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सपा के करीबी IAS अधिकारी रामविलास यादव के गाजीपुर के पैतृक गांव में विजिलेंस की टीम ने की जांच

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर जिले के शादियाबाद के परेंवा गांव में आइएएस अधिकारी रामविलास यादव के गांव में उनके पैतृक घर पर उत्तराखंड से आई विजिलेंस की टीम जांच-पड़ताल कर रही है। जांच टीम ने इस बाबत कुछ भी बताने से इंकार कर दिया है। माना जा रहा है कि संभवत: आय से अधिक संपत्ति के मामले में यह जांच हो रही है। राम विलास यादव वर्तमान में उत्तराखंड में विकास प्राधिकरण के सचिव के पद पर तैनात हैं। राम विलास यादव सपा सरकार में लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव थे और सपा सरकार के बेहद करीबी थे।

शादियाबाद के परेंवा गांव में आइएएस अधिकारी रामविलास यादव के गांव में उनके पैतृक घर पर उत्तराखंड से आई विजलेंस की टीम ने छापेमारी की है। आये हुए अधिकारियों ने मात्र इतना बताया कि यह जांच न्यायालय के आदेश पर की जा रही है। जांच में जो भी तथ्य सामने आएगा उसकी रिपोर्ट से न्यायालय को अवगत करा दिया जाएगा। राम विलास यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला चल रहा है उसी मामले में यह जांच पड़ताल हो रही है। राम विलास यादव वर्तमान में ग्राम विकास विभाग उत्तराखंड में सचिव के पद पर तैनात है।

राम विलास यादव सपा सरकार में लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव थे व एडिशन डायरेक्टर मंडी परिषद भी रह चुके हैं और सपा सरकार के बेहद करीबी भी थे। आय से अधिक संपत्ति के मामले में घिरे आइएएस रामविलास यादव पर विजिलेंस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। पूछताछ के लिए बार -बार बुलाने के बावजूद आइएएस राम विलास यादव विजिलेंस के समक्ष पेश नहीं हुए। ऐसे में शनिवार तड़के ही रामविलास यादव के गाजीपुर लखनऊ और देहरादून ठिकानों पर विजिलेंस की टीम एक साथ छापेमारी कर रही है। उत्तर प्रदेश के आइएएस रामविलास यादव के खिलाफ अप्रैल माह में मुकदमा दर्ज किया गया था।

यूपी में तैनात रहे आईएएस अधिकारी राम विलास यादव पूर्व सपा की सरकार के काफी करीबी थे उन्होंने लखनऊ में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया था। प्रदेश में जब सरकार बदली तो राम विलास ने अपनी तैनाती उत्तराखंड करा ली लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार को उनकी अनियमितताओं के बारे में जानकारी मिल गई, जिसके बाद उत्तर प्रदेश शासन ने ही उत्तराखंड में आइएएस अधिकारी के खिलाफ जांच कराने के लिए कहा। इस संबंध में उन्होंने पर्याप्त दस्तावेज भी उत्तराखंड सरकार को भेजे। जांच पूरी होने पर अनियमितताएं और आय से अधिक संपत्ति का मामला सही पाया गया। जिस पर विजिलेंस ने जांच शुरू की तो उन्‍होंने सहयोग नहीं किया। 

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