गाजीपुर जिले के सैदपुर में चरम पर पहुंचा बंदरों का उत्पात, स्कूल जाने से डर रहे हैं छात्र
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. Saidpur News: सैदपुर नगर और उससे सटे आसपास के गांव के लिए बढ़ती बंदरों की जनसंख्या सबसे बड़ी मुसीबत बन गई है। भारी आर्थिक नुकसान के साथ-साथ इनके हमले भी दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। बंदरों से बचने के लिए लोग अपने ही घरों मैं कैद होते जा रहे हैं। इनके उत्पात से सैदपुर नगर और उससे सटे आस-पास के गांव में भी किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इनके उत्पात से बचने के लिए किसान कई तरह की फल और सब्जियों की खेती बंद करते जा रहे हैं।
वर्ष में दो बार प्रजनन के कारण, तेजी से बढ़ रही है बंदरों की संख्या
15 वर्ष पहले तक सैदपुर में बंदरों की संख्या लगभग 100 से 200 के बीच थी। लेकिन 1 वर्ष में दो बार प्रजनन के कारण बीते 15 वर्षों में इनकी संख्या बढ़कर लगभग 3000 से 5000 हो गई है। 10 वर्ष पूर्व तत्कालीन चेयरमैन हरीनाथ सोनकर द्वारा इन्हें एक बार पकड़ने के लिए मथुरा से स्पेशलिस्टों को बुलाया गया था। तत्कालीन उपजिलाधिकारी और वन विभाग द्वारा एनओसी देने के बावजूद, इन्हें पकड़ने और फिर जंगलों में छोड़ने का काम फाइलों में ही उलझ कर रह गया।
अपने ही घरों में कैद हो रहे हैं लोग, 18 लाख रुपए प्रति वर्ष का हो रहा है नुकसान
सैदपुर नगर में लगभग 5 हजार परिवार रहते हैं। जो बंदरों से बचने के लिए हजारों रुपए खर्च कर तेजी से अपने घरों कि चारों तरफ लोहे की जाली लगाते जा रहे हैं। फिर भी बंदरों द्वारा कपड़े फाड़ देने, बिजली केबल और डिश एंटीना तोड़ देने, वाहनों की सीट और डिक्की को काटकर नष्ट कर देने आदि के कारण, इन परिवारों को प्रति माह कम से कम लगभग 200 से ₹500 का नुकसान हो रहा है। इस प्रकार नगर निवासियों को प्रतिवर्ष लगभग 18 लाख रुपए का नुकसान हो रहा है। इनसे परेशान लोग खुद आर्थिक सहयोग कर, इन्हें पकड़वाने हेतु नगर पंचायत से आग्रह कर चुके हैं।
हर दिन बढ़ रहे हैं बंदरों के हमले, स्कूल जाने से डर रहे हैं विद्यार्थी
बंदरों के उत्पाद की स्थिति यह हो गई है कि लोग सड़कों पर खाने पीने की चीज लेकर आने जाने में इनके हमलों का शिकार हो रहे हैं। स्कूली बच्चे स्कूल से लेकर मार्ग तक इनके हमलों के बीच पढ़ाई करने को विवश है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हर दिन नगर के लगभग 10 से 15 लोग एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंच रहे हैं। जिनकी संख्या धीरे-धीरे बढ़ती ही जा रही है। खाने पीने की चीजों पर इनके बढ़ते हमलों के कारण, ठेले, खोमचे, दुकानदार आदि को भी माल का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
इस संबंध में कई बार चेयरमैन सरिता सोनकर और अधिशासी अधिकारी से बात की गई। ताकि बंदरों को यहां से पकड़कर जंगलों में छोड़ा जा सके। जिससे कि नगर में बढ़ती जा रही बंदरों की जनसंख्या को कम हो। लेकिन अभी तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। अधिशासी अधिकारी आशुतोष त्रिपाठी ने बताया कि इस संबंध में वन विभाग से बातचीत की जा रही है। उम्मीद है जल्द ही इसपर ठोस निर्णय लिया जाएगा।