गाजीपुर में छेड़खानी : चार-पांच दिनों से किशोरी के पीछे लगे हुए थे पांचों आरोपित
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर के सुहवल क्षेत्र के एक गांव निवासी किशोरी संग छेड़खानी व कपड़ा फाड़ने के मामले में जिन पांच युवकों व किशोरों के खिलाफ एफआइआर दर्ज है, वह किशोरी के पीछे पांच-छह दिनों से लगे हुए थे। बुधवार को हार मानकर माता-पिता थाने पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद मामले में क्षेत्रीय सपा विधायक का हस्तक्षेप होने के कारण पुलिस भी मामले की लीपापोती में जुट गई और पूरे दिन थाने में बैठाकर उन्हें तरह-तरह का झांसा देने लगी। यहां तक की मीडियाकर्मियों से भी उन्हें दूर रखा गया।
मामला पुलिस अधीक्षक के संज्ञान में आ गया तो सबकी हेकड़ी बंद हो गई और तत्काल एफआइआर दर्ज कर पुलिस आरोपितों की तलाश में भी जुट गई, लेकिन खोज नहीं पाई। गुरुवार को आनन-फानन सपा के एक नेता ने सभी आरोपितों को थाने में हाजिर करा दिया, जबकि सुहवल थाने की पुलिस आरोपितों को गिरफ्तारी का डंका पीटकर अपनी पीठ थपथपाती रही।
किशोरी के माता-पिता पास के ही एक गांव में खेती-बारी करते हैं। वह प्रतिदिन वह उन्हें खाना लेकर जाती थी। खाना देने के बाद वह सड़क के पास हैंडपंप से पानी लेकर जाती थी। पांच-छह दिनों तक यह सभी आरोपित उसके पीछे लगे हुए थे। रोज की भाति बुधवार को भी जब वह खाना देकर पानी लेने को गई, इसी दौरान पांचों युवक उसे उठाकर लेकर चले गए, जहां उससे न सिर्फ छेड़छाड़ की बल्कि कपड़े तक फाड़ दिए। कुछ देर बाद वह पहुंची तो अपने माता-पिता को पूरी बात बताई। इतना कुछ हाेने के बावजूद पीड़ित माता-पिता जब किशोरी के साथ थाने पहुंचे तो उसे न्याय दिलाने के बजाय पुलिस उन्हें ही समझाने लगीं। जिस गांव के सभी आरोपित हैं उसी गांव में क्षेत्रीय विधायक की ससुराल है। इसके कारण उनका मामले में सीधा हस्तक्षेप था।
दुष्कर्म जैसा संगीन मामला होने के बावजूद सुहवल पुलिस विपक्षी दल के क्षेत्रीय विधायक के प्रभाव में आ गई। पीड़ित स्वजन को पुलिस ने पाठ पढ़ाया कि अगले दिन कोर्ट में उन्हें क्या बयान देना है, वह रट लिए थे। गुरुवार को कोर्ट में पीड़िता का बयान दर्ज किया गया। वहीं मामले में थानाध्यक्ष तारावती का कहना है कि सभी आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया है, उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।
दो दिनों तक पुलिस के पहरे में रहे स्वजन
पीड़ित किशोरी और उनके माता-पिता बुधवार की सुबह से ही पुलिस के पहरे में रहे। पुलिस का पहरा इस कदर था कि उनसे कोई मिल भी नहीं सकता था। इतनी सुख्त सुरक्षा में पीड़ित क्यों थे, इसका जवाब सुहवल पुलिस नहीं दे पा रही है।