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अतुल राय की न्यायिक रिमांड मंजूर, गत 8 सितंबर को कोर्ट के बाहर अचेत होने पर नहीं हो सकी थी पेशी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट / एमपी-एमएलए कोर्ट उज्जवल उपाध्याय की अदालत ने मंगलवार को नैनी सेंट्रल जेल में बंद बसपा सांसद अतुल राय के खिलाफ लगभग एक घंटा की दलीलें सुनने के बाद अंतत: दुष्कर्म पीडि़ता व गवाह को जाने देने के लिए उकसाने के मामले में न्यायिक रिमांड मंजूर कर ली। रिमांड के दौरान सांसद की नैनी जेल से वीडियो कान्फ्रेंसिंग से पेशी हुई।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि प्रपत्रों के अवलोकन से यह प्रतित होता है कि थाना हजरतगंज लखनऊ में पुलिस महानिदेशक द्वारा गठित टीम की जांच के बाद पूर्व आइपीएस अमिताभ ठाकुर और अतुल राय के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। सीओ अमरेश सिंह बघेल के द्वारा थाना लंका में अतुल राय के खिलाफ दर्ज मुकदमे में अविधिक लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से अपूर्ण व निराधार अभिलेखों की रचना की गई है।

ऐसे में दोनों प्रथम सूचना रिपोर्ट अलग-अलग सम व्यवहार से होना दिखाई देता है। ऐसे में आरोपित की न्यायिक रिमांड आइपीसी की धारा 193, 218, 219, 306, 120 बी के तहत स्वीकृत की जाती है। कोर्ट ने सुनवाई की तिथि 27 सितंबर तय करते हुए आरोपित सांसद को वीसी के जरिए पेश होने का आदेश दिया है।

इसके पूर्व आरोपित के अधिवक्ता अनुज यादव ने आपत्ति में दुष्कर्म मामले में बरी होने के निर्णय और लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज प्राथमिकी और आरोप पत्र को कोर्ट में पेश करते हुए कहा कि एक ही मामले में दो न्यायिक रिमांड नहीं बन सकता है। इस संदर्भ में कानूनी दलीलें भी पेश की।

जवाब में डीजीसीए फौजदारी आलोक चंद्र शुक्ला और एपीओ ने कोर्ट मैं दलील दी कि दोनों लंका थाने और हजरतगंज थाने में काफी अंतर है और दोनों घटनाएं अलग अलग तरीके की हैं। ऐसे में न्यायिक रिमांड बनाए जाना न्याय संगत होगा। बता दें कि गत आठ सितंबर को कचहरी में सांसद के अचेत होने के कारण पेशी नहीं हो पाई थी।

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