होमगार्ड विभाग में बड़ी धांधली, होमगार्ड जवानों को घर से बुलाकर बांटी गई थी अनुग्रह राशि की रेवड़ी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश में होमगार्ड जवानों और अवैतनिक पदाधिकारियों को स्थायी दिव्यांगता की दिशा में मिलने वाली अनुग्रह राशि में धांधली के मामले में कई अधिकारियों की मुश्किलें जल्द बढ़ने वाली हैं। अब तक की जांच में सामने आया है कि विभागीय अधिकारियों ने होमगार्ड जवानों को बुलाकर अनुग्रह राशि और आश्रित के सेवायोजन की रेवड़ी बांटी थी।
बीते दिनों होमगार्ड मुख्यालय को प्राप्त अनुग्रह राशि प्रदान किए जाने के 50 विचाराधीन आवेदनों पर भी रोक लगा दी गई है। इन मामलों में मुख्यालय स्तर पर स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से मेडिकल बोर्ड गठित कराकर विचार किया जाना था। गोरखपुर के जिला कमांडेंट अरुण कुमार सिंह के विरुद्ध निलंबन की संस्तुति के बाद विजिलेंस जांच कराए जाने की भी तैयारी है। एफआइआर दर्ज कराकर विजिलेंस जांच कराए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा।
पूरे मामले की जांच में कई खेल सामने आए हैं। सूत्रों का कहना है कि गोरखपुर की एक महिला होमगार्ड को पैरों में खराबी के चलते तथा एक अन्य होमगार्ड को आंखों की रोशनी जाने के कारण अनुग्रह राशि प्रदान की गई थी। जांच में जब टीम महिला होमगार्ड के घर पहुंची थी तो वह ठीक से चलती मिली थी।
ऐसे में अनुग्रह राशि प्राप्त करने के लिए होमगार्डों व अवैतनिक अधिकारियों के संबंधित जिलों से बनवाए गए मेडिकल प्रमाणपत्र भी जांच के दायरे में होंगे। माना जा रहा है कि अनुग्रह राशि के रूप में मिलने वाले पांच लाख रुपयों में कई स्तर पर बंदरबांट की गई थी।
उल्लेखनीय है कि शासन ने अगस्त, 2021 में होमगार्ड स्वयंसेवकों व अवैतनिक पदाधिकारियों के स्थायी रूप से दिव्यांगता की दशा में पांच लाख रुपये अनुग्रह राशि तथा आश्रित को होमगार्ड के पद पर नियुक्ति प्रदान किए जाने का निर्णय किया था। इस योजना का दुरुपयोग किया गया।
कई होमगार्डों व अवैतनिक अधिकारियों ने स्थायी दिव्यांगता के फर्जी प्रमाणपत्र बनवाकर इस योजना का अनुचित लाभ लिया है, जिसमें होमगार्ड अधिकारियों की संलिप्तता रही है। ऐसे सबसे अधिक आठ मामले गोरखपुर में सामने आए थे। अन्य जिलों में भी ऐसी गड़बड़ी पकड़ी गई। इसके बाद ही शासन ने अनुग्रह राशि व आश्रितों की नियुक्ति पर रोक लगा दी है।