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कहानी: संभावना

प्रतिभा ने सोहन से शादी करने की इच्छा जताई तो सोहन सोच में पड़ गया. उस ने उस के नाम एक खत में सचाई लिख भेजी. क्या सोहन और प्रतिभा सिर्फ दोस्त ही बने रहे या पतिपत्नी?

“तुम गंभीरतापूर्वक हमारे रिलेशन के बारे में नहीं सोच रहे,” प्रतिभा ने सोहन से बड़े नाजोअंदाज से कहा.“तुम किसी बात को गंभीरतापूर्वक लेती हो क्या?” सोहन ने भी हंस कर जवाब दिया.


दोनों ने आज छुट्टी के दिन साथ बिताने का निर्णय लिया था और अभी कैफे में बैठे कौफी पी रहे थे. दोनों कई दिनों से दोस्त थे और बड़े अच्छे दोस्त थे.


“लेती क्यों नहीं, जो बात गंभीरतापूर्वक लेने की हो. तुम मेरे सब से प्यारे दोस्त हो, मैं तुम से प्यार करती हूं, तुम्हारे साथ जीवन बिताना चाहती हूं. यह बात बिलकुल गंभीरतापूर्वक बोल रही हूं और चाहती हूं कि तुम भी गंभीर हो जाओ,” प्रतिभा ने आंखें नचाते हुए जवाब दिया.


सोहन को उस की हर अदा बड़ी प्यारी लगती थी और इस अदा ने भी उस के दिल पर जादू कर दिया. पर उस ने एक बात नोट की थी प्रतिभा के बारे में कि उस ने कई पुरुष मित्रों से मित्रता की थी, पर किसी से उस की मित्रता ज्यादा दिनों तक टिकी नहीं थी.


“देखो प्रतिभा, जहां तक दोस्ती का सवाल है, तो तुम मेरी सब से अच्छी दोस्त हो. तुम्हारे साथ समय बिताना मुझे बहुत पसंद है. इसीलिए मैं तुम से समय बिताने के लिए अनुरोध करता हूं. और जब कभी तुम साथ में समय बिताने का कार्यक्रम बनाती हो तो झट से तैयार हो जाता हूं. पर, शादी अलग चीज है. दोस्त कोई जरूरी नहीं पतिपत्नी ही बनें. मेरी कई महिलाएं दोस्त हैं. तुम्हारे भी कई पुरुष दोस्त हैं. सभी से शादी तो नहीं हो सकती. हम दोस्त ही भले हैं,” सोहन ने समझाया.


“देखो, शादी तो किसी से करनी ही है, तो क्यों न उस से करें, जिस से सब से ज्यादा विचार मिलता है. मुझे लगता है कि इस मामले में हम सब से अच्छी जोड़ी हैं,” प्रतिभा ने उत्तर दिया.


“प्रतिभा, मैं तुम्हें वर्षों से जानता हूं और यह भी जानता हूं कि कई पुरुषों से तुम्हारी दोस्ती हुई है, पर किसी के साथ तुम्हारी बहुत दिनों तक नहीं निभी. फिर मुझ से कैसे निभा पाओगी? शायद कुछ दिनों के बाद तुम्हारा दिल किसी और पर आ जाएगा. फिर तुम्हारी गंभीरता धरी की धरी रह जाएगी,” सोहन ने हंसते हुए कहा.


“ऐसा नहीं होगा. दूसरों की बात और है, तुम्हारी बात और है. मैं तुम्हें दिल से चाहती हूं. अन्य लोगों से बस परिचय है, दोस्ती है,” प्रतिभा ने गंभीरतापूर्वक कहा.


“थोड़ा समय दो मुझे सोचने के लिए. और हां, तुम भी गंभीरतापूर्वक सोचो. शादी एक गंभीर मसला है और इसे गंभीरतापूर्वक ही सोचना चाहिए,” सोहन ने कौफी का अंतिम घूंट लिया और कप रखते हुए खड़ा हो गया. प्रतिभा पहले ही अपनी कौफी खत्म कर चुकी थी.


