कहानी: दो रातें
बीवी से तलाक के बाद रोहित की जिंदगी में श्रेया आई तो जरूर मगर एक रात घर की छत पर ऐसा क्या हो गया कि वह रोहित से नफरत करने लगी...
सुबह के 9 बज रहे थे जब मेरी नींद लगातार बजती डोरबेल से खुली। आदतन मैं ने अनामिका को आवाज लगानी चाही लेकिन मुझे याद आया कि वह अब कभी नहीं आएगी। अभी 3 दिन पहले ही तो हमारा तलाक हुआ था। मैं उठा, दरवाजा खोला तो देखा एक 18-20 साला अनजान लड़की बदहवास सी खड़ी थी,”नानी को अटैक आया है, प्लीज हैल्प मी…”
पहले तो मुझे कुछ समझ नहीं आया, जब समझा तो मेरे मुंह से निकला,”तुम हो कौन? नानी कहां है तुम्हारी?”
“नवीनजी की भांजी हूं, मामामामी दिल्ली गए हैं…”
नवीन मेरे पड़ोसी हैं. सरकारी अफसर हैं और हमउम्र होने के कारण अच्छी मित्रता भी है उन से। मैं ने भीतर जा कर अपना पर्स लिया, पैर में चप्पलें डालीं और चल पड़ा उस के साथ। वहां जा कर देखा तो पाया कि आंटी सोफे पर पसीने से लथपथ अपने सीने को दबाए बैठी थीं। मैं ने तुरंत पास के अस्पताल में फोन किया। लड़की बेहद घबराई हुई थी। मैं ने उसे सांत्वना देते हुए कहा,”चिंता मत करो, अभी ऐंबुलैंस आ रही है।”
अस्पताल पहुंचते ही उन का ट्रीटमैंट शुरू हो गया, फिर मैं ने लड़की से पूछा कि नवीन को फोन किया, तो उस ने बताया कि बात हो गई है। मामामामी अभी वापस रवाना हो रहे हैं। मैं ने अंदाज लगाया कि दिल्ली से जयपुर बाई रोड 4 से 5 घंटे तो लग ही जाएंगे। इसी बीच डाक्टर ने आ कर बताया कि चिंता की बात नहीं है माइल्ड अटैक है, अब वे ठीक हैं। कुछ दवाएं, रजिस्ट्रैशन इत्यादि काम मैं ने निबटा दिए थे। तभी आईसीयू से एक नर्स आ कर बोली,”श्रेया से उस की नानी मिलना चाहती है।”
लड़की यानी श्रेया अंदर गई और 20 मिनट के बाद लौटी तो शांत व आश्वस्त लग रही थी। उस ने कहा कि माफी चाहती हूं आप को परेशान करना पड़ा। मैं ने कहा,”नवीन की मां भी मेरी मां जैसी है, इस में क्या परेशानी है। बस, चाय नहीं पी है तो…”
वह फिर हंसती हुई बोली,”आप चाय पी कर आइए।”
“ठीक है,” कह कर मैं जाने लगा, तो अचानक मुझे याद आया कि श्रेया ने भी चाय नही पी होगी। मैं ने कहा, “तुम भी चलो, यहां कुछ काम तो नहीं है हमारा, कुछ होगा तो मेरे पास फोन आ जाएगा।”
“चलिए…”
कैंटीन में चाय पीते वक्त मैं ने ध्यान दिया, श्रेया बेहद सुंदर थी। लंबी व छरहरी और सिंदूर मिले दूधिया वर्ण की। मैं ने उस से कई सवाल पूछ डाले कि कहां रहती हो, क्या कर रही हो, यहां कब आई वगैरह। उस ने बताया कि जोधपुर से है, कल शाम को ही आई है, ग्रैजुएशन हुआ है आगे की पढ़ाई यहीं से करनी है। मामा कल रात ही दिल्ली गए हैं। जैसाकि मैं जानता था कि नवीन का ससुराल है दिल्ली।
अब कुछ अपनी बातें…
