नक्शा पास करने में न हो देरी, आवेदक को बुलाकर करें समाधान - CM योगी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. विकास प्राधिकरणों की कार्यशैली में पहले भी सुधार की जरूरत बता चुके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फिर से कहा है कि विकास प्राधिकरण अपनी कार्यशैली में पारदर्शिता बढ़ाएं। उन्होंने निर्देश दिया है कि नक्शा पास करने में देरी न हो। आवेदक को बुलाकर समाधान कराएं।
मुख्यमंत्री ने शनिवार को उच्चस्तरीय बैठक में सभी विकास प्राधिकरणों को अपनी भावी कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। कहा है कि परियोजनाओं का निर्धारण करते समय अगले 50 वर्षों की स्थिति को ध्यान में रखा जाए। प्राधिकरणों को अपनी कार्ययोजना का प्रस्तुतीकरण उनके (सीएम) के समक्ष करना होगा, जिसकी तारीख जल्द ही तय की जाएगी।
प्राधिकरणों में लंबित भवन मानचित्र स्वीकृति के प्रकरणों के तत्काल निस्तारण का निर्देश देते हुए सीएम ने कहा कि ऐसे मामलों में टाउन प्लानर या आर्किटेक्ट के परामर्श के अनुसार आवेदक को बुलाकर समाधान किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश की कुल जनसंख्या का 24 प्रतिशत शहरी आबादी का है, जिसका राज्य की जीडीपी में 65 प्रतिशत का योगदान है।
स्वस्थ एवं प्रदूषणमुक्त शहर, समावेशी शहर विकास, उच्चस्तरीय आधुनिक नगरीय सुविधाएं और ई-गवर्नेंस के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। नगर नियोजन करते समय हमें भविष्य की जरूरतों और जन आकांक्षाओं का ध्यान भी रखना होगा।
उन्होंने कहा कि हर विकास प्राधिकरण में नियोजन का काम टाउन प्लानर या प्रोफेशनल से ही कराया जाए। अनियोजित विकास भविष्य के लिए बड़ी समस्या का कारक होता है। इसके साथ ही निर्देश दिया कि विकास प्राधिकरण लैंडबैंक विस्तार के लिए ठोस प्रयास करें। नगरीय निकायों को वित्तीय आत्मनिर्भरता के लिए नियोजित प्रयास करना होगा।
लंबित न रहें निजी विश्वविद्यालयों के प्रस्ताव : मुख्यमंत्री ने कहा कि निजी क्षेत्र में विश्वविद्यालय स्थापित करने की इच्छुक संस्थाओं को राज्य सरकार की ओर से सभी जरूरी सहयोग दिए जाएं। स्थापना संबंधी नियमों-अर्हताओं को भी यथासंभव सरल किया गया है। ऐसे प्रस्तावों को कतई लंबित न रखा जाए।
स्वामित्व योजना में चलाएं एक माह का विशेष अभियान : योगी ने कहा कि स्वामित्व योजना के तहत घरौनी वितरण और वरासत के निर्विवाद उत्तराधिकार के मामलों को खतौनियों में दर्ज किए जाने से ग्रामीण क्षेत्र की जनता को काफी सुविधा मिली। वर्तमान स्थिति की समीक्षा करें। एक माह का विशेष अभियान चलाकर निर्विवाद उत्तराधिकार के सभी मामलों को खतौनियों में दर्ज कराया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि उत्तराधिकारियों को उनका अधिकार यथाशीघ्र मिले। साथ ही पैमाइश के लिए ई-फाइङ्क्षलग की व्यवस्था करें।