“चलो, पार्क में टहलते हैं,” सोहन ने कहा. फिर दोनों पार्क में टहलने चले गए. कुछ देर बाद दोनों अपनेअपने घर वापस आ गए.


घर आ कर सोहन प्रतिभा की बातों पर विचार करने लगा. प्रतिभा उस से शादी करना चाहती है. प्रतिभा उसे भी बहुत अच्छी लगती है, पर दोस्त की तरह. शादी की बात उस ने उस से कभी सोची ही नहीं. और वजह यही थी कि प्रतिभा बड़ी ही चंचल स्वभाव की लड़की थी. न जाने कितने पुरुष मित्रों से उस की दोस्ती हुई, घनिष्ठता हुई और फिर समाप्त भी हो गई. यद्यपि उस के साथ वह हमेशा जुड़ी रही. और अभी भी वह कहती है कि उस के साथ वह बेहद गंभीर है और कभी भी उस का साथ नहीं छोड़ेगी. पर उस के चंचल स्वभाव के कारण उस की बातों पर यकीन करना उसे गंवारा नहीं हो रहा था. अतः वह बारबार कहता रहा है कि वह प्रतिभा को सब से अच्छी दोस्त तो मानता है, पर उस के साथ शादी करने का विचार नहीं रखता है. कभीकभी प्रतिभा इस बात पर नाराज भी हो जाती थी. वह खुद को दो भागों में बंटा हुआ पाता था. उस का दिल तो कहता था कि प्रतिभा के साथ जीवन बिताए, पर दिमाग कहता था कि जो प्रतिभा किसी के साथ दोस्ती नहीं निभा सकी, वह जीवनभर का साथ कैसे निभाएगी. उस का दिल प्रतिभा की बातों पर विश्वास करने को कहता था, पर दिमाग उस के व्यवहार की ओर इशारा करता था, जो किसी के साथ अधिक दिनों तक अच्छे संबंध बनाने में सक्षम नहीं था. पर इस दुविधा में आखिर वह कब तक झूलता रहेगा. उसे कोई न कोई तो निर्णय लेना ही होगा.


उस ने अपने विचारों को एक पन्ने पर उतारना शुरू कर दिया. उसे आश्चर्य हुआ कि वह आज मोबाइल के जमाने में पत्र लिख रहा है. पर वह अपने विचार सुव्यवस्थित तरीके से प्रतिभा के सामने रखना चाहता था और इस के लिए समय चाहिए था, शब्दों का उचित चयन चाहिए था.

उस ने लिखा, “प्रतिभा, मैं तुम्हें दोस्त के रूप में देखता था, देखता हूं और देखते रहना चाहता हूं. तुम मेरी सब से अच्छी दोस्त हो, इस में कोई दो राय नहीं. यही कारण है कि दोस्त के रूप में मैं तुम्हें खोना नहीं चाहूंगा. रोमांस या शादी के कारण हमारी दोस्ती के रिश्ते पर सदा के लिए दुष्प्रभाव पड़ सकता है. मैं ने तुम्हें कई पुरुषों के साथ मित्रता कर उन से दूर होते हुए देखा है. इस कारण कहीं न कहीं मेरे मन में यह भावना आती है कि तुम मेरे प्रति वफादार नहीं रह पाओगी.


“माफ करना, यदि मेरी बात तुम्हें बुरी लगे. पर, मैं अपनी बैस्ट फ्रैंड से अपनी बात कहने में संकोच नहीं कर सकता. सीधे बात करने के स्थान पर पत्र लिखने का कारण बस यही है कि मैं सोचविचार कर सिलसिलेवार तुम्हें अपने विचार बताना चाहता हूं. रूबरू बात करने में तो तुम मेरी बात पूरी होने के पहले ही काट दोगी. आखिर तुम मेरी सब से प्यारी दोस्त जो हो.


“हां, मैं भविष्य की संभावना पर बंदिश नहीं लगा रहा. तुम भी सोच कर देखो, क्या हम पतिपत्नी बन कर या प्रेमीप्रेमिका बन कर अपनी अच्छीखासी दोस्ती को बरबाद नहीं कर देंगे? आशा है, तुम मेरी बात पर गंभीरता से विचार कर के किसी निष्कर्ष पर पहुंचोगी.”


