दलित वोट बैंक में सेंधमारी के लिए ओमप्रकाश राजभर ने खेला बसपा कार्ड
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. अब तक अति पिछड़ों की सियासत करने वाले सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की नजर अब बसपा के वोट बैंक पर लगी है। उन्होंने बसपा से गठबंधन का कार्ड खेल दिया है। अतिपिछड़ों में अच्छी पैठ बनाने वाले राजभर को लगने लगा है कि कमजोर होती बसपा के वोट बैंक में सेंधमारी आसानी से की जा सकती है।
सपा गठबंधन से अलग होने के बाद सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने अपनी भावी कदम का कोई पत्ता तो नहीं खोला है, सिर्फ इतना संकेत दिया है कि वह छोटी-छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन के पक्षधर है। इसके लिए वह बसपा सुप्रीमो मायावती से भी संपर्क करेंगे। बार-बार बसपा का नाम लेने के पीछे उनकी मंशी एक बड़े वोट बैंक को साधने की है। अपने बयान में वह कई बार कह चुके हैं कि वह कांशीराम के साथ कई वर्षों तक काम कर चुके हैं।
बाबा साहब डा. भीम राव आंबेडकर के विचारों के लिए ही वह अतिपिछड़ों व गरीबों की लड़ाई लड़ रहे हैं। भाजपा के प्रति उनका नरम रवैया अंदर पक रही सियासी खिचड़ी की ओर भी इशारा कर रहा है। वैसे सुभासपा अध्यक्ष राजभर भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि पहले बसपा से बात करेंगे फिर आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा।
वैसे भाजपा से गठबंधन के सवाल पर वह यह कहने से परहेज नहीं करते हैं कि राजनीति में कुछ भी संभव है। साथ ही यह भी जोड़ते हैं कि सपा से गठबंधन टूटने की कोई उम्मीद उन्हें नहीं थी, लेकिन टूट गई। आगे क्या होगा कुछ नहीं कहा जा सकता है। हालांकि राष्ट्रीय प्रवक्ता अरुण राजभर का कहना है कि लोग चाहे कुछ भी मायने निकालें लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है।
जयंत को अधिक महत्व देने से नाखुश थे राजभर
सुभासपा अध्यक्ष ओपी राजभर रालोद मुखिया जयंत चौधरी को अधिक महत्व देने से दुखी दिखे। कई बार वह इसका जिक्र भी कर चुके हैं। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी विपक्ष के उम्मीदवार रहे यशवंत सिन्हा की पत्रकार वार्ता में जयंत चौधरी को बगल में बैठाया गया, जबकि उन्हें बुलाया तक नहीं। इसके अलावा जयंत चौधरी को राज्यसभा पहुंचाया गया।