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पीएम मोदी बोले- तय कर लें शिक्षक, हम केवल डिग्री धारक न तैयार करें

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मई के बाद अब जुलाई में अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर पहुंचे हैं। वाराणसी से 2014 में पहली बार लोकसभा के सदस्य बनने के बाद उन्होंने देश की प्राचीनतम नगरी को नवीनता तथा दिव्यता देने के सैकड़ों काम को शुरू करने के बाद अंजाम तक पहुंचाया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मई के बाद अब जुलाई में अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर पहुंचे हैं। वाराणसी से 2014 में पहली बार लोकसभा के सदस्य बनने के बाद उन्होंने देश की प्राचीनतम नगरी को नवीनता तथा दिव्यता देने के सैकड़ों काम को शुरू करने के बाद अंजाम तक पहुंचाया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे उपनिषदों में कहा गया है कि विद्या ही अमरत्व व अमृत तक ले जाती है। काशी को भी मोक्ष की नगरी इसलिए कहते हैं कि हमारे यहां मुक्ति का एक मात्र मार्ग विद्या को ही माना गया है। शिक्षा व शोध का विद्या व बोध का इतना बड़ा मंथन सर्व विद्या के केंद्र काशी में होगा तो इससे निकलने वाला अमृत अवश्य देश को नई दिशा देगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि शिक्षा समागम का आयोजन काशी में किया गया है। यहां का मैं सांसद भी होने के नाते होस्ट भी हूं। मेरा मानना है कि आपको कोई दिक्कत न होगी। यदि कोई कमी रह गई है तो दोष मेरा रहेगा। एक होस्ट के नाते कोई भी आपके असुविधा हो जाए तो उसकी क्षमा पहले मैं मांग ले रहा हूं।

अभी मैं किचेन का उद्घाटन कर रहा हूं। वहां दस-12 वर्ष के बच्चों के साथ गप्प गोष्ठी का मौका मिला। उनसे सुन कर आया हूं, आपको सुनाना आया हूं। चाहूंगा कि अगली बार जब आऊं तो उन बच्चों के टीचर्स से मिलूं। आप कल्पना कर सकते हैं कि मेरे मन में ऐसा क्यो आया। कारण यह कि उन बच्चों में जो कांफिडेंस, प्रतिभा थी वह एक सरकारी स्कूल के बच्चे थे। आपका बच्चा भी ऐसा ही टैलेंट प्रस्तुत करेंगे तो आप भी उन्हें घर आए किसी मेहमान के सामने खड़ा कर देंगे। कहने का आशय यह कि आप ऐसे इंस्ट्टीयूट बनाएं कि जब ऐसे बच्चे आएं तो उन्हें कोई कमी न महसूस हो।

उन्होंने कहा कि यहां जो तीन दिन में चर्चा हो प्रभावी हो। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य आधार शिक्षा को संकुचित दायरे से बाहर निकालना है। नई सदी के अनुसार अपडेट करना है। हमारे यहां मेधा की कमी कभी नहीं रही, लेकिन ऐसी व्यवस्था बनाई गई थी जिसका मतलब केवल नौकरी थी। अंग्रेजों ने गुलामी के दौर में उसका निर्माण अपने लिए सेवक बनाने के लिए किया था। आजादी के बाद बदलाव हुआ लेकिन उतना कारगर न था। अंग्रेजों की बनाई व्यवस्था कभी भारत से मेल नहीं खा सकती। हमारे यहां कला की अलग अलग धारणा थी।

पीएम मोदी ने कहा कि बनारस ज्ञान का केंद्र इसलिए था कि यहां ज्ञान विविधता से ओतप्रोत था। इसे शिक्षा व्यवस्था का आधार होना चाहिए। हम डिग्री धारी ही न तैयार करें, न कि जितने मानव संसाधन की जरूरत हो उपलब्ध कराए। यह संकल्प शिक्षकों व शिक्षण संस्थानों को करना है। हमारे शिक्षक जितनी तेजी से इस भावना को आत्मसात करेंगे उनता ही युवा पीढ़ी को लाभ होगा। नए भारत के निर्माण के लिए आधुनिक व्यवस्था का समावेश उतना ही जरूरी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना की इतनी बड़ी महामारी से हम उबरे और दुनिया की सबसे तेजी से उभर रही अर्थ व्यवस्था में एक हैं। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं। जहां पहले सिर्फ सरकार ही सब करती थी आज निजी क्षेत्र भी साथ मिल कर चल रहा है। अभी तक स्कूल कालेज व किताबें यह तय करते थे कि बच्चों को किस दिशा में जाना है लेकिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति से थोपने वाला युग चला गया है।

