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गाजीपुर के उसरी चट्टी कांड में मुख्तार अंसारी पर हमले में आया था ब्रजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह का नाम

Ghazipur News Team, Ghazipur (गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर). पूर्वांचल की बड़ी गैंगवार (Purvanchal Gangwar) 21 साल पहले उसरी चट्टी पर हुई थी। माफिया मुख्तार अंसारी पर उसरी चट्टी (Ghazipur Usri Kand) पर स्वचलित हथियारों से हमला हुआ था। जिसमें मुख्तार अंसारी का सरकारी गनर और एक हमलावर की मौत हो गई थी। इसके बाद मुख्तार अंसारी और ब्रजेश सिंह आमने सामने आ गए थे। इस हमले में ब्रजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह का नाम आया था।

Ghazipur Usri Kand

बताते चलें कि 15 जुलाई 2001 को मुख्तार अंसारी कई गाड़ियों के काफिले के साथ मुहम्मदाबाद से मऊ जा रहे थे। दिन में करीब 12:30 बजे उसरी चट्टी (Ghazipur Usri Chatti) पर उनके काफिके पर पहले से तैयार हमलावरों ने स्वचलित हथियारों से ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। इसमें मुख्तार अंसारी के गनर की मौके पर मृत्यु हो गई। हमलावरों में से भी एक की मौत हो गई थी।

मुख्तार अंसारी के साथ चलने वाले हमराहियों को भी चोट आई थी। मामले में मुख्तार अंसारी ने बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह को नामजद करते अन्य 15 अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था।

विवेचना उपरांत पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ आरोप पत्र प्रेषित किया, जिसमें से दो आरोपितों की विचारण के दौरान मौत हो गई। इस हमले के बाद ही गैंगवार में कई लोग मारे गए थे। इसके बाद 2005 में मुहम्मदाबाद से भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद त्रिभुवन सिंह के भतीजे अनिल सिंह निवासी मुडियार की भी हत्या कर दी गई थी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माफिया ब्रजेश सिंह उर्फ अरूण कुमार सिंह की जमानत मंजूर कर ली

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाहुबली मुख्तार अंसारी पर हुए जानलेवा हमले व हत्या षड्यंत्र के आरोपी माफिया ब्रजेश सिंह उर्फ अरूण कुमार सिंह की जमानत मंजूर कर ली है। यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र ने दिया है। ब्रजेश सिंह पिछले 12 वर्ष (2009) से जेल में बंद है।

ब्रजेश सिंह व अन्य लोगों के खिलाफ गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में जानलेवा हमला व हत्या सहित आईपीसी की कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था। ब्रजेश पर अपने साथियों के साथ मिलकर मुख्तार अंसारी के काफिले पर जानलेवा हमला करने का आरोप है। हमले में मुख्तार के गनर की मौत हो गई थी तथा कई अन्य लोग घायल हो गए थे।

जमानत के समर्थन में याची की ओर से कहा गया कि वह इस मामले में 2009 से जेल में बंद है। इससे पूर्व उसकी पहली जमानत अर्जी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी। साथ ही कोर्ट ने विचारण न्यायाधीश को निर्देश दिया था कि मुकदमे का विचारण में एक वर्ष के अंदर सभी गवाहों की गवाही पूरी कर ली जाए और ट्रायल पूरा किया जाए। इसकी अवधि बीतने के बाद भी सिर्फ एक ही गवाह का बयान दर्ज कराया जा सका है। 

यह भी कहा गया कि याची के खिलाफ 41 आपराधिक मामलों का इतिहास है। इनमें से 15 में वह बरी या डिस्चार्ज हो चुका है। सिर्फ तीन मुकदमों में विचारण चल रहा है। इनमें से दो मुकदमों में वह जमानत पर है। सिर्फ इस एक मामले में उसे जमानत नहीं मिली है। मुकदमे का ट्रायल जल्द पूरा होने की उम्मीद नहीं है।

राज्य सरकार और मुख्तार अंसारी की ओर से अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय ने जमानत अर्जी का विरोध किया गया। कहा गया कि याची के खिलाफ 41 आपराधिक मुकदमे हैं। उसे जेल से रिहा करना उचित नहीं है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने सौदान सिंह केस के निर्देश, तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर ब्रजेश सिंह को सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।

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