सोहन ने इसी संदेश को टाइप कर प्रतिभा को व्हाट्सअप कर दिया. पहले तो प्रतिभा को इसे पढ़ कर बुरा लगा. पर शांत मन से सोचने पर उसे भी अहसास हुआ कि शादी तो दोनों व्यक्तियों की सहमति से होनी चाहिए. सोहन ने पूरी ईमानदारी के साथ अपना विचार व्यक्त किया है. यदि उस के मन में मेरे प्रति विश्वास नहीं बन पा रहा, तो फिर वैसी शादी विवाद और मतभेद को ही जन्म देगी. यदि आगे चल कर सोहन को उस पर विश्वास हुआ, जिस का कि उसे पूरा विश्वास है, क्योंकि वह सोहन से लंबे समय से जुड़ी रही है, तो शादी की भी जा सकती है.


उस ने जवाब लिखा, “ठीक है, हम दोस्त ही भले हैं, तब तक जब तक कि तुम्हें मेरी वफा पर यकीन न हो जाए.”


सोहन यह जवाब सुन कर खुश हो गया. उस ने जवाब में थम्प्सअप का इमोजी पोस्ट कर दिया.


इस के बाद भी दोनों की दोस्ती जारी रही, परंतु प्रतिभा ने फिर कभी शादी की बात नहीं उठाई. कुछ ही वर्षों के बाद सोहन के मातापिता उस से शादी करने का दवाब बनाने लगे. सोहन ने अपनी ओर से कई लड़कियों के बारे में सोचा, जो उस की जिंदगी में थीं. पर कोई उसे पूरी तरह से जंचती नहीं थी. मातापिता जिन लड़कियों की शादी के लिए सिफारिश करते, उन्हें वह जानता नहीं था. अतः शादी जैसे गंभीर मामले में अनजान लड़की से जुड़ना नहीं चाहता था. फिर जिस बात के लिए वह प्रतिभा से शादी नहीं करना चाहता था, वह उसे सभी लड़कियों में नजर आई. आखिर औफिस में काम करने वाली लड़कियों का समयसमय पर किसी पुरुष सहकर्मी से करीब होना स्वाभाविक था. और फिर प्रोजैक्ट पूरा होने पर वे अपनीअपनी राह पर होते थे. सोहन को महसूस हुआ कि प्रतिभा ही उस के लिए सब से उपयुक्त लड़की है.


एक दिन मौका निकाल कर उस ने प्रतिभा से बात की. “प्रतिभा, मैं ने काफी सोचविचार कर देखा कि तुम से बेहतर जीवनसाथी कोई नहीं हो सकता. आखिर औफिस के काम के सिलसिले में मैं भी दूसरी लड़कियों के करीब आता हूं. पर इस का मतलब यह नहीं कि मैं उन के करीब हो गया और उन के साथ कोई गंभीर रिश्ता रखना चाहता हूं. अब मैं समझ सकता हूं कि तूम पर मैं ने जो आरोप लगाए कि तुम किसी के साथ वफादार नहीं रह सकती, वह गलत है. क्या तुम मुझ से अभी भी शादी करने का विचार रखती हो?”


“अगर मैं ना कहूं तो…?” प्रतिभा ने शोखी से कहा.


“तो फिर मैं क्या कर सकता हूं? मातापिता द्वारा बताई किसी अनजान लड़की से शादी करनी पड़ेगी,“ निराश स्वर में सोहन ने कहा.


“तुम ने कहा था ना कि मैं भविष्य की संभावना पर बंदिश नहीं लगा रहा,” मैं उस संभावना की प्रतीक्षा कर रही थी. और आज वह प्रतीक्षा पूरी हो गई है. यस, आई विल मैरी यू,” प्रतिभा ने कहा.


सोहन के चेहरे पर प्रसन्नता भरी मुसकान तैर गई.

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