योगी सरकार ने जारी की कृत्रिम बालू बनाने की नीति, दूर होगी बालू की किल्लत
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में कृत्रिम बालू बनाने की नीति जारी कर दी है। जिससे प्रदेश में हुई बालू की कमी को अब कृत्रिम बालू से दूर होगी। खनन के दौरान निकलने वाले अनुपयोगी पत्थरों को पीसकर कृत्रिम बालू बनाई जाएगी।
सरकार के इस फैसले से जहां नदियों से निकलने वाली बालू का विकल्प कृत्रिम बालू बनेगी, वहीं नदियों पर निर्भरता कम होने से पर्यावरण संरक्षण भी हो सकेगा। भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग की सचिव रोशन जैकब की ओर से जारी नीति के अनुसार कृत्रिम बालू के उत्पादन में इमारती पत्थर की खदानों के पट्टाधारकों को प्राथमिकता दी जाएगी।
कृत्रिम बालू के उत्पादन के लिए पूर्व में स्थापित या फिर नया संयंत्र स्थापित करने वाली फर्म को कुल देय राशि पर 20 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। कृत्रिम बालू उत्पादन नीति के तहत क्षेत्र में जमा रिजेक्ट पत्थर की मात्रा में मिट्टी की मात्रा घटाकर लाट की मात्रा का निर्धारण डीएम की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी।
स्टोन डस्ट की तरह रिजेक्ट पत्थर की रायल्टी की दर 100 रुपये प्रति घनमीटर होगी। अनुपयोगी पत्थरों को हटाने और कृत्रिम बालू तैयार करने का लाइसेंस एक वर्ष के लिए दिया जाएगा। डीएम विशेष परिस्थिति में उस अवधि को एक वर्ष बढ़ा सकेंगे।
25 हजार रुपये लगेगी जमानत राशि कृत्रिम बालू बनाने के लिए पट्टाधारक की ओर से सहमति पत्र और 25 हजार रुपये जमानत राशि का ड्राफ्ट डीएम के यहां जमा होगा। पट्टा धारक की सहमति प्राप्त होने के बाद डीएम की ओर से लेटर आफ इंटेंट जारी किया जाएगा। निर्धारित धनराशि जमा होने पर जिलाधिकारी की ओर से स्वीकृति आदेश जारी किया जाएगा।