गाजीपुर में गंगा ने डुबोई फसलें, मंगई नदी से खेत जलमग्न
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गंगा में बढ़ते जलस्तर के साथ ही मंगई समेत सहायक नदियों में भी पानी बढ़ने लगा है। गंगा के प्रतिघंटे दो सेमी बढ़ोत्तरी ने किसानों की फसलें डुबो दी हैं। रेवतीपुर के इलाके में कई बीघा में टमाटर और मिर्च समेत अन्य फसलों में जलभराव हो गया है। सैदपुर में तटवर्ती इलाकों में भी गंगा के बढ़ते पानी ने धडकनें बढ़ा दी हैं। वहीं मगई नदी दस किमी के दायरे में आसपास के खेतों को जलमग्न कर दिया है। इन खेतों में पानी भर गया और जलभराव का दायरा बढ़ता ही जा रहा है। बेसो नदी में भी पानी बढ़ रहा है जो आने वाले दिनों में आसपास के किसानों की फसलों के लिए परेशानी बनेगा।
करीमुद्दीनपुर इलाके में शारदा सहायक नहर से अचानक पानी छोड़े जाने से मंगई नदी में जलस्तर बढ़ने लगा है। नदी के बढ़ते जलस्त और तेज प्रवाह ने आसपास के इलाकों में कोहराम मचा दिया है। पानी बढ़ने से करईल क्षेत्र के सैकड़ों एकड़ की भूमि जलमग्न हो गई है। इसे लेकर इस क्षेत्र से जुड़े किसान दहशत में आ गए है। पिछली साल भी बारिश के बाद मंगई में आई बाढ़ ने हजारों बीघा खेत और फसल को नष्ट कर दिया था। गाजीपुर में गंगा की बाढ़ के शांत होने के बाद जिले के दूसरे छोर पर मंगई ने रौद्र रूप लेना शुरू कर दिया है। सहायक नदियों से जल पाकर मगई का जलस्तर तेजी से बढ़ने लगा है। वहीं मगई की राह में मछुआरों के जाल ने इसका प्रवाह रोक लिया, जिससे आसपास के इलाके बाढ़ की चपेट में आने की आहट शुरू हो गई है।
शुक्रवार नदी के किनारे के सौ मीटर आसपास के सैकड़ों बीघा खेत जलमग्न हो गए। मंगई का पानी पतार, भरौली, विश्वम्भरपुर, लठ्ठूडीह, लौवाडीह, राजापुर, परसा, जोगामुसाहिब, करीमुद्दीनपुर, लट्ठूडीह, मूर्तजीपुर, खेमपुर, सिलाइच, सियाड़ी सहित कई गांव के सिवान में पानी तेजी से फैल रहा है। विगत चार वर्षों से करइल के सबसे उपजाऊ मैदान में रबी की बुआई नही हो पा रही है, कभी मछली माफियाओं द्वारा नदी के प्रवाह को बांध दिया जाता है तो कभी शारदा सहाय नहर द्वारा पानी छोड़ दिया जाता है।
इसके लिए प्रतिवर्ष किसानों द्वारा धरना करना पड़ता है। किसानों की समस्या पिछले कई वर्षों से चलती आ रही है जिसे लेकर समय-समय पर किसान आवाज भी उठाते रहे हैं लेकिन अभी तक किसानों को इस समस्या से निजात नहीं मिल पाया है। किसानों की माने तो रबी की बुआई में अब एक सप्ताह से भी कम समय है ऐसे में खेतों में पानी आ जाने रबी की बुआई नही हो पाएगी और किसान भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे। राजापुर से जोगामुसाहिब के बीच नदी की खुदाई तो कर दी गयी लेकिन इसके आगे जब खुदाई शुरू हुई लेकिन बदं होने के बाद हालात और बिगड़ गए।
किसानों की फसलें डूबी तो बढ़ी दुश्वारियां
रेवतीपुर में तीन दिनों से गंगा में बढ़ते जलस्तर ने किसानों की फसलों की ओर रुख कर दिया है। पिछले दिनों बाढ़ ने किसानों की परेशानी बढ़ाई तो फिर गंगा के जलस्तर में हो रही वृद्धि से तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोग सहमे हैं। शुक्रवार सुबह से गंगा के जलस्तर में तीन सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से वृद्धि हो रही थी। शनिवार को गंगा की रफ्तार में कुछ कमी देखने को मिली, शाम को 2 सेंटीमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गंगा में वृद्धि दर्ज की गई। रेवतीपुर ब्लाक के आधा दर्जन गांव के बाहर गंगा का पानी आ चुका है। गंगा के जल स्तर में लगातार हो रही वृद्धि पर पैनी नजर रखी जा रही है। खतरे का निशान 63.105 है, दोपहर गंगा का जलस्तर 61.180 मीटर दर्ज किया गया। जबकि चेतावनी बिंदु 61.550 मीटर है।
शनिवार को गंगा के बढ़ते जलस्तर से बाढ़ का पानी गांव के बाहरी तरफ सिवान में आ गया है। अत्यधिक बाढ़ प्रभावित गांव नगदिलपुर, हसनपुरा, बीरउपुर, आठहठ, के सिवान में पानी आ जाने की वजह से सैकड़ों बोये हुए फसल जलमग्न हो गए। जिसकी वजह से किसानों का लाखों रुपए का नुकसान का सामना करना पड़ा मालूम हो कि अभी पिछले एक महीना पहले ही बाघ ने ऐसा दर्द दिया था कि किसान अभी उसको सहन नहीं कर पा रहे थे फिर अचानक बाढ़ आ जाने की वजह से किसानों की काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस समय किसान टमाटर मिर्च परवल की फसल बोए हुए थे, जिसकी पानी आ जाने की वजह से सारा डूब गया। किसानों के लिए एक बार और परेशानियों का सामना खड़ा हो गया क्योंकि इस पानी से अभी अब आबादी वाले लोगों को अभी बाढ़ का कोई खतरा नहीं है लेकिन फसल डूब जाने की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है।
गंगा में तीन दिनों से बढ़ा पांच फुट जलस्तर
पश्चिमी इलाकों में भारी बारिश के चलते सैदपुर में गंगा नदी के जलस्तर में तेज बढ़ाव शुरू हो गया है। नदी के तटवर्ती इलाकों में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को एक बार फिर बाढ़ का डर सताने लगा है। विभिन्न गंगा घाटों पर स्नान करने वाले बेहद सतर्कता के साथ स्नान कर रहे हैं। चार दिनों में गंगा का जलस्तर 8 फुट और बढ़ गया है। छठ पूजा की तैयारी भी अचानक नदी का जलस्तर बढ़ने से प्रभावित होने की संभावना है।
कुछ हफ्तों पहले प्रदेश के हर हिस्से में तेज बारिश हुई थी। बाढ़ की विभीषिका के बाद बीते 4 दिनों से गंगा नदी का जलस्तर एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगा है। तटवर्ती इलाकों के लोग खेतों के डूबने को लेकर चिंतित दिखाई दे रहे हैं। एक माह पूर्व आई गंगा नदी की बाढ़ ने तटवर्ती इलाके के किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया था। सैकड़ों बीघा फसल लगी खेत जलमग्न हो जाने के कारण बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ था। उप जिलाधिकारी ओम प्रकाश गुप्ता ने बताया कि नदी का जलस्तर भले ही अभी तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन इसके ज्यादा बढ़ने के अनुमान नहीं है। फिर भी प्रशासन नदी के बढ़ते जलस्तर पर नजर बनाए हुए हैं।