Natural Farming In UP: प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने गठित किया उप्र प्राकृतिक खेती बोर्ड
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। कैबिनेट ने उप्र प्राकृतिक खेती बोर्ड के गठन को मंजूरी दे दी है। विभिन्न राज्यों में गठित प्राकृतिक खेती बोर्ड का अध्ययन कर यह प्रस्ताव तैयार किया गया था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ होंगे बोर्ड के अध्यक्ष
बोर्ड का मुख्यालय लखनऊ में होगा। उप्र प्राकृतिक खेती बोर्ड की गवर्निंग बाडी के अध्यक्ष मुख्यमंत्री तथा उपाध्यक्ष कृषि व कृषि शिक्षा मंत्री होंगे। वित्त, कृषि विपणन, उद्यान व खाद्य प्रसंस्करण विभाग, पशुपालन व दुग्ध विकास विभाग, पंचायतीराज व ग्रामीण अभियंत्रण विभाग, सहकारिता विभाग, सूक्ष्म लघु व मध्यम उद्यम विभाग के मंत्री गवर्निंग बाडी के सदस्य होंगे। इनके अलावा मुख्य सचिव, कृषि उत्पादन आयुक्त तथा पशुधन व दुग्ध विकास, उद्यान व खाद्य प्रसंस्करण, कृषि शिक्षा, कृषि विपणन, पंचायतीराज व ग्राम्य विकास, सहकारिता तथा नियोजन विभागों के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, सीजीएम नाबार्ड, समन्वयक एसएलबीसी, मुख्यमंत्री द्वारा नामित प्राकृतिक खेती करने वाले दो प्रगतिशील कृषक, राष्ट्रीय स्तर के दो विशेषज्ञ तथा आइसीएआर व कृषि विश्वविद्यालय के दो विशेषज्ञ, प्राकृतिक खेती करने वाले दो कृषक उत्पादक संगठन भी गवर्निंग बाडी के सदस्य होंगे। अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव कृषि सदस्य सचिव होंगे।
किसानों और कृषि के विकास पर होगा बोर्ड का फोकस
गवर्निंग बाडी द्वारा राज्य स्तर पर नीति निर्धारण, मार्गदर्शन तथा संचालित योजना की समीक्षा की जाएगी। गवर्निंग बाडी के निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय कार्यकारी समिति गठित की जाएगी। इसमें कृषि उत्पादन आयुक्त, अन्य संबंधित विभागों के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, सभी राजकीय कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, निदेशक पशुपालन, निदेशक उद्यान व खाद्य प्रसंस्करण, निदेशक पंचायतीराज, ग्राम्य विकास आयुक्त सदस्य होंगे। निदेशक कृषि/कार्यकारी संचालक उप्र प्राकृतिक खेती बोर्ड सदस्य सचिव होंगे। डीएम की अध्यक्षता में प्राकृतिक खेती बोर्ड की जिला स्तरीय कार्यकारी समिति का गठन किया जाएगा। आत्मा परियोजना के अंतर्गत जिला व ब्लाक स्तर के एटीएम/बीटीएम प्रभारी होंगे। जिला स्तरीय कार्यकारी समिति का मुख्य दायित्व राज्य स्तरीय कार्यकारी समिति के निर्देशों का अनुपालन करना होगा। समिति दो माह में एक बार बैठक करेगी। बोर्ड प्रदेश में प्राकृतिक खेती का प्रचार-प्रसार, प्राकृतिक खेती की उपज का विपणन तथा इस संबंध में केंद्र व राज्य पोषित योजनाओं का क्रियान्वयन तथा अनुश्रवण करेगा। कृषकों की उपज का उचित मूल्य उपलब्ध कराना भी बोर्ड का दायित्व होगा।
प्रचार-प्रसार कर उपज की मांग बढ़ायेगा बोर्ड
बोर्ड उपभोक्ताओं में प्रचार-प्रसार कर प्राकृतिक खेती की उपज की मांग बढ़ायेगा और बिक्री के लिए विकल्पों का विकास करेगा। क्लस्टर आधार पर प्राकृतिक खेती से जुड़े कृषकों को कृषक उत्पादक संगठन में बदला जाएगा। बोर्ड उत्पादों का परीक्षण करने तथा कीटनाशक अवशिष्ट परीक्षण की व्यवस्था के लिए प्रयोगशालाएं भी स्थापित करायेगा। विभिन्न एग्रो क्लाइमेट क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए शोध भी होंगे। कृषकों को विभिन्न संस्थाओं से उच्च गुणवत्ता के बीज/पौध भी उपलब्ध कराए जाएंगे। नमामि गंगे योजना के अंतर्गत कृषि विभाग में गठित गंगा सेल राज्य स्तरीय बोर्ड के अधीन कार्य करेगा व सचिवालय के रूप में सेवा प्रदान करेगा। भविष्य में प्राकृतिक खेती के प्रसार को बढ़ाने के लिए विशेषज्ञों या अन्य मानव संपदा की आवश्यकता पड़ी तो वित्त विभाग की सहमति से उन्हें बोर्ड से जोड़ा जाएगा।