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पश्चिम यूपी में मौसम मेहरबान, पूर्वांचल को बारिश का इंतजार, जानिए क्या है आसार

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश में मॉनसून की सामान्य बारिश होने के अभी करीब एक सप्ताह तक आसार नहीं हैं। कुछ इलाकों में छिटपुट बारिश हो सकती है।  गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर (नोएडा-ग्रेटर नोएडा), मेरठ के आसपास जिलों में येलो अलर्ट है। यानी हल्की से मध्यम बारिश होगी। इस अनुमान का असर देखने को भी मिल रहा है। वहीं पूर्वी यूपी को बारिश का इंतजार है।

आंचलिक मौसम विज्ञान केन्द्र से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार की शाम साढ़े पांच बजे से मंगलवार की सुबह साढ़े आठ बजे के दरम्यान बरेली के बहेड़ी में सात सेण्टीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई। इसके अलावा हापुड़, पीलीभीत के बीसलपुर में छह-छह, झांसी में चार, बिजनौर के नजीबाबाद और मथुरा के गोवर्धन इलाके में दो-दो तथा मथुरा के मांट और मेरठ में एक-एक सेण्टीमीटर बारिश हुई।

उत्तर प्रदेश में 29 जून को सोनभद्र के रास्ते दाखिल हुए मॉनसून ने अब तक राज्य में सामान्य वर्षा के मुकाबले महज 35.08 प्रतिशत बारिश दी है। राज्य के 48 जिलों में अब तक छिटपुट यानी सामान्य से 40 प्रतिशत से भी कम और 20 जिलों में कम बारिश यानी 40 से 60 प्रतिशत के बीच बारिश हुई है। इस वजह से इस बार खरीफ की फसलों की बोआई और धान की रोपाई लगातार प्रभावित हो रही है। अब तक महज 28 फीसदी ही रोपाई व बोआई हो पायी है।

फसल बचाना हो रहा मुश्किल

कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल चार लाख हेक्टेयर में धान की नर्सरी लगाई गई थी। इस बार 3 लाख 93 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य था और 3 लाख 88 हजार हेक्टेयर में धान की नर्सरी लगी। मगर इस बार 59 लाख हेक्टेयर के कुल निर्धारित रकबे में से महज 16 लाख 02 हेक्टेयर में ही रोपाई हो पाई है। जो किसान निजी नलकूप या पम्पसेट के जरिये धान की रोपाई करने में सफल हो भी गए हैं, उन्हें भी अब फसल को बचाने के लिए धान के खेत को पानी से लबालब भरने के लिए अपेक्षाकृत ज्यादा अवधि तक नलकूप या पम्पसेट चलाना पड़ रहा है। इसकी वजह से उनकी लागत बढ़ती जा रही है। जिन किसानों के पास ऐसे संसाधान नहीं हैं वह तो अब धान की नर्सरी लगाने के बाद उसकी रोपाई की हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहे हैं। 

 अन्य फसलों की बोआई पिछड़ी

मक्के की बोआई 7 लाख 80 हजार हेक्टेयर के मुकाबले 3 लाख 62 हजार हेक्टेयर में ही हो सकी है। ज्वार की बोआई 2 लाख 15 हजार हेक्टेयर के मुकाबले सिर्फ 45 हजार हेक्टेयर में, बाजरे की 9 लाख 80 हजार हेक्टेयर के मुकाबले सिर्फ 1 लाख 83 हजार हेक्टेयर में ही बोआई हो सकी है। मोटे अनाजों की बोआई जरूर 15 लाख हेक्टेयर के मुकाबले अब तक 12 लाख हेक्टेयर में की जा चुकी है।

उड़द की बोआई 7 लाख 25 हजार हेक्टेयर के मुकाबले 2 लाख 58 हजार हेक्टेयर, मूंग की 40 हजार हेक्टेयर के मुकाबले 11 हजार, अरहर की 3 लाख 60 हजार हेक्टेयर के मुकाबले 98 हजार हेक्टेयर में ही बोआई हो पाई। तिलहनी फसलों में मूंगफली की 1 लाख 25 हजार हेक्टेयर के मुकाबले 45 हजार हेक्टेयर में, सोयाबीन की 50 हजार हेक्टेयर के मुकाबले 41 हजार हेक्टेयर में तिल की 4 लाख 13 हजार हेक्टेयर के मुकाबले 95 हजार हेक्टेयर में ही बोआई हो पाई है।

असफल बोआई/रोपाई पर मिलेगी क्षतिपूर्ति

कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक प्रसार आर.के.सिंह ने बताया कि अगर ग्राम पंचायत स्तर पर अधिसूचित फसल की बोआई 31 जुलाई तक 75 प्रतिशत या इससे कम रह जाती है तो फसल बीमा करवाने वाले किसानों को बीमित राशि के सापेक्ष 25 प्रतिशत धनराशि क्षतिपूर्ति के रूप में दी जाएगी और बीमा कवर समाप्त कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने किसानों से अपील की है कि वह फसल बीमा जरूर करवाएं। खरीफ की अधिसूचित फसलों का बीमा करवाने के लिए किसानों को बीमित राशि का केवल दो प्रतिशत ही बीमा प्रीमियम देना होता है।

जून से 11 जुलाई तक प्रदेश के विभिन्न अंचलों में बारिश मिलीमीटर में

अंचल            होनी चाहिए थी                हुई              प्रतिशत

पश्चिमी यूपी        161.4                    63.4             39.3

मध्य यूपी           184.2                    61.4             34.4

बुन्देलखंड          171.7                     58.2            33.9

पूर्वी यूपी           234.3                      81.7           34.9

उत्तर प्रदेश         194.7                      69.8           35.8

 बारिश की कमी से 30 फीसदी धान की रोपाई सूखी

 जिलों में करीब 30 फीसदी तक धान की रोपाई सूख चुकी है।  सीतापुर में महज 30-35 हजार हेक्टेयर तक धान की रोपाई हो पाई। रायबरेली में 32 फीसदी ही धान की बोआई हो सकी है। अयोध्या में लक्ष्य का 40 प्रतिशत ही धान रोपित किया जा सका है। गन्ने की फसल सूख रही है। बलरामपुर में 150 हेक्टेयर कम बोआई हुई है। श्रावस्ती में  बारिश न होने से धान की रोपाई करीब 90 प्रतिशत तक प्रभावित हो गई है। मक्का और अरहर की बोआई ही नहीं हो सकी है। 

गोण्डा जिले में एक लाख 90 हजार हेक्टेयर में धान की फसल की बोआई का लक्ष्य रखा गया था। अभी तक बमुश्किल 20 हजार हेक्टेयर तक धान की रोपाई हो सकी है। बहराइच में सिर्फ 25 फीसदी किसान ही निजी संसाधनों से धान की रोपाई कर पाए हैं। सुलतानपुर-अमेठी में 50 फीसदी बोआई भी नहीं हुई है। अम्बेडकरनगर में अभी तक महज 55 प्रतिशत क्षेत्रफल में ही धान की रोपाई हुई है जबकि बाराबंकी में अभी 30-35 प्रतिशत रोपाई हुई है.

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