सावन रहा सूखा, भादो में होगी बारिश! विज्ञानियों ने बताया द्रोणिका दक्षिण में खिसकी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. पूर्णिमा के बाद शुक्रवार को सावन बीत जाएगा। कुछ दिनों की फुहार के अलावा पूरे महीने यूपी खासकर पूर्वांचल का इलाका बारिश के लिए तरस गया। अब भादो में बारिश की क्या उम्मीद है। इसे लेकर विज्ञानियों ने बताया है कि जुलाई में पटरी पर आई मानसून द्रोणिका फिर दक्षिण की तरफ खिसक गई है। इससे भादो में भी कम बारिश की ही आशंका है।
इस साल समय से आए मानसून से अच्छी बारिश की आस थी। मगर पूर्वोत्तर से पूर्वांचल की तरफ बढ़ते मानसून दक्षिण की तरफ भटक गया। मानसून द्रोणिका या ट्रफ के भटकने से बिहार और उत्तर प्रदेश में बरसने वाला पानी मध्य प्रदेश और दक्षिण भारत के साथ गुजरात और राजस्थान को भिंगो रहा है।
जून में शुरुआती बारिश के बाद पूरा महीना सूखा रहा। जुलाई 15 दिनों तक सूखी बीती। मानसून द्रोणिका पटरी पर आई और 16 जुलाई के बाद बारिश शुरू हुई। अगस्त में नियमित अंतराल पर पानी बरसा जरूर मगर यह बारिश इलाकावार होती रही। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मानसून द्रोणिका एक बार फिर दक्षिण की तरफ खिसक गई है। ऐसे में मौसम सुहावना होने के बावजूद बारिश उम्मीद से कम होगी।
बीएचयू के मौसम वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि मानसून द्रोणिका का यह बर्ताव अध्ययन का विषय है। इस दौरान बारिश सामान्य से कम होने की उम्मीद है। ताबड़तोड़ बारिश की जगह इलाकावार और 10 मिनट से आधे घंटे के बीच की ही बारिश का अनुमान है।
क्या है मानसून द्रोणिका यानी ट्रफ
केरल और ओडिशा के तटों से मैदानी क्षेत्र की तरफ बढ़ते हुए मानसून का एक रास्ता माना जाता है। इस काल्पनिक लाइन को मानसून द्रोणिका या ट्रफ कहते हैं। हालांकि इस साल मानसूनी बादल अपनी इस रेखा के बजाए दक्षिण दिशा की तरफ होकर बढ़ रहे हैं। गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण के राज्यों में उम्मीद से ज्यादा बारिश इसी का कारण है।
औसत से कम हुई बारिश
पूर्वांचल के केंद्र बनारस में आंकड़ों के अनुसार जून से 4 अगस्त तक कुल 448 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है। जबकि पिछले वर्षों के हिसाब से यह 550 मिमी के आसपास होनी चाहिए थी। जुलाई में बारिश का औसत 299.4 मिमी है जबकि 230 मिमी वर्षा हुई।
बार 30 फीसदी घट जाएगा धान का उत्पादन
मानसूनी बारिश न होने से खरीफ की फसलें काफी प्रभावित हो रही हैं। धान की फसल का विकास की गति धीमी पड़ गई है तो इसमें रोग भी लगने लगे हैं। दलहनी और तिलहनी फसलों का भी विकास ठीक से नहीं हो रहा है। किसान इसको लेकर चिंतित हैं। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर मानसूनी बारिश होती है तो भी धान का उत्पादन 30 प्रतिशत घट जाएगा।
मानसून आने में देर होने से किसानों ने धान की रोपाई भी देर से की है। अब उनके सामने बारिश न होने से रोपी गई फसलों को बचाना चुनौती बना हुआ है। छिटफुट बारिश से फसलों को भरपूर पानी नहीं मिल रहा है। इसका असर उसपर पड़ रहा है। खासकर धान की फसल का विकास नहीं हो पा रहा है। चिरईगांव ब्लाक के विकापुर गांव के किसान ओमनाथ तिवारी, खानपुर के चंदन वर्मा, आराजीलाइन ब्लाक के मरुई गांव के सूर्यबली सिंह, जक्खिनी के शीतला सिंह ने बताया कि उम्मीद लगाए हैं कि मानसूनी बारिश होगी तो फसलों को राहत मिलेगी।