मैं 35 साल का हूं और म्यूजिशियन हूं। अपने पेशे में ज्यादा सफल नहीं हूं, पत्नी अनामिका से लव मैरिज की थी। वह सरकारी स्कूल में टीचर है और मेरा ससुराल यहीं जयपुर में ही था। वह चाहती थी कि मैं म्यूजिक को छोड़ कुछ कामधंधा करूं। वह बच्चा भी चाहती थी और इन्हीं 2 बातों को ले कर झगड़े होते रहते थे। अपने भीतर मैं समझता था कि वह सही है लेकिन अपना पैशन और अपना मेल ईगो छोड़ते नहीं बना।
खैर, इसी बीच श्रेया ने कहा कि वह 10 मिनट में आती है तो लगा कि वाशरूम गई होगी। मुझे सिगरेट की तलब उठ रही थी। मैं अस्पताल से बाहर चला आया। वहां बाहर ही एक दुकान से मैं ने सिगरेट ली और उसी के पीछे चला गया पीने। वहां मैं ने देखा कि श्रेया खड़ी सिगरेट पी रही है। मुझे देख कर वह एकबारगी सकपका गई लेकिन मुसकराते हुए बोली,”मामा को मत बताना…”
मैं ने पूछ लिया,”कौनसा ब्रैंड पीती हो? रूटीन में पीती हो?” मैं जानता हूं कि यह एक गंदी लत है मगर चाह कर भी इसे छोङ नहीं पा रहा था। कह सकते हैं कि सिगरेट ने मुझे अपनी गिरफ्त में ले लिया था। यह भी सही है कि सिगरेट की लत पहले फैशन में लोग करते हैं और फिर यह एक गंदी लत बन जाती है, यह जानते हुए कि यह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है।
खैर, वह बोली,”हां… कोई सी भी ब्रैंड पी लेती हूं…” सिगरेट खत्म कर हम अस्पताल गए। करीब 2 घंटे बाद नवीन और उस की पत्नी पंहुच गए और मैं और श्रेया घर लौट आए। नहा कर, खाना औनलाइन मंगवा कर शाम को करीब 4 बजे मैं श्रेया को ले कर वापस अस्पताल गया। तय हुआ कि नवीन और भाभी घर जा कर रैस्ट करेंगे और रात को वापस आएंगे। तब मैं और श्रेया घर चले जाएंगे। नवीन के घर पर मेड थी तो चिंता की कोई बात नहीं थी। रात को करीब 11 बजे श्रेया का फोन आया,”सिगरेट है आप के पास? ले कर छत पर आओ,” उस ने अधिकारपूर्ण स्वर में कहा।
नवीन और मेरे घर की छतों की मुंडेर एक ही थी। अपनी छत की दीवार कूद कर मैं गया तो वह छत पर बिछे एक बिस्तर पर बैठी थी। सिगरेट पीतेपीते उस ने मुझ से बेशुमार सवाल कर डाले,”बीवी कहां है, मामी बता रही थी कि लव मैरिज की है, प्यार कैसे हुआ, शादी कैसे की, तुम्हारे शौक क्याक्या हैं…”
मैं ने बिना लागलपेट के सब कह सुनाया। यह भी कि अनामिका से पहले भी मेरी कई आशनाई थी और यह भी कि मेरा उस से तलाक हो गया है। बस यह बात यहां किसी को पता नहीं है। अब सवाल करने की मेरी बारी थी। मैं ने पहले पढ़ाई से संबंधित सवाल पूछे, फिर उस की हौबीज के बारे में जाना, परिवार के बारे में जाना, अचानक से मैं ने पूछा,”कोई बौयफ्रैंड नहीं है…”
उस ने जवाब दिया,”अभी तो नहीं पर कई रह चुके, किसी को मैं ने छोड़ दिया, किसी ने मुझे। चलता रहता है… तुम को बनना है?”
