहर की चकाचौंध और ऐशोआराम की जिंदगी ज्यादा लुभा रही है। साथ ही इसे प्रतिष्ठा से जोड़कर देखने का प्रचलन बढ़ गया है। यही कारण है कि शादी के एक-दो साल बाद ही बाहर पति के साथ साथ रहने को लेकर घर में विवाद शुरू हो जा रहा है। ऐसी महिलाओं की काउंसिलिंग कर समझौता कराने का प्रयास किया जा रहा है।

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