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गाजीपुर महिला जिला चिकित्सालय में सुविधाओं का अभाव, गर्भवती महिलाओं को प्राइवेट हॉस्पिटल का करना पड़ रहा रुख

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर जिला महिला अस्पताल की दुर्व्यवस्थाओं के चलते मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। चिकित्सकों की कमी के चलते ओपीडी में गर्भवती महिलाओं को घंटों लाइन में खड़े होना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर अल्ट्रासाउंड के लिए प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटर का सहारा लेना पड़ता है, क्योंकि जिला महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में मरीजों को ज्यादा पैसे चुका कर अल्ट्रासाउंड कराना पड़ता है।

महिला जिला चिकित्सालय वर्तमान में गाजीपुर मेडिकल कॉलेज से संबंध हो चुका है। जिसे अब 100 शैय्या युक्त मातृ एवं शिशु जिला चिकित्सालय के नाम से जाना जाता है। लेकिन चिकित्सकों से लगाये उपकरणों तक की भारी कमी के चलते इस अस्पताल में आने वाली गर्भवती महिलाओं को परेशानियों से जूझना मजबूरी बना हुआ है।
अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं
जिला महिला अस्पताल में इलाज के लिए आई गर्भवती पूनम ने बताया कि यहां पर अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं है। डॉक्टर द्वारा अल्ट्रासाउंड लिखे जाने पर हम लोगों को प्राइवेट में जाना पड़ता है। जहां अधिक पैसे भुगतान कर अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट बनवानी पड़ती है।

गर्भवती शाहनवाज ने बताया कि ओपीडी में डॉक्टर को दिखाने के लिए 1 घंटे से लाइन में लगा रहना पड़ा। अल्ट्रासाउंड लिखे जाने पर बाहर से अल्ट्रासाउंड कराना पड़ा है, क्योंकि अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
सुविधा के लिए बनाए गए अस्पताल
गर्भवती महिला के साथ आए परिजन हफीज ने बताया कि गरीबों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए सरकारी अस्पतालों की स्थापना की गई है। लेकिन यहां पर अल्ट्रासाउंड सुविधा न होने से गरीब मरीजों को बाहर से अल्ट्रासाउंड कराने का आर्थिक बोझ झेलना पड़ रहा है। यह समस्या यहां लंबे समय से बनी हुई है।

जिला महिला चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. तारकेश्वर ने बताया कि हमारे यहां रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। जिसकी व्यवस्था की जा रही है। जैसे ही रेडियोलॉजिस्ट की व्यवस्था हो जाती है। जैम पोर्टल के माध्यम से अल्ट्रासाउंड मशीन उपलब्ध करा दी जाएगी।

200 मरीज ओपीडी में इलाज के लिए आते हैं
गाजीपुर जिला महिला अस्पताल में प्रतिदिन 150 से 200 मरीज ओपीडी में इलाज के लिए आते हैं। चिकित्सकों की कमी के चलते जहां इन मरीजों को अपनी बारी आने का लंबा इंतजार करना पड़ता है, वहीं दूसरी ओर अल्ट्रासाउंड मशीन न होने के चलते प्राइवेट में अधिक पैसे देकर रिपोर्ट बनवानी पड़ती है।
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