मैं सीधा प्रश्न सुन कर हड़बड़ा गया। मैं ने उस के चेहरे की ओर देखते हुए कुछ जवाब देना चाहा तो देखा वह हंस रही थी। मुझे यह तो नहीं पता कि वह क्या सोच रही थी लेकिन कयास मेरा यही था कि वह मुझ से मजाक कर रही थी। आखिर थी ही वह इतनी जीवंत और स्वछंद। इसी तरह सिगरेट और बातें। कब रात गुजर गई पता ही नहीं चला। सुबह जब सूरज अपने पर निकालने की तैयारी में था तो उस ने मुझे कहा,” जाओ, कुछ देर सो भी लो। अस्पताल चलोगे?”
मैं स्वीकृति देते कहते हुए अपनी छत की तरफ का रुख किया। वह भी उठ कर नीचे जाने लगी। जातेजाते रुकी और बोली,”थैंक्यू, यह रात बड़ी शानदार थी…”
अगले दिन मैं 11 बजे सो कर उठा, चाय बना कर पी और तैयार हो कर नवीन के घर गया तो भाभी घर पर थीं। उन्होंने बताया कि नवीन अस्पताल ही है और श्रेया गई थी तभी मैं घर आई हूं। मैं भी अस्पताल निकल पड़ा और नवीन को मैं ने जबरदस्ती घर भेज दिया। नवीन ने बताया कि कल छुट्टी मिल जाएगी मम्मी को। सुन कर अच्छा लगा। मैं और श्रेया रात को 8 बजे अस्पताल से आए, रास्ते में वह मुझ से कह रही थी कि आज वह जल्दी सोएगी, थकान हो रही है। मुझे भी थकान हो रही थी तो मैं घर जाते ही सो गया।
रात को करीब 11 बजे अचानक से मेरी आंखें खुली, उस वक्त न जाने क्यों मुझे अनामिका की याद आई। अकेलेपन के भयावह एहसास ने मुझे जकड़ लिया, सीना भारी होने लगा, मुझे घुटन होने लगी। अनायास ही मैं ने मोबाइल उठाया और श्रेया को व्हाट्सऐप पर मैसेज किया,”सो गई क्या?”
2 मिनट बाद ही उस का जवाब आया,”नहीं, बस सोने जा रही थी।”
“तुम नहीं सोए?”
“सो गया था, बेचैनी से आंखें खुल गईं।”
“क्यों, क्या हुआ? परेशान हो?”
“नहीं, परेशान तो नहीं बस अकेला सा महसूस कर रहा हूं।”
“मैं समझती हूं, चिंता मत करो, सब सही हो जाएगा।”
अचानक से मेरे मन में जाने क्या आया, मैं ने उस से कहा,”आई नीड ए हग ऐंड किस यू…”
उधर से कोई जवाब नहीं आया, जबकि उस ने मैसेज देख लिया था। मैं ने इंतजार किया और मुझे घबराहट होने लगी कि कहीं उस की बेबाकी को मैं ने गलत समझ लिया और उस ने नवीन को अगर यह सब कह दिया तो…इस के आगे मैं सोच नहीं पाया। फिर से मैं ने उसे मैसेज किया,”हैलो, आई वाज किडिंग। आई एम रियली सौरी। डौंट माइंड प्लीज…” यह मैसेज भी सीन हुआ और रिप्लाई नहीं आया। मेरे दिल में गुड़गुड़ होने लगी। नींद तो पहले ही गायब हो गई थी। आधे घंटे बाद उस का मैसेज आया,”छत पर आओ…”
मैं डरतेझिझकते छत पर गया। वह सिगरेट पी रही थी। उस ने इशारे से कहा कि इधर आ जाओ। मैं दीवार कूद कर उस के पास गया। उस ने सिगरेट फेंकी, अपना चेहरा जरा सा उठाया और बांहें फैला दीं। मैं ने उसे अपने आलिंगन में लिया। मैं ने उस के होंठों पर होंठ रख दिए। उस को उसी तरह पकड़े मैं ने नीचे बिछे बिस्तर पर लिटा दिया। रात को 3 बजे मैं ने उठते हुए उस से कहा,”जाओ सो जाओ तुम, थकी हुई हो। वह उठी, अपने कपड़े ठीक किए और जातेजाते उस ने पलट कर मुझे देखा और बाय बोल कर नीचे चली गई।
