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गाजीपुर के तत्कालीन DPRO, ADPRO सहित 5 पर FIR का आदेश

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर में घोटालेबाज तत्कालीन प्रधान व सचिव को बचाने के मामले में जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने तत्कालीन डीपीआरओ (जिला पंचायती राज अधिकारी), एडीपीआरओ, पटल सहायक, प्रधान व सचिव पर एफआइआर का आदेश दिया है। इससे न सिर्फ संबंधितों की नींद हराम हो गई है, बल्कि जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय के कर्मियों में भी खलबली मची हुई है। मामला करंडा ब्लाक के मुड़वल गांव का है, जहां के रामभरोस प्रजापति ने वर्ष 2018 में विकास के पैसों का बंदरबाट करने का आरोप लगाया था। शिकायतकर्ता के अनुसार यह घपला 80 लाख रुपये का है।

रामभरोस प्रजापति ने तत्कालीन जिलाधिकारी के. बालाजी से शिकायत की थी कि मुड़वल गांव में विकास कार्यों में जमकर खेल किया जा रहा है। प्रधान व सचिव मिलीभगत कर एक ही काम दो-दो बार और पुराने शौचालय को नया दिखाकर पैसा अवमुक्त करा लिया है। बहुत से कार्य हुए भी नहीं और पूरा दिखा दिया गया। मामले की जांच तत्कालीन बीएसए श्रवण कुमार ने की, जो मौजूदा समय में निलंबित हैं। काफी समय बीत जाने के बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई तो शिकायतकर्ता बार-बार जिलाधिकारी से मिलकर कार्रवाई की मांग करता है।

जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह के संज्ञान में जब मामला आया तो उन्होंने मामले की दोबारा जांच कराई। इसमें सामने आया कि तत्कालीन डीपीआरओ रमेशचंद्र उपाध्याय, एडीपीआरओ बृजेश मौर्या व पटल सहायक शिवप्रकाश त्रिपाठी तत्कालीन प्रधान करुणानिधि चक्रवर्ती और सचिव प्रदीप यादव को बचा रहे थे। इसलिए फाइल को चार वर्षों तक दबाए रखा। इसपर जिलाधिकारी की त्योरी चढ़ गई और सभी पांचों के खिलाफ तत्काल एफआइआर दर्ज कराने का आदेश डीपीआरओ कुमार अमरेंद्र को दिया।

शहर कोतवाल विमलेश मौर्या ने बताया कि एफआइआर दर्ज करने का आदेश प्राप्त हुआ है। जल्द ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

मुड़वल गांव में हुए घोटाले के मामले में तत्कालीन डीपीआरओ रमेशचंद्र उपाध्याय, एडीपीआरओ बृजेश मौर्या, पटल सहायक शिवप्रकाश त्रिपाठी पर तत्कालीन प्रधान करूणानिधि चक्रवर्ती व सचिव प्रदीप कुमार को बचाने का आरोप है। शिकायत सही मिलने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिलाधिकारी ने इन सभी के खिलाफ एफआइआर का आदेश दिया है। जिसके क्रम में शहर कोतवाली में तहरीर दे दी है।- कुमार अमरेंद्र, डीपीआरओ।

 
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