पीएम मोदी ने कहा कि इस बात का ध्यान रखना होगा कि हमें वैसा ही शिक्षक व शिक्षा संस्थान की व्यवस्थाएं, मिजाज सर्च करना ही होगा। नई शिक्षा नीति में बच्चों की प्रतिभा निखार व कुशल बनाने पर है। कांफिडेंट बनाने पर है। शिक्षा नीति इसके लिए जमीन तैयार कर रही है। तेजी से आ रहे परिवर्तन के बीच आपकी भूमिका अहम है। हमें पता होना चाहिए कि दूनिया कहां जा रही है। हमारा देश कहां है, हमारे युवा कहां है। हम उन्हें कैसे तैयार कर रहे हैं। यह हमारा बड़ा दायित्व है। यह समस्त शिक्षा संस्थानों को सोचने की आवश्यकता है कि क्या हम फ्यूचर रेडी हैं। हमें सौ साल के बाद की सोच कर चलना होगा। वर्तमान को संभालना है, लेकिन भविष्य के लिए व्यवस्था खड़ी करनी होगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पोते-पोती जब पूछते होंगे तब आप कहते होंगे क्या सिर खा रहा है, लेकिन वास्तव में आपका दिमाग उसका जवाब नहीं दे पा रहा है। आप घर में भी अपने बच्चों को मिस मैच फील कर रहे हैं। नई सोच के साथ आइए। योग्य बनिए, नहीं तो गैप हो जाए। अतः भविष्य को जानें समझें, खुद को विकसित करें। अभी डिजिटल इंडिया के कार्यक्रम में 10वीं-12वीं के बच्चों से रिसर्च की सोच देख दंग रह गया। जब उनकी क्लास में माडल पढ़ाए जा रहे थे। 

जीन मैपिंग तक की बात कर रहे थे। जब ये हायर क्लास में पहुंचेंगे तो क्या संस्थान उनसे मैच कर पाएंगे। हमें अभी से यह सोचना होगा कि जिस उम्र में बच्चों के मन में अन्वेषण है, उन्हें वैसी व्यवस्था मिले। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को दो साल पूरे होने हैं। विविधता भरा देश और राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वागत प्रशंसनीय है। आम तौर पर सरकार का दबाव होता है डाक्यूमेंट बन जाए। फिर सौंप कर खाली हो जाते हैं फिर दूसरा उसकी जगह ले लेता है। हमने हर पाल इस नीति को जिंदा रखा है। इतने कम समय में कम से कम 25 सेमिनार में गया और इस पर लगातार संवाद कर रहा हूं। विजन समझा रहा हूं। पूरी सरकार के सभी विभाग कोशिश कर रहे हैं। आप अपनी यूनिवर्सिटी में भी निरंतर मंथन करें। साथियों को प्रेरित करें तब जाकर इसका लाभ होगा। इसके क्रियावन्यवन की चुनौतियों पर सोचना होगा। कोई काम हाथ में लेंगे तो समस्या समाधान का राह भी निकलती है।

इससे पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने समागम को संबोधित किया। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने सभी का स्वागत किया। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर आज अक्षय पात्र रसोई का लोकार्पण किया। इसके बाद उन्होंने रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर पहुंचकर अखिल भारतीय शिक्षा समागम का शुभारंभ किया। उनके साथ केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय भी मौजूद थे। धर्मेन्द्र प्रधान ने प्रधानमंत्री के साथ अन्य सभी अतिथियों का स्वागत किया। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर आज अक्षय पात्र रसोई का लोकार्पण किया। इसके बाद उन्होंने रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर पहुंचकर अखिल भारतीय शिक्षा समागम का शुभारंभ किया। उनके साथ केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय भी मौजूद थे। धर्मेन्द्र प्रधान ने प्रधानमंत्री के साथ अन्य सभी अतिथियों का स्वागत किया।

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