अगली सुबह मैं 12 बजे सो कर उठा था। नवीन का फोन आया हुआ था। बात की तो पता चला कि आंटी को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया था और वे लोग घर आ गए थे। मुझे बीती रात याद आई तो चेहरे पर मुसकान आ गई। श्रेया के बारे में सोचतेसोचते ही तैयार हो कर नवीन के घर गया। श्रेया ने मुझ से आंखें भी न मिलाई, मैं थोड़ा हैरान हुआ थोड़ा परेशान। वापस घर आ कर उसे फोन किया तो बिजी टोन सुनाई दी। कई बार फोन करने के बाद समझ आया कि उस ने मेरा नंबर ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है। ऐसा ही व्हाट्सऐप में था। मुझे लगा कि यह क्या हुआ, क्या मैं ने जबरदस्ती कुछ किया था? अचानक मुझे लगा कि मैं उस से बेहद प्यार करने लगा हूं और उस के बिना रह नही पाऊंगा।
हर दिन मेरी बेचैनी बढ़ने लगी और उस से बात करने के लिए में रोज आंटी की तबियत पूछने के बहाने नवीन के घर जाता रहा, पूरीपूरी शाम और रात छत पर घूमता था लेकिन वह नजर नहीं आती। मेरा हाल दीवानों सा हो गया था। आखिर एक दिन मुझे वह सुपर मार्केट में मिल गई। मैं ने उस का रास्ता रोक लिया। उस का हाथ कस कर जकड़ लिया,”तुम मुझे अवाइड क्यों कर रही हो? ऐसा क्यों कर रही हो तुम मेरे साथ?”
“तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरा हाथ पकड़ने की, हो कौन तुम? मैं तुम को जानती तक नहीं,” गुस्से से तमतमाते हुए उस ने कहा तो मैं आश्चर्य से अधिक रुआंसा हो गया।
“यह क्या कह रही हो तुम श्रेया, ऐसा मत कहो, मैं तुम से प्यार करता हूं, तुम्हारे बिना मैं रह नहीं पाऊंगा, प्लीज…” मैं लगभग रोने लगा था। मैं ने एक पल के लिए उस के चेहरे पर करुणा देखी, लगा वह अभी रो देगी और मेरे सीने से आ लगेगी, लेकिन अगले ही पल उस का चेहरा पत्थर सा सपाट हो गया। उस ने शांत और स्थिर स्वर में कहा,”तुम ने मुझे प्यार नहीं किया रोहित, मैं ने प्यार नहीं किया। हां, तुम ने प्यार नहीं किया। प्यार शीतल होता है, तुम प्यासे हो, प्यार तृप्त होता है, तुम अतृप्त हो, प्यार पूरा होता है, तुम अधूरे हो…”
“यह सब तुम क्या कह रही हो, क्यों कह रही हो, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। हम ने बहुत प्यारे लम्हे साथ बिताए हैं, हम ने अपना सबकुछ शेयर किया है। हम ने सिर्फ 2 ही रातें साथ बिताई है रोहित, पहली रात मुझे तुम से प्यार होने लगा था, बहुत प्यारे लगे थे तुम, बिलकुल वैसे ही जिस के साथ मैं सहज रह सकूं, जिस को बता सकूं कि मेरा हर राज, हर दुख, हर सपना, लेकिन तुम ने जो कुछ मुझे दिया वह सब अगली ही रात वापस ले लिया यानी हिसाब बराबर।
मैं थके पांव वापस घर आ कर बिस्तर पर निढाल लेट गया। सच तो कह रही थी वह। मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा था और इस सिगरेट की गंदी लत पर भी। मैं उठा और सिगरेट के डब्बे को डस्टबिन में फेंक दिया।
कहानी के लेखक- सूरज नाहट