गाजीपुर में झोलाछाप की लापरवाही से जच्चा-बच्चा की मौत, नहीं हुई कार्रवाई
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. शासन-प्रशासन से आदेश के बावजूद झोलाछाप व बिना रजिस्ट्रेशन के अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग से शिकंजा नहीं कसने का खामियाजा लोगों को जान गंवाकर भुगतना पड़ रहा है। जंगीपुर बाजार के लावा मोड़ पर इंद्रावती अस्पताल में आपरेशन में लापरवाही से जच्चा-बच्चा की मौत हो गई। घटना के बाद डाक्टर लेन-देन कर समझौता कर लिया है।
दुल्लहपुर क्षेत्र के धर्मागतपुर निवासी राम केवल राजभर की पत्नी अंतिमा देवी (25) को प्रसव के लिए जंगीपुर के इंद्रावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आपरेशन के बाद बच्चा पैदा हुआ। प्रसव के कुछ देर बाद ही नवजात व प्रसूता की हालत बिगड़ने लगी। चिकित्सक ने रक्त प्रवाह को रोकने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुआ। दोनों की हालत गंभीर देख कर चिकित्सक ने दोनों को मऊ के अपने करीबी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। वहां पहुंचने पर कुछ देर बाद नवजात व प्रसूता दोनों की मौत हो गई। मौत के बाद मृतका के मायका तथा ससुराल पक्ष के लोग अस्पताल पर पहुंच गए।
बवाल से बचने के लिए अस्पताल संचालक ने लेन-देन कर मामला शांत करा दिया। दो वर्ष पूर्व ही अंतिमा की शादी हुई थी। घटना की सूचना पुलिस को नहीं दी गई। अस्पताल का अभी तक कोई पंजीकरण नहीं है। शुक्रवार को इस मामले को लेकर पंचायत भी हुई। अस्पताल के चिकित्सक सुनील कुशवाहा का कहना है कि उनके यहां नहीं मऊ के अस्पताल में मौत हुई है। थानाध्यक्ष जंगीपुर अशोक मिश्रा का कहना है कि उन्हें घटना की कोई सूचना नहीं।
आशा ने भेजा था अस्पताल
प्रसूूूता को क्षेत्र की एक आशा सरकारी अस्पताल की बजाय जंगीपुर के अस्पताल में ले गई थी। बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित नर्सिंग होम व अस्पताल संचालकों की स्वास्थ्य विभाग में सेटिंग है। कई आशा खुद प्रसूताओं को निजी अस्पतालों में भेजती हैं। बदले में चिकित्सक उन्हें तय धनराशि दे देता हैं।
झोलाछाप पर कार्रवाई न करने वाले जिम्मेदार भी कसूरवार
सरकार भले ही जच्चा-बच्चा की मौत को कम करने के लिए तमाम कोशिशें कर रही है, लेकिन नीचे के स्तर पर कर्मचारी व अधिकारी इसको लेकर गंभीर नहीं हैं। आए दिन लापरवाही से प्रसूता की मौत हो रही है। पिछले दिनों तीन स्थानों पर प्रसूताओं की जान चली गई थी। इसके बाद प्रशासनिक व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की नींद टूटी थी। कुछ दिन तक एसडीएम व सीएचसी प्रभारी ने मिलकर छापेमारी की, लेकिन बाद में अभियान ठंडा पड़ गया। जंगीपुर में संचालित इस अस्पताल पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और दो की जान चली गई। सवाल यह है कि जितना झोलाछाप जिम्मेदार हैं, उससे कम कसूरवार उनपर कार्रवाई के लिए अधिकृत अधिकारी भी नहीं है।