राजघाट पुल पर बने फुटओवर ब्रिज की रेलिंग टूटी, कई लोग घायल, अस्पताल में भर्ती
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. देव दीपावली की भीड़ के चलते सोमवार रात काशी स्टेशन से राजघाट को जाने वाली जर्जर रैंप की रेलिंग टूट गई। इससे दर्जन भर लोग नीचे गिर कर घायल हो गए। गनीमत रही की दूसरे छोर की रेलिंग नहीं टूटी। यदि ऐसा होता तो बड़ा हादसा हो सकता था। सूचना के बाद पहुंची पुलिस ने चार घायलों को आनन-फानन मंडलीय चिकित्सालय पहुंचाया, जहां एक ही हालत गंभीर होने पर बीएचयू के लिए रेफर कर दिया गया।
काशी रेलवे स्टेशन से राजघाट पुल पर आने व जाने के लिए रैंप है। उसकी रेलिंग जर्जर हो चुकी है। देव दीपावली की भव्यता देखने पहुंची भीड़ अचानक रैंप पर पहुंच गई। इससे रेलिंग की एक तरफ का कुछ हिस्सा टूटने से कई लोग पांच-छह फीट नीचे गिर पड़े। नीचे पत्थरों की वजह से उन्हें चोट लगी।
घायलों में चौबेपुर के उमरहा निवासी 40 वर्षीय माधुरी का एक हाथ फ्रैक्चर हो गया। उनके चार वर्षीय नाती सुहानी के सिर में चोट पहुंची। इसी तरह आदमपुर के कोनिया निवासी 30 वर्षीय जितेंद्र का पैर टूट गया। इसके बाद युवक को बीएचयू रेफर किया गया। कायस्थ टोला-प्रहलाद घाट निवासी सौम्या को हाथ-पैर में गंभीर चोटें आई है। इन सभी का सरकारी खर्चे पर उपचार किया जा रहा है। घायलों की हालत देखने के लिए मंडलायुक्त कौशलराज शर्मा, सीएमओ डा. संदीप चौधरी व डीसीपी काशी जोन आरएस गौतम अस्पताल पहुंचे और अच्छे इलाज का भरोसा दिलाया।
भीड़ अधिक होने से एकाएक रेलिंग टूट गई
सौम्या ने बताया कि भीड़ अधिक होने से एकाएक रेलिंग टूट गई। अच्छी बात यह थी कि दूसरी छोर की रेलिंग सलामत रही। वह टूटती तो बड़ी घटना घटित हो सकती थी। देव दीपावली को लेकर रेलवे के अधिकारियों द्वारा व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया गया। इससका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ा। कुछ घायल अपना अन्यत्र इलाज कराकर चले गए।
दूसरी ओर क्षेत्र में चर्चा है कि रेलवे के फुटओवर ब्रिज की समय-समय पर मरम्मत नहीं की जाती है जिसके कारण यह हादसा हुआ है। घटना के बाद रेलवे का कोई भी कर्मी मौके पर नजर नहीं आया। जानकारी के अनुसार जर्जर हो चुकी रेलिंग को जगह - जगह लकड़ी के टुकड़ों और रस्सी के सहारे बांधा गया था।
गंगा में आपस में टकराती रहीं नावें
देवदीपावली पर गंगा में व्यवस्था की कमी दिखाई दी। छोटी-बड़ी नावें बेतरतीब और बेलगाम तरीके से गंगा की लहरों पर तैरती रहीं। कई नावों के बीच टक्कर भी हुई। गनीमत रही कि कोई हादसा नहीं हुआ। अर्द्धचंद्राकार गंगा के घाटों पर सजने वाले लाखों दीयों की अलौकिक छटा को गंगा से देखने के लिए हजारों लोग सैकड़ों नावों में सवार हुए थे।
रविदास से लेकर राजघाट तक नावों का आवागन सुबह से लेकर देर रात तक रहा। इसमें जलयान था तो बड़े-छोटे बजड़े, कई साइज के मोटर बोट के साथ चप्पू से चलने वाली नावें भी थीं। गंगा में इनके आवागमन के लिए लेन की व्यवस्था तो जरूर बनाई गई थी लेकिन उसका पालन सख्ती से नहीं होे रहा था। इसके चलते नावें बेतरतीब तरीके से चल रही थीं। नावों की संख्या आम दिनों से काफी ज्यादा होने से उनके बीच टक्कर भी होती रही।