चंद्र ग्रहण समाप्त होने के बाद गंगा में नहाने का क्रम जारी, बंद मंदिरों के कपाट खोले गए
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. कार्तिक अमावस्या पर ग्रस्तास्त सूर्यग्रहण के बाद अब पखवारे भर बाद ही कार्तिक पूर्णिमा पर मंगलवार को खग्रास चंद्रग्रहण लगा। भरणी नक्षत्र, मेष राशि पर लग रहा ग्रस्तोदित ग्रहण संपूर्ण भारत के साथ दुनिया के भी कुछ हिस्सों में दिखा। सार्वभौमिक समय (यूनिवर्सल टाइम) अनुसार ग्रहण का आरंभ दिन में 2.39 बजे, मध्य शाम 4.29 बजे और मोक्ष शाम 6.19 बजे तक रहा, लेकिन काशी समेत भारत में चंद्रमा ग्रहण ग्रस्त होने के बाद उदित हुआ। ग्रस्तोदित खग्रास चंद्रग्रहण चंद्रोदय के समय 5.10 बजे दृश्य व मोक्ष 6.19 बजे हुआ। ग्रहण की अवधि 1.09 घंटा रही।
ग्रहण काल समाप्त होने के बाद लोगों में गंगा में स्नान कर मंदिरों के दर्शन किए। ग्रहण के बाद बंद मंदिरों के पट विधि विधान के बाद भक्तों के लिए खोल दिया गया।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. गिरिजाशंकर शास्त्री के अनुसार चंद्रग्रहण से नौ घंटे पूर्व सूतक काल प्रात: 8.10 बजे शुरू होगा। चंद्र ग्रहण एशिया, उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका, आस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर में दिखाई दिया। भारत में यह ग्रहण सर्वप्रथम डिब्रूगढ़, कोहिमा, तमिलांग आदि जगहों पर दिखाई दिया।
ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी बताते हैं कि यह ग्रहण एक पखवारे में दूसरा रहा। ग्रहण एक खगोलीय घटना है जिसका नकारात्मक प्रभाव धरती वासियों पर पड़ता है। शास्त्र अनुसार ग्रहण के पूर्व 15 दिन व ग्रहण के पश्चात के 15 दिनों बाद प्रभाव विशेष होता है। इससे इन दोनों ग्रहणों का प्रभाव प्राकृतिक आपदा, दैवीय आपदा, भूकंप, सुनामी, महामारी के रूप में देखने को मिल सकता है।