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गाजीपुर में संसाधन की कमी से नहीं हो पाया ब्रज भूषण दुबे के पिता का नेत्रदान

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर के यूसुफपुर गांव के सेवानिवृत्त अध्यापक और चर्चित समाजसेवी ब्रज भूषण दुबे के पिता मारकंडे दुबे का निधनोपरांत बीते शनिवार को महर्षि विश्वामित्र मेडिकल कॉलेज गाजीपुर के लिए देहदान हुआ था। इस दौरान मेडिकल कॉलेज में संसाधन की कमी के चलते नेत्रदान नहीं हो पाया। इस बात की जानकारी होते ही जंगीपुर के विधायक डॉ. वीरेंद्र यादव ने विधानसभा में मानव शरीर के देहदान पर कई सवाल उठाने की बात कही है।

ब्रज भूषण दुबे ने डॉ. वीरेंद्र यादव से कहा कि हमारे अथक प्रयास के बाद भी मेडिकल कॉलेज सहित शाह नेत्रालय और काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने पिताजी की आंखें नहीं लिया। कारण कि गाजीपुर के मेडिकल कॉलेज के पास संसाधन नहीं थे, जबकि नेत्रदान की प्रक्रिया अति सामान्य है। उन्होंने बताया कि देहदान वाले मानव शरीर को ले आने के लिए बीएचयू जैसे संस्थान में भी कोई एंबुलेंस नहीं है। वहीं, मेडिकल कॉलेजों में भी इसके लिए वाहन की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जंगीपुर विधायक डॉ. वीरेंद्र यादव ने कहा कि हम सदन में इसे तत्परता के साथ उठाएंगे।

पूर्व कुलपति बोले- मुख्यमंत्री को कराएंगे अवगत

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रहे और जय प्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के पूर्व कुलपति हरिकेश सिंह ने कहा की सेवानिवृत्त अध्यापक मारकंडे दुबे ने अपने जीवन के चार दशक तक बच्चों को पढ़ाया। उन्हें उम्मीद थी कि मरणोपरांत उनके पार्थिव शरीर से मेडिकल के बच्चे प्रायोगिक पढ़ाई कर सकेंगे। हम इस मामले को प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिलकर रखेंगे और केंद्र सरकार को भी अवगत कराएंगे।

मार्कंडेय दुबे की पत्नी का भी हुआ था देहदान

बताते चलें कि मार्कंडेय दुबे की पत्नी लीलावती देवी का देहदान 3 वर्ष पूर्व काशी हिंदू विश्वविद्यालय में मरणोपरांत किया गया था। मार्कंडेय दुबे के पुत्र ब्रज भूषण दुबे द्वारा अब तक मृत्योपरांत आंखें दान कराकर 16 दृष्टिहीन लोगों को आंखें प्रत्यारोपित कराई गई है। पुत्र की प्रेरणा से ही पिता ने देहदान का संकल्प लिया था। इस दौरान पूर्व विधायक अमिताभ अनिल दुबे, मो साद, हसन अब्दुल्लाह, पूर्व जिला पंचायत सदस्य रमेश यादव प्रमोद रमेश चौबे, गुल्लू सिंह यादव आदि लोग उपस्थित थे।

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