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सैदपुर बना फर्जी अस्पतालों का सेफ जोन, मेंढक की तरह हो रहा ऑपरेशन और मौत; गाजीपुर के अधिकारी दे रहे संरक्षण

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. सैदपुर (Saidpur News) नगर फर्जी अस्पतालों के अवैध कमाई का सेफ जोन बनता जा रहा है। यहां गली मोहल्लों में बिना बोर्ड, बैनर और भवन मानक के दर्जनों फर्जी चिकित्सालय संचालित है। जहां बायो लैब में जैसे विद्यार्थी मेंढक का पेट चीरते थे, वैसे ही अप्रशिक्षित लोग मरीजों की जान से खेलते हुए सिजेरियन करते हैं। इसमें आए दिन गर्भवती महिलाओं की जान भी जा रही है। लेकिन गाजीपुर जिले के आला स्वास्थ्य अधिकारी उगाही के बोझ तले पलके झुकाए मौन साधे हुए हैं।

सीएचसी और महिला चिकित्सालय से फंसाएं जाते हैं मरीज

इन चिकित्सालय में मरीज भेजने के एवज में 3 से 7 हजार रुपये दिए जाते हैं। इनके गिरोह में दर्जनों आंगनवाड़ी, आशा और एनएम शामिल है। जो अपने क्षेत्र की अनपढ़ गरीब एनीमिक या क्रिटिकल गर्भ की जानकारी रखती है। जिनके प्रसव के लिए सीएचसी या महिला चिकित्सालय आने पर, यह इनके परिजनों को फर्जी चिकित्सालय के एजेंटों से संपर्क करातीं हैं। कभी कभी इसके लिए फर्जी अल्ट्रासाउंड और ब्लड रिपोर्ट भी तैयार कराई जाती है। फिर गर्भवती के परिजनों को समझाया जाता है कि यहां प्रसव कराने में खतरा है। बच्चा उल्टा है, या खून की कमी है, या पानी की कमी है, या डेट ओवर जा रहा है।

सिजेरियन के दौरान बताते हैं, बच्चेदानी में पथरी मिली है

सिजेरियन के दौरान ही अचानक से परिजनों को सूचना दी जाती हैं कि महिला के बच्चेदानी में पथरी दिखाई दी है, या हर्निया है, या अपेंडिस है। अगर अभी इलाज कराया गया, तो कम खर्च में सब हो जाएगा। वरना बाद में फिर से ऑपरेशन करना पड़ेगा, जिसमें भारी खर्च आएगा। परिजनों को डरा कर, इस तरह आर्थिक शोषण किया जाता है। यहां एक सिजेरियन 20 हजार रुपए से लेकर 40 हजार रुपए तक किया जाता है। जिसमें से गिरोह में शामिल सरकारी महिला हेल्थ वर्कर, डॉक्टर, जिला स्तरीय स्वास्थ्य अधिकारी और एजेंटों को उनका कमीशन दिया जाता है।

यहां जमीन पर लेटा कर लगाई जाती है ड्रिप

इन चिकित्सालयों में इलाज का कोई मानक नहीं होता। बिना बैनर बोर्ड के संचालित ऐसे चिकित्सालय मरीज को जमीन पर लिटा कर ही ड्रिप लगा देते हैं। क्योंकि इनके वार्डों में पहले से ही ठूंस-ठूंस कर मरीज भरे होते हैं। सैदपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉक्टर संजीव सिंह ने बताया कि ऐसे चिकित्सालयों पर कई बार कार्यवाही की जाती है। जिसके बाद यह स्थान बदलकर, दूसरे जगह चिकित्सालय संचालित करने लगते हैं।

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