सियासत के साथ मुकदमों में उतरते रहे अफजाल अंसारी, पहली बार कसा ऐसा शिकंजा
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. माफिया मुख्तार अंसारी के भाई सांसद अफजाल अंसारी पर रविवार को उनके ही गृहक्षेत्र में पुलिस ने कार्रवाई की। सांसद के गढ़ में पहली कार्रवाई से हड़कंप मच गया। प्रशासन ने उन संपत्तियों पर पहले शिकंजा कसा है जिनकी कीमत करोड़ों में है। बताया जाता है कि सांसद अफजाल अंसारी ने अपने सियासी करियर में आपराधिक मामलों, बड़े आंदोलनों से दूरी बनाए रखी लेकिन सियासत के साथ वे मुकदमों में उतरते चले गए। उन पर सात केस दर्ज हैं। इसमें से छह केस गाजीपुर और एक चंदौली में दर्ज है।
सांसद अफजाल पर पहला केस नोनहरा थाने में 1988 में दर्ज किया गया था। 1997 में शांतिभंग की आशंका में 151 की कार्रवाई की गई थी, हालांकि मामला समाप्त हो गया। इसके बाद 2001 में एसडीएम मुहम्मदाबाद के कार्यालय में हंगामा और बवाल का केस दर्ज हुआ, जिसमें पुलिस ने सांसद के खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल किया। मामला हाईकोर्ट के आदेश पर लंबित है। 2005 में सांसद अफजाल अंसारी पर सबसे गंभीर मामला विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड में नामित किए जाने का है। पुलिस और सीबीआई ने अफजाल अंसारी को हत्याकांड में एक्ट 120बी के तहत षडयंत्रकर्ता के तौर पर शामिल किया था। इस मामले में अफजाल ने कोर्ट में सरेंडर किया था और जज ने जेल भेज दिया था। मामले में अफजाल को कुछ महीनों के बाद जमानत मिल गई हालांकि केस चलता रहा। इसके साथ ही उनके खिलाफ 2007 में मुहम्मदाबाद में हत्या के मामले में साजिशकर्ता का केस दर्ज हुआ।
वामपंथ से बसपा तक सियासी सफर
सांसद अफजाल अंसारी ने सियासत का आगाज अपने गृहक्षेत्र मुहम्मदाबाद से किया। वामपंथ राजनीति से लेकर समाजवाद और फिर बसपा के साथ सियासी सफर में अफजाल ने कई उतार चढ़ाव देखे। रसूख की राजनीति करने वाले अफजाल की छवि को कृष्णानंद राय हत्याकांड ने धूमिल किया और इसके साथ ही उनक सियासी सफर डगमगाने लगी।
कम्युनिस्ट पार्टी में लंबे सफर के बाद सपा फिर कौमी एकता दल और फिर सपा से होकर बसपा में पहुंचे अफजाल को अब तक ठहराव नहीं मिला। अफजाल अंसारी 1985 में मुहम्मदाबाद से पहली बार भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी से विधायक बने। उसके बाद वर्ष 1996 तक लगातार पांच बार विधानसभा में पहुंचते रहे। इसके अलावा वह गाजीपुर संसदीय क्षेत्र से दो बार सांसद भी निर्वाचित हुए। साल 2002 के विधानसभा चुनाव में अफजाल अंसारी हार गए और 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्हें गाजीपुर संसदीय सीट से समाजवादी पार्टी ने टिकट दे दिया। इस चुनाव में अफजाल अंसारी ने बीजेपी के खिलाफ जीत दर्ज की। इसके बाद अफजाल 2009 और 2014 में चुनाव लड़े लेकिन हार गए।
जब्त की गई करोड़ाें की सम्पत्ति
रविवार को अफजाल अंसारी के भांवरकोल क्षेत्र स्थित फार्म हाउस को सील कर दिया गया जबकि अन्य जमीनों पर कुर्की संबंधी नोटिस चस्पा की गई। संपत्तियों की कुल कीमत 14.90 करोड़ बताई गई है। अफजाल पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के बड़े भाई हैं।
चार ग्राम सभाओं में अफजाल ने वर्ष 2005 से 2020 के बीच संपत्तियों को खरीदा था। मुहम्मदाबाद में 2007 में अफजाल पर दर्ज गैंगस्टर के मुकदमे में पुलिस ने यह कार्रवाई की है। गैंगस्टर समेत अन्य किसी भी मुकदमे में अफजाल अंसारी के खिलाफ यह पहली कुर्की की कार्रवाई है।
पहली बार हुई अफजाल के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई
योगी आदित्यनाथ सरकार की सख्ती के बीच अब तक मुख्तार अंसारी की संपत्तियों पर ही बुलडोजर और कुर्की का हंटर चला है। सात मुकदमे दर्ज होने के बावजूद अब तक सांसद अफजाल अंसारी के खिलाफ पुलिस ने कोई नोटिस भी जारी नहीं की थी। रविवार को पहली कार्रवाई उनके ही गृहक्षेत्र मुहम्मदाबाद तहसील के गांवों में हुई। इस कार्रवाई ने मुख्तार अंसारी, अफजाल अंसारी और उनके परिजनों पर आगे होने वाली कई कार्रवाई के संकेत भी दे दिए। क्योंकि मुख्तार के खिलाफ अब तक मुहम्मदाबाद में कहीं कुर्की या बुलडोजर चलने की कार्रवाई नहीं हुई थी। डीएम और एसपी के संयुक्त अभियान के तहत पांच सदस्यीय टीम कई दिनों से कार्रवाई में जुटी थी। अधिकारियों ने रजिस्टर्ड जमीनों का ब्योरा लिया। इसके बाद इन संपत्तियों का विक्रय और बाजार मूल्य का आकलन किया। बेचने वालों से भी जानकारी हासिल की गई। मामले में डीएम कोर्ट ने सुनवाई की।
पुलिस और प्रशासनिक टीम की जांच के दौरान अवैध तरीके से खरीद फरोख्त कर दाखिल खारिज न कराने का मामला भी सामने आया है। दान के अभिलेख तैयार कराकर अचल भू-सम्पत्ति पर किसी को नामित करने के लिए गलत तरीके अपनाने की बात भी रिपोर्ट में कही गई है। गाजीपुर प्रशासन ने सभी संपत्तियों की कीमत 14 करोड़ 90 लाख रुपये घोषित की। इसके बाद भू-सम्पत्ति को मुनादी करते हुए कुर्की की कार्रवाई की।