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उत्तर प्रदेश के शहरों में बढ़ती अवैध बस्तियों और कालोनियों को लेकर CM योगी गंभीर, दिए महत्वपूर्ण निर्देश

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. शहरी क्षेत्र में बढ़ती अवैध बस्तियों और कालोनियों को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विकास प्राधिकरणों, नगरीय निकायों, स्थानीय पुलिस प्रशासन को निर्देश दिया है कि कहीं भी किसी भी परिस्थिति में इन्हें विकसित न होने दें। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण क्षेत्र के सभी भवनों में रेन वाटर हार्वेंस्टिंग को प्रोत्साहित किया जाए।

आवास एवं शहरी नियोजन विभाग द्वारा मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाछ के समक्ष नामांतरण प्रभार (म्यूटेशन शुल्क), जल शुल्क और अंबार शुल्क नियमावली 2022 का प्रस्तुतीकरण किया गया। सीएम योगी ने कहा कि जनहित में प्राधिकरणों की संपत्ति के नामांतरण की प्रक्रिया का सरलीकरण जरूरी है। अभी नामांतरण प्रभार संपत्ति के मूल्य का एक प्रतिशत है जिसे कम करने की आवश्यकता है। वर्तमान प्रक्रिया भी जटिल है और तकनीक के सहयोग से इसे और व्यवहारिक बनाया जाना चाहिए।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्राधिकरणों में विधिक उत्तराधिकार व वसीयत की स्थिति में म्यूटेशन फीस अधिकतम पांच हजार रुपये तक की जाए। फ्री होल्ड या गिफ्ट संपत्ति के मूल्य के आधार पर अधिकतम दस हजार रुपये का शुल्क लिया जाए। संपत्ति नामांतरण की प्रक्रिया जनहित गारंटी कानून के तहत रखी जाए ताकि आवेदनों का समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित हो।

शहरी क्षेत्र में अवैध बस्तियों और अवैध कालोनियों का जिक्र करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विकास प्राधिकरण, नगरीय निकाय, स्थानीय प्रशासन और पुलिस सुनिश्चित करे कि कहीं भी किसी भी परिस्थिति में अवैध बस्तियां और कालोनी बसने न पाए। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं का निर्धारण करते समय अगले 50 वर्षों की स्थिति को ध्यान में रखा जाए। हर कालोनी में सभी जरूरी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं। प्रत्येक प्राधिकरण व नगरीय निकाय में टाउन प्लानर की तैनाती की जाए। आइआइटी या राज्य सरकार की तकनीकी शैक्षणिक संस्थानों का सहयोग लिया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राधिकरण क्षेत्र के सभी आवासीय, शासकीय भवनों में रेन वाटर हार्वेंस्टिंग को प्रोत्साहित किया जाए। निर्देश दिया कि इस संबंध में एक सुस्पष्ट नियमावली तैयार कर प्रस्तुत की जाए। योगी ने कहा कि प्राधिकरणों द्वारा निवासियों से जल शुल्क लिए जाने में एकरूपता का अभाव है। अधिकांश प्राधिकरणों द्वारा जल शुल्क नहीं लिया जा रहा है। लखनऊ व वाराणसी विकास प्राधिकरण द्वारा अपने स्तर पर तय जल शुल्क लिया जा रहा है। ऐसे में स्पष्ट जल शुल्क नियमावली भी जल्द तैयार की जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां कोई भूमि प्राधिकरण द्वारा विकसित योजना के बाहर हो या जहां प्राधिकरण जलापूर्ति करने में असमर्थ हो, वहां जल शुल्क न लिया जाए। उन्होंने कहा कि विकास प्राधिकरण की भूमि, सार्वजनिक मार्ग या स्थान पर निर्माण सामग्री रखने वाले व्यक्तियों या निकाय पर लगने वाले अंबार शुल्क के पुनरीक्षण पर विचार किया जाए। इसके लिए भी अच्छी व उपयोगी अंबार शुल्क नियमावली तैयार की जाए।

तय शुल्क की दरें प्रत्येक वित्तीय वर्ष के प्रथम अप्रैल को आयकर विभाग के कास्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स के आधार पर पुनरीक्षित की जाए। इस अवसर पर मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री एसपी गोयल, प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन नितिन रमेश गोकर